Chanderi Kila in Hindi – चंदेरी किला मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले के चंदेरी शहर में स्थित है। चंदेरी एक ऐतिहासिक शहर है और माना जाता है कि यह शहर महाभारत के समय से अस्तित्व में है। वर्तमान में चंदेरी शहर यहाँ स्थित ऐतिहासिक चंदेरी किले के लिए जाना जाता है। चंदेरी किला प्रतिहार वंश के राजा कीर्तिपाल ने बनवाया था और इसीलिए इस किले को कीर्ति दुर्ग के नाम से भी जाना जाता है।
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चंदेरी शहर – इतिहास | History – Chaderi Kila in Hindi
चंदेरी शहर महाभारत कालीन रहा है। महाभारत के समय चंदेरी चेदि साम्राज्य का हिस्सा था जो शिशुपाल का राज्य था। चंदेरी शहर इतिहास में नन्द वंश , मौर्या वंश , शुंग और मगध साम्राज्य का हिस्सा रहा है। चेदी नामक उस स्थान को आज बूढ़ी चेदी के नाम से जाना जाता है। इस स्थान पर बिखरे हुए मंदिरों, शिलालेखों ,मूर्तियों के अवशेषों बताते हैं कि यह स्थान कभी एक ऐतिहासिक नगर रहा होगा, जो कि बाद में धीरे-धीरे घने जंगलों में विलीन हो गया होगा। अशोक नगर जिले का नाम भी सम्राट अशोक के नाम पर रखा गया है। माना जाता है कि एक बार सम्राट अशोक अपनी यात्रा के दौरान यहाँ एक रात के लिए रुके थे।
8वीं सदी में चंदेरी पर प्रतिहार वंश का शासन था। प्रतिहार वंश के 7 वें राजा कीर्तिपाल ने 11 वें सदी में चंदेरी के इस किले का निर्माण कराया था और चंदेरी शहर को अपनी राजधानी बनाया था। 11 वें सदी में बाहरी आक्रांताओं के लगातार आक्रमण हो रहे थे और इससे चंदेरी शहर भी अछूता नहीं रहा। 13 वें सदी में चंदेरी पर बलबन का अधिकार हो गया था और उसके बाद चंदेरी कई बार अलग अलग शासकों के अधिकार में रहा। 15 वें शताब्दी में चंदेरी पर खिलजी का अधिकार हो गया। कुछ समय तक खिलजी के अधिकार में रहने के बाद 16 वें शताब्दी में मेवाड़ के महाराणा सांगा ने चंदेरी को जीत लिया। महाराणा सांगा ने चंदेरी को मेदनी राय को सौंप दिया था।
चंदेरी लगातार युद्ध झेलता रहा और उसके बाद बाबर , राजा पूरन मल , शेरशाह सूरी से होते हुए अंत में बुंदेला राजाओं के अधिकार में आया। सन 1844 में चंदेरी अंग्रेज़ो के अधिकार में आया और स्वतंत्रता के समय यह ग्वालियर राज्य का हिस्सा था। स्वतंत्रता के बाद ग्वालियर मध्यप्रदेश का हिस्सा बना और चंदेरी भी।
चंदेरी किला- भौगोलिक स्थिति इतिहास | Geography – Chaderi Kila in Hindi
चंदेरी पहाड़ियों से घिरा हुआ है और एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। चंदेरी किला 5 किलोमीटर में फैला हुआ है और यहाँ से पूरा चंदेरी शहर देखा जा सकता है। यह स्थान मालवा तथा बुंदेलखंड की सीमा पर स्थित होने के कारण बहुत ही महत्वपूर्ण रहा है। चंदेरी किले के आसपास पहाड़ियों से घिरा होने के कारण यह सुरक्षा की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण था इसीलिए इस किले पर समय-समय पर अनेकों राजाओ के आक्रमण हुए। चंदेरी के किले पर आक्रमण और इस किले का पुनर्निर्माण कार्य भी लगातार जारी रहा। सभी राजाओं ने अपने अपने अनुसार किले का निर्माण कार्य कराया जिनमें मुख्य थे खिलजी, तुगलक, मालवा, लोधी शासक, उदयपुर के राणा सांगा ,मुगल, बुंदेला और सिंधिया। चंदेरी किला एक मिलीजुली संस्कृति तथा स्मारकों का प्रतीक चिन्ह है।
