Dharamshala Tourist Places Hindi : धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित एक प्रसिद्द टूरिस्ट प्लेस है। धर्मशाला को प्राकृतिक सुंदरता और विशेष सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह शहर धौलाधार पर्वत श्रृंखला की तलहटी में स्थित है। धर्मशाला शहर को दो भागों में बांटा गया है: निचला धर्मशाला और ऊपरी धर्मशाला। निचला धर्मशाला एक कमर्शियल सेण्टर है, जबकि ऊपरी धर्मशाला, जिसे मैकलियोडगंज भी कहा जाता है, निर्वासित तिब्बती सरकार की सीट है।
धर्मशाला को तिब्बती आध्यात्मिक नेता, 14वें दलाई लामा के साथ जुड़ाव के कारण अंतरराष्ट्रीय स्टार पर पहचान मिली है । वर्ष 1959 में तिब्बत पर चीनी आक्रमण के बाद, दलाई लामा ने धर्मशाला में शरण ली और उसके बाद से यह निर्वासित तिब्बती सरकार का मुख्यालय बन गया।
वर्तमान में धर्मशाला अपने तिब्बती पहचान के कारण तो प्रसिद्द है ही साथ ही यह हिमाचल प्रदेश का प्रसिद्द टूरिस्ट आकर्षण बन गया है। हर साल बड़ी संख्या में देश विदेश से टूरिस्ट्स यहाँ के प्राकृतिक रूप से सुंदर वातावरण , आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक विविधता का आनंद लेने के लिए आते रहते हैं।
इतिहास – धर्मशाला | History – Dharamshala Tourist Places Hindi
धर्मशाला की पहचान इसकी विविधता से है। विभिन्न संस्कृतियों और समुदायों का प्रभाव इस शहर की संस्कृति पर पड़ा है। कांगड़ा घाटी, जहां धर्मशाला स्थित है, विभिन्न क्षेत्रीय राज्यों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है।
19वीं शताब्दी के मध्य में अंग्रेजों ने धर्मशाला में एक छावनी की स्थापना की थी। धर्मशाला को 1959 में अंतरराष्ट्रीय मान्यता और महत्व प्राप्त हुआ जब 14वें दलाई लामा तिब्बत से यहाँ पर राजनीतिक शरण के लिए आये। उसके बाद निर्वासित तिब्बती सरकार धर्मशाला में स्थापित की गई, विशेष रूप से ऊपरी धर्मशाला क्षेत्र में जिसे मैकलियोडगंज के नाम से जाना जाता है।
मैकलियोडगंज निर्वासित तिब्बती सरकार का केंद्र बन गया और दलाई लामा ने इस क्षेत्र में अपना निवास और नामग्याल मठ स्थापित किया। यह शहर तिब्बती संस्कृति, आध्यात्मिकता और सक्रियता का केंद्र बन गया।
पिछले कुछ वर्षों में, धर्मशाला एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हुआ है, जो अपने प्राकृतिक परिदृश्य, तिब्बती प्रभाव और सांस्कृतिक विविधता के साथ टूरिस्ट्स को आकर्षित करता है। धीरे धीरे इस शहर की प्रसिद्धि एक टूरिस्ट प्लेस के रूप में बढ़ने लगी ।
धर्मशाला कला उत्सवों, फिल्म समारोहों और दलाई लामा की आध्यात्मिक शिक्षाओं सहित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का केंद्र बन गया है। इस शहर ने कलाकारों, लेखकों और आध्यात्मिक साधकों के एक समुदाय को भी आकर्षित किया है।
धर्मशाला टूरिस्ट प्लेस | Dharamshala Tourist Places Hindi
नामग्याल मठ -धर्मशाला टूरिस्ट प्लेस | Namgyal Math – Dharamshala Tourist Places Hindi
नामग्याल मठ, धर्मशाला में स्थित एक प्रमुख तिब्बती बौद्ध मठ है। नामग्याल मठ की स्थापना 16 वीं शताब्दी में दूसरे दलाई लामा, गेंडुन ग्यात्सो द्वारा की गई थी। यह शुरू में तिब्बत में स्थापित किया गया था, लेकिन बाद में वर्ष 1959 में चीनी शासन के खिलाफ तिब्बती विद्रोह के बाद भारत में स्थानांतरित हो गया। धर्मशाला में यह 14 वें दलाई लामा का व्यक्तिगत मठ बन गया।
नामग्याल मठ तिब्बत के आध्यात्मिक नेता, 14वें दलाई लामा, तेनज़िन ग्यात्सो के निजी मठ और निवास के रूप में कार्य करता है। दलाई लामा अक्सर धार्मिक शिक्षाएं, प्रार्थना सत्र आयोजित करते हैं और मठ में अपने अनुयायियों के साथ बातचीत करते हैं। यह मठ विभिन्न तिब्बती बौद्ध अनुष्ठानों, समारोहों और प्रथाओं का केंद्र है। नामग्याल मैथ में बौद्ध भिक्षु अपनी दैनिक प्रार्थना, जप और ध्यान में संलग्न होते हैं।
नामग्याल मठ पारंपरिक तिब्बती आर्किटेक्चर को प्रदर्शित करता है। मठ परिसर में थांगका (बौद्ध पेंटिंग), बुद्ध और बोधिसत्व की मूर्तियां और प्रार्थना हॉल शामिल हैं। मठ कई पवित्र धार्मिक कलाकृतियों का घर है, जिसमें प्राचीन पांडुलिपियां, बौद्ध धर्म और तिब्बती बौद्ध धर्म से संबंधित अनेकों कृतियाँ शामिल हैं। ये नामग्याल मठ की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक समृद्धि में काफी महत्वपूर्ण हैं।
नामग्याल मठ में विभिन्न तिब्बती बौद्ध त्योहारों को उत्साह के साथ मनाता है। विशेष अवसरों के दौरान यह परिसर सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गतिविधियों का एक केंद्र बन जाता है, जो स्थानीय लोगों और टूरिस्ट्स दोनों को आकर्षित करता है।
भागसुनाग वॉटरफॉल – धर्मशाला टूरिस्ट प्लेस | Bhagsunag Waterfall – Dharamshala Tourist Places Hindi
भागसुनाग वॉटरफॉल धर्मशाला का एक प्रसिद्द आकर्षण है। भगवाननाग वॉटरफॉल मैकलियोड गंज से लगभग 1.5 किलोमीटर दूर स्थित है। यह वॉटरफॉल धौलाधार रेंज में स्थित है जो हरे-भरे और देवदार के पेड़ों से घिरा हुआ है। इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता, कैस्केडिंग पानी की मधुर ध्वनि के साथ, इसे एक शांत और सुरम्य स्थान बनाती है।
वॉटरफॉल के पास ही भगवान शिव को समर्पित प्राचीन भगवान सूर्यनाग मंदिर है। तीर्थयात्री अक्सर अपनी आध्यात्मिक यात्रा के हिस्से के रूप में मंदिर और वॉटरफॉल का दौरा करते हैं। टूरिस्ट्स यहाँ ट्रैक भी करते हैं जो कि एक छोटा और आसान सा ट्रैक है। वॉटरफॉल एक छोटा पूल बनाता है जहां पानी इकठ्ठा होता है। टूरिस्ट्स अक्सर पूल में डुबकी लगाते देखे जा सकते हैं। फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए यह एक अच्छी जगह है।
त्रिउंद ट्रैक – धर्मशाला टूरिस्ट प्लेस | Triund Trek – Dharamshala Tourist Places Hindi
त्रिउंद धौलाधार क्षेत्र में स्थित एक ट्रैक है जो अपने सुन्दर प्राकृतिक दृश्यों, अल्पाइन मीडोज़, और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। एडवेंचर एक्टिविटी में रूचि रखने वाले टूरिस्ट्स के लिए यह एक आकर्षण है। त्रुंद की ट्रैक आमतौर पर मैकलियोडगंज से शुरू होती है। यह ट्रैक लगभग लगभग 9 किलोमीटर का है। ट्रैक में लगने वाला टाइम व्यक्ति के फिटनेस पर निर्भर करता है।
त्रुंद के लिए ट्रैक धौलाधार रेंज और कांगड़ा घाटी के सुन्दर दृश्य से भरा हुआ है। रास्ते में ट्रैकर्स को हरे भरे जंगलों, रोडोडेन्ड्रोन और ओक के पेड़ों और घास के मैदानों में होकर जाना होता है जो कि एक न्य अनुभव होता है। लगभग 4 किलोमीटर ट्रैक करने पर ट्रैकर्स मैजिक व्यू कैफे पर रुकते हैं। कुछ देर आराम करने के बाद आगे बढ़ जाते हैं।
त्रुंद 2,875 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक मैदान है। यहाँ पर कैंपिंग का इंतजाम किया जाता है। कई ट्रेकर्स यहाँ रात बिताते हैं और सुबह उगते हुए सूर्य के सुन्दर नज़ारे को देखते हैं। त्रुंद में कैम्पिंग करने से ट्रैकर्स रात के समय स्टार गेजिंग कर सकते हैं और पहाड़ों में सुन्दर जगमगाती रात का अनुभव कर सकते हैं।
करेरी झील – धर्मशाला टूरिस्ट प्लेस | Kareri Lake – Dharamshala Tourist Places Hindi
करेरी झील, धर्मशाला शहर के पास, हिमालय की धौलाधार श्रृंखला में स्थित एक हिमनदी झील है। यह एक लोकप्रिय ट्रैकिंग पॉइंट है और अक्सर ट्रैकर्स यहाँ आना पसंद करते हैं। करेरी झील समुद्र तल से लगभग 2,950 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह धर्मशाला से लगभग 9 किलोमीटर दूर है और यहाँ ट्रेक कर पहुंचा जा सकता है।
करेरी झील तक की यात्रा आम तौर पर करेरी नामक गांव से शुरू होती है, जो बेस कैंप है। यह रास्ता घने देवदार के जंगलों, घास के मैदानों और छोटे-छोटे नालों से होकर ले जाता है। राउंड ट्रेक को पूरा करने में आमतौर पर लगभग 3 से 4 दिन लगते हैं।
ट्रेक का एक मुख्य आकर्षण रास्ते में बिखरी प्राकृतिक सुंदरता है। ट्रेकर्स को धौलाधार रेंज, घने जंगलों और करेरी की अल्पाइन घास के मैदानों की सुंदरता देखने को मिलती है। करेरी झील बर्फ से ढकी चोटियों से घिरी हुई है और इसी कारण से इसका आकर्षण और भी बढ़ जाता है।
करेरी झील के पास अक्सर टूरिस्ट्स / ट्रैकर्स कैम्पिंग करते हैं। शांत वातावरण और तारों भरी रातों का अनुभव करने के लिए ट्रेकर्स अक्सर झील के पास रुकते हैं। करेरी झील तक का रास्ता एकदम आसान नहीं है। यह रास्ता थोड़ा मुश्किल से भरा हो सकता है । अच्छा रहता है कि ट्रैक पर साथ ले जाने के लिए एक टूर गाइड हो, इससे रस्ते को जानने और समझने में मदद मिलती है।
धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम – धर्मशाला टूरिस्ट प्लेस | Dharamshala Cricket Stadium – Dharamshala Tourist Places Hindi
हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम, जिसे आमतौर पर धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम के रूप में जाना जाता है, धर्मशाला में बना क्रिकेट मैदान है। यह धर्मशाला शहर से लगभग 4 किलोमीटर दूर है। धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम की एक अनूठी विशेषता इसकी ऊंचाई है। यह समुद्र तल से 1,457 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जिससे यह दुनिया के सबसे ऊंचे क्रिकेट स्टेडियमों में से एक है।
इस स्टेडियम का निर्माण हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा किया गया था और वर्ष 2003 में इसका उद्घाटन किया गया था। स्टेडियम में 23,000 दर्शकों की बैठने की क्षमता है। धर्मशाला स्टेडियम ने कई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों की मेजबानी की है। यह क्रिकेट प्रशंसकों और खिलाड़ियों के लिए एक लोकप्रिय स्टेडियम बन गया है।
हिमालय की गोद में बना यह स्टेडियम, दर्शकों को आसपास के पहाड़ों के लुभावने दृश्य प्रदान करता है। शांत और सुरम्य सेटिंग इस स्थान पर क्रिकेट मैचों को देखना एक अनूठा और यादगार अनुभव है। धर्मशाला में आने वाले टूरिस्ट्स अक्सर स्टेडियम के आसपास की सुंदरता को देखने के लिए आते हैं ।
डल झील धर्मशाला – धर्मशाला टूरिस्ट प्लेस | Dal Lake – Dharamshala Tourist Places Hindi
डल झील को श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर में स्थित प्रसिद्ध डल झील से कंफ्यूज नहीं होना चाहिए। यह डल झील मैकलियोड गंज से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। डल झील अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती है। शांत वातावरण और साफ पानी में चारों ओर हरियाली से घिरी यह झील एक सुन्दर प्राकृतिक आकर्षण है। राधा अष्टमी के अवसर पर झील में एक वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है। तीर्थयात्री अक्सर इस त्योहार के दौरान झील के पवित्र जल में डुबकी लगाने हुए झील के परिक्रमा करने आते हैं। टूरिस्ट्स यहाँ बोटिंग करते देखे जा सकते हैं।
डल झील की प्राकृतिक सुंदरता इसे फोटोग्राफी के लिए एक शानदार जगह बनाती है। फोटोग्राफर्स अक्सर झील में रिफ्लेक्शन को कैप्चर करते हैं, विशेष रूप से सुबह या दोपहर के बाद ।
नोरबुलिंगका संस्थान - धर्मशाला टूरिस्ट प्लेस | Norbulingka Institute – Dharamshala Tourist Places Hindi
नोरबुलिंगका संस्थान धर्मशाला ज़िले में स्थित तिब्बती कला और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए स्थापित संस्था है। इस संस्थान का नाम ल्हासा, तिब्बत में नोरबुलिंगका पैलेस के नाम पर रखा गया है। नोरबुलिंगका संस्थान धर्मशाला शहर के पास कांगड़ा घाटी में स्थित है। यह मैकलियोडगंज से लगभग 8 किलोमीटर दूर सिद्धपुर क्षेत्र में स्थित है।
नोरबुलिंगका संस्थान की स्थापना वर्ष 1988 में केलांग और किम येशी ने पारंपरिक तिब्बती कला और शिल्प के संरक्षण के उद्देश्य से की थी। यह तिब्बती कलाकारों, शिल्पकारों और कलाकारों के प्रशिक्षण के लिए केंद्र है। नोरबुलिंगका संस्थान अपनी पारंपरिक तिब्बती आर्किटेक्चर के लिए जाना जाता है। इस संस्थान के अंदर की बिल्डिंग्स को ल्हासा में नोरबुलिंगका पैलेस की ही तरह बनाया गया है।
नोरबुलिंगका संस्थान में थांगका पेंटिंग स्टूडियो है जहां कलाकारों को इस प्राचीन तकनीक में प्रशिक्षित किया जाता है और यह इस कला के संरक्षण और संवर्धन में योगदान करता है। नोराबिंगका में वुडकारविंग एक और महत्वपूर्ण कला है। कुशल कारीगर पारंपरिक तिब्बती नक्काशी तकनीक से लकड़ी की सुन्दर मूर्तियां, फर्नीचर और अन्य डेकोरेशन का सामान बनाते हैं। यह संस्थान मेटलवर्क और एप्लीक्यू पर भी ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें कलाकार मेटल और फैब्रिक पर डिजाइन बनाते हैं। ये आर्ट तिब्बती धार्मिक और सांस्कृतिक प्रथाओं का अभिन्न अंग हैं।
नोरबुलिंगका संस्थान के भीतर लोसेल डॉल म्यूजियम पारम्परिक वेशभूषा में तिब्बती गुड़ियों का एक संग्रह है। ये गुड़िया तिब्बती जीवन और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं । नोरबुलिंगका संस्थान में नोरलिंग कैफे टूरिस्ट्स को आराम करने और ट्रेडिशनल तिब्बती डिश का आनंद लेने के लिए बना है । यह कैफे अपनी विशेष मेहमान सत्कार के लिए टूरिस्ट्स के बीच काफी प्रसिद्द है।
नोरबुलिंगका संस्थान वर्ष भर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और प्रदर्शनियों का आयोजन करता है। इस संस्थान में एक टूरिस्ट्स यहाँ के कलाकारों द्वारा बने हेंडीक्राफ्ट तिब्बती शिल्प, कपडे , पेंटिंग और अन्य सामान को खरीद सकते हैं।
सेंट जॉन चर्च – धर्मशाला टूरिस्ट प्लेस | Saint John Wilderness Church – Dharamshala Tourist Places Hindi
सेंट जॉन चर्च धर्मशाला ज़िले में स्थित एंग्लिकन चर्च है। यह धर्मशाला से लगभग 8 किलोमीटर दूर मैकलियोड गंज के पास पाइन और देवदार के जंगलों के बीच स्थित है। यह चर्च वर्ष 1852 में बनाया गया था। सेंट जॉन जंगल चर्च में नव-गोथिक आर्किटेक्चर से निर्मित है। इस चर्च में सुंदर रंगीन कांच की खिड़कियां इसका मुख्य आकर्षण हैं।
वॉर मेमोरियल – धर्मशाला टूरिस्ट प्लेस | War Memorial – Dharamshala Tourist Places Hindi
धर्मशाला में वॉर मेमोरियल महत्वपूर्ण स्मारक है जो विभिन्न युद्धों में शहीद हुए वाले वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि है। इस वॉर मेमोरियल का निर्माण प्रथम विश्व युद्ध, द्वितीय विश्व युद्ध और बाद के संघर्षों में अपनी जान देने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि के रूप में किया गया था।
धर्मकोट गांव – धर्मशाला टूरिस्ट प्लेस | Dharmkot Village -Dharamshala Tourist Places Hindi
धर्मकोट धर्मशाला क्षेत्र में मैकलियोडगंज के पास स्थित एक गाँव है। यह एक शांत और सुंदर जगह है। यह गाँव धौलाधार पहाड़ों और कांगड़ा घाटी के सुन्दर नज़रों के लिए जाना जाता है। इस गांव की प्राकृतिक सुंदरता इसे टूरिस्ट्स के बीच काफी लोकप्रिय बनती है।
धर्मकोट योग और ध्यान में रूचि रखने वालों के लिए एक आकर्षण है। यहां कई योग सेण्टर और रिट्रीट सेंटर हैं जो योग, ध्यान और उपचार में वर्कशॉप का आयोजन करते हैं। धर्मकोट गांव में बहुत से कैफे और रेस्टोरेंट हैं जहाँ टूरिस्ट्स शांत वातावरण में आनंद ले सकते हैं।
धर्मकोट सनसेट पॉइंट टूरिस्ट्स के बीच लोकप्रिय हैं। यह गांव मक्लॉयडगंज की तुलना में काफी कम भीड़ वाला होता है। इसीलिए जो टूरिस्ट्स भीड़ से बचना चाहते हैं पहाड़ों में शांति से समय बिताना पसंद करते हैं उनके लिए ये एक पसंदीदा जगह है।
चिन्मय तपोवन – धर्मशाला टूरिस्ट प्लेस | Chinmay Tapovan – Dharamshala Tourist Places Hindi
चिन्मय तपोवन धर्मशाला के पास स्थित एक आध्यात्मिक आश्रम है। यह ब्यास नदी की सहायक नदी बिन्दु सारस के किनारे पर स्थित है। चिन्मय तपोवन आश्रम की स्थापना आध्यात्मिक शिक्षक और चिन्मय मिशन के संस्थापक स्वामी चिन्मयानंद द्वारा की गई थी। चिन्मय तपोवन एक आध्यात्मिक रिट्रीट के रूप में काम करता है। यह आश्रम वेदांत की शिक्षाओं का पालन करता है, जो आत्म-बोध के महत्व पर जोर देता है।
आश्रम में ध्यान, सत्संग, योग और वेदांत दर्शन पर वर्कशॉप आयोजित की जाती हैं। आश्रम में भगवान राम को समर्पित एक मंदिर है। चिन्मय तपोवन में वेदांत, आध्यात्मिकता और अन्य संबंधित विषयों पर जानकारी के लिए एक बड़ी लाइब्रेरी भी है।
यह आश्रम हिमालय की तलहटी की प्राकृतिक सुंदरता के बीच बना है।चारों तरफ की हरियाली और बहती बिंदु सरस नदी इसे प्रकृति का बहुत सुन्दर रूप प्रदान करते हैं। आश्रम में स्थापित ध्यानलिंग, एक ध्यान स्थल है। चिन्मय तपोवन में लम्बे समय तक रहने के लिए आवासीय सुविधाएं भी दी जाती हैं।
मैक्लॉडगंज – धर्मशाला टूरिस्ट प्लेस | McLeodGanj – Dharamshala Tourist Places Hindi
मैक्लॉडगंज धर्मशाला का एक उपनगर है। यह कांगड़ा घाटी के ऊपरी हिस्से में बसा हुआ है जहां से धर्मशाला शहर दिखता है। मैकलियोडगंज अपने सुन्दर परिदृश्यों, तिब्बती संस्कृति और 14वें दलाई लामा के निवास सहित निर्वासित तिब्बती सरकार के साथ अपने जुड़ाव के लिए जाना जाता है।
मैक्लॉडगंज को इसकी तिब्बती आबादी के कारण अक्सर “छोटा ल्हासा” कहा जाता है। इस क्षेत्र में तिब्बती संस्कृति का गहरा प्रभाव है। प्रसिद्द नामग्याल मठ मैक्लॉडगंज में स्थित है। यह मठ 14वें दलाई लामा का निजी मठ है और तिब्बती बौद्ध शिक्षा और अभ्यास का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
धर्मशाला में खाना | Food in Dharamshala
धर्मशाला में तिब्बती डिश काफी प्रचलित हैं। यहाँ मोमोज़, थुकपा (नूडल सूप), टिंगमो (उबले हुए ब्रेड), और पारंपरिक तिब्बती बटर चाय का स्वाद ले सकते हैं। इसके आलावा यहाँ हिमाचल का खाना तो मिलता ही है। हिमची डिश में सिदु (उबले हुए ब्रेड), पटांडे (पैनकेक) और लाल चावल की डिश शामिल हैं। भारतीय खाने के अन्य ऑप्शन तो हैं ही साथ ही इंटरनेशनल कैफ़े और रेस्टोरेंट्स में खाने का आनंद ले सकते हैं। धर्मशाला में एक बड़ा हिस्सा इज़राइली टूरिस्ट्स का आता है और इसीलिए यहाँ मुख्य इज़राइली डिश फ़लाफ़ेल, हम्मस और शक्शुका आदि भी ट्राई किये जा सकते हैं।
धर्मशाला बेकरी भी काफी अच्छे ऑप्शन टूरिस्ट्स के लिए उपलब्ध करते हैं। यह एरिया अपने चाय बागानों के लिए जाना जाता है।
धर्मशाला कब जाएं | Best time to visit Dharamshala
मार्च से जून के बीच का समय धर्मशाला जाने के लिए सबसे अच्छा है। इस दौरान यहाँ मौसम सुहावना होता है, तापमान लगभग 15°C से 25°C के बीच होता है । यह समय आउटडोर एक्टिविटी के लिए सबसे अच्छा है। इस दौरान प्राकृतिक सुंदरता भी अपने चरम पर होती है। चारों तरफ फूल खिले हुए होते हैं पूरा क्षेत्र रंगों से सरोबार होता है।
जून से सितंबर के बीच तापमान 22°C से 35°C के बीच होता है। यह समय मैक्लोडगंज और त्रिउंड ट्रेक के लिए सबसे अच्छा है। इस दौरान अक्सर शाम के समय थोड़ी ठण्ड होती है लेकिन दिन के समय मौसम सुहाना होता है। जुलाई से सितंबर के बीच काफी बारिश होती है। इस दौरान लैंड स्लाइडिंग के कारण सड़कें बंद हो सकती हैं।
अक्टूबर से नवंबर के दौरान तापमान 10°C से 25°C तक होता है। यह समय ट्रैकिंग और आउटडोर एक्टिविटी के लिए अच्छा है। इस दौरान मौसम साफ होता होता है दूर दूर तक पहाड़ों की रेंज देखि जा सकती हैं।
दिसंबर से फरवरी के बीच यहाँ काफ़ी ठंड हो सकती है और तापमान -1°C से 9°C के बीच हो सकता है। इस दौरान अक्सर यहाँ बर्फ भी पड़ती है।
कैसे पहुंचे | How to reach Dharamshala
धर्मशाला सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, और इसके सबसे नजदीक का एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन देश के बाकी हिस्सों से सुचारु रूप से जुड़ा है।
फ्लाइट से | By Flight
धर्मशाला का सबसे नजदीक का एयरपोर्ट गग्गल एयरपोर्ट है, जिसे एयरपोर्ट के नाम से भी जाना जाता है। यह धर्मशाला से लगभग 12 किलोमीटर दूर है। एयरपोर्ट से धर्मशाला के लिए टैक्सी या बस से आ सकते हैं।
ट्रेन से | By Train
धर्मशाला का सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन पठानकोट में है, जो भारत के विभिन्न शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। पठानकोट रेलवे स्टेशन धर्मशाला से लगभग 85 किलोमीटर दूर है। पठानकोट से धर्मशाला पहुंचने के लिए आप टैक्सी किराये पर ले सकते हैं या बस से पहुँच सकते हैं।
सड़क द्वारा | By Road
धर्मशाला सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, और उत्तर भारत के प्रमुख शहरों से धर्मशाला के लिए बसें उपलब्ध हैं। कई प्राइवेट बस ऑपरेटर दिल्ली, चंडीगढ़ और शिमला जैसे शहरों से धर्मशाला के लिए सेवाएं प्रदान