चंदेरी का किला | Chanderi Kila in Hindi
चंदेरी महल कहीं से तीन मंजिला और कहीं पर 4 मंजिला दिखाई देता है। महल के बीच में एक बड़ा आंगन है जिसके चारों तरफ के बरामदे में महल ,किले तथा अन्य स्मारक दिखाई देते हैं। चंदेरी किले का जीर्णोद्धार पुरातत्व विभाग द्वारा कराया जाता रहा है।
चंदेरी किले के मुख्य प्रवेश द्वार
हवा पौड़ी | Hawa Paudi – Chanderi Kila in Hindi
यह चंदेरी किले का सबसे ऊंचा दरवाजा है। मुख्य दरवाजा भी है।
खूनी दरवाजा | Khooni Darwaja – Chanderi Kila in Hindi
यह चंदेरी किले का दूसरा मुख्य दरवाजा है। इस दरवाजे का नाम खूनी दरवाजा होने का कारण यहाँ हुए रक्तपात को बताया जाता है। १६वें सदी में सं १५२८ में जब बाबर ने किले पर आक्रमण किया तो मेदनी राय ने अपनी सेना के साथ उसका सामना किया। इस युद्ध में इतना रक्तपात हुआ की यहाँ लाशों के ढेर लग गए और खून के धार बहने लगी। इसी कारण से महल के इस दरवाजे को खूनी दरवाजा कहा जाने लगा।
कटी घाटी | kati Ghati – Chanderi Kila in Hindi
चंदेरी महल का यह दरवाजा महल के पीछे की तरफ है। बाबर के युद्ध के दौरान उसकी सेना एक पहाड़ी के पीछे थी और ऐसा कहा जाता है कि उसकी सेना ने पहाड़ को काट कर संकरे गलियारे को बया जिस से कि उसकी सेना पीछे के तरफ से महल पर आक्रमण कर सके। मेदनी राय को इस बात का अंदाजा नहीं था और बाबर की सेना को अचानक अपने दरवाजे के सामने उन्होंने बाबर की सेना को देखा।
चंदेरी किले के अन्य स्मारक जिनमें नवखंडा महल तथा नवखंडा महल के पीछे स्थित संगीत सम्राट बैजू बावरा का स्मारक बना हुआ है। जोहर स्मारक भी इसी स्मारक के पास बनाया गया है जिस पर बाबर द्वारा किए हुए आक्रमण तथा राजपूतानियो द्वारा किए गए जोहर के बारे में सूचनाएं अंकित है। यहीं पर एक बावड़ी है जो कि चारों तरफ से जंगल से गिरी हुई है इसी बावड़ी में नवखंडा महल का प्रतिबिंब बड़ा ही सुंदर दिखाई देता है।
जौहर स्मारक | Johar Smarak – Chanderi Kila in Hindi
बाबर से हार की खबर जब किले के अंदर पहुंची तब चंदेरी किले में एक विशाल चिता का निर्माण किया गया तथा सभी राजपूत महिलाएं स्वयं ही चिता के हवाले हो गयी। मध्ययुगीन इतिहास के अंदर चंदेरी का जौहर अब तक के इतिहास का सबसे बड़ा जौहर माना जाता है। युद्ध को जीतकर बाबर अंदर किले में गया तब उसने देखा कि वहां किले के अंदर सभी रानियों सहित सभी राजपूती क्षत्राणीयों ने जौहर कर लिया था। जौहर के स्थान पर स्थित शिला पर आज भी इस भयावह जौहर घटना का जिक्र लिखा दिखाई देता है।
चंदेरी के महल में बुंदेल खंडी राजाओं ने अनेकों महल बनवाए तथा मुगल और खिलजी शासकों ने महल की दीवारों को मजबूत कराने का कार्य किया। अबुल फजल के अनुसार इस चंदेरी के किले में 14000 मकान, 612 महल, 1200 मस्जिद तथा 384 बाजार बनाए गए थे।
चंदेरी का युद्ध | War of Chanderi – Chanderi Kila in Hindi
चंदेरी का युद्ध 1528 में हुआ युद्ध बाबर तथा मेदनी राय खंगार के बीच हुआ था। कहा जाता है कि बाबर ने इस किले पर बहुत लंबे समय से अपनी नजर बना गढ़ा रखी थी, उसकी नजर लगातार इस किले पर बनी रहती थी । इस कारण बाबर ने राजा मेदनी राय खंगार से इस महल को मांगा तथा बदले में अपने जीते हुए कई किलो को उन्हें देने की पेशकश भी की थी ,परंतु राजपूत राजा मेदनी राय खंगार ने उसके इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
चंदेरी किले के पहाड़ी पर होने के कारण कोई अगर इस पर आक्रमण करने की तैयारी करता तो उसकी भनक पहले ही राजा मेदनी राय खंगार को हो जाती थी और इसीलिए इस किले पर आसानी से हमला नहीं कर पाता था। बाबर के प्रस्ताव को ठुकरा दिए जाने पर और इस किले के महत्त्व को जानकर बाबर ने किले पर आक्रमण करने का निश्चय किया। बाबर ने किले का घेरा कई दिनों तक बनाकर रखा लेकिन उसकी सेना में हाथी, तोपे और भारी हथियार थे जिनको लेकर उन पहाड़ियों से पार जाना बहुत ही मुश्किल था और इन पहाड़ियों से नीचे उतरने पर ही चंदेरी फौज की नजर शत्रु पर पड़ जाती थी।
ऐसा माना जाता है कि बाबर ने एक ही रात में रास्ता बनाने के लिए अपने सैनिकों को किले के पीछे की पहाड़ी को काटने का आदेश दे दिया। बाबर की सेना ने इस पहाड़ी को ऊपर से नीचे तक इस तरह से काटा कि वहां पर एक दरार बना डाली जिससे होकर वह पूरी सेना के साथ किले के ठीक सामने पहुंच गया। 80 फीट ऊंची 39 फीट चौड़ी तथा 192 फीट लंबी घाटी को पहाड़ी को काटकर निर्माण किया था। घाटी के बीच में ही पहाड़ को काटकर प्रवेश द्वार को बनाया गया जिसके दोनों ओर दो बुर्ज भी बनाए गए।
राजा मेदनी रॉय खंगार इस बात से अनभिज्ञ थे और वह बाबर पूरी सेना को देखकर दंग रह गए, लेकिन उन्होंने अपनी सेना के साथ बाबर की विशाल सेना का डटकर सामना किया तथा अंत में वह वीरगति को प्राप्त हुए।
बाबर कभी भी इस किले में नहीं रहा। बाबर के बाद मालवा सुल्तान मल्लू खान ने चंदेरी किले पर कब्जा किया उसके बाद फिर से मुगलों का अधिकार हुआ था।
चंदेरी कारीगरी | Chanderi Art
चंदेरी शहर में चंदेरी कारीगरी का काम सदियों पुराना है । इस शहर की गलियों में अनेकों कारीगर इस काम को करते हुए देखे जा सकते हैं । चंदेरी के इस कपड़े में रेशम तथा जरी का काम किया जाता है ।
चंदेरी जाने का सबसे अच्छा समय | Best time to Visit Chanderi
चंदेरी जाने के लिए अक्टूबर से मार्च तक का मौसम सबसे अच्छा है। चंदेरी का मौसम इस दौरान सुहाना रहता है। गर्मियों में मौसम काफी ज्यादा गर्म हो जाता है लेकिन मानसून के दौरान यह काफी खूबसूरत हो जाता है।
चंदेरी कैसे पहुचें | How to reach – Chanderi Kila in Hindi
अगर आप फ्लाइट से यात्रा कर रहे हैं तो चंदेरी पहुंचने के लिए सबसे नजदीक भोपाल शहर का एयरपोर्ट है। भोपाल ले यहाँ से दूरी लगभग २०० किलोमीटर हैं। दूसरा नजदीक का एयरपोर्ट ग्वालियर में स्थित है। ग्वालियर से चंदेरी के दूरी लगभग 250 किलोमीटर है। ग्वालियर और भोपाल दोनों ही जगह से चंदेरी तक के लिए प्राइवेट और स्टेट ट्रांसपोर्ट के सुविधा उपलब्ध हैं।
अगर आप ट्रेन से ट्रेवल कर रहे हैं तो चंदेरी के सबसे नजदीक लगभग 40 किलोमीटर के दूरी पर ललितपुर स्टेशन है।
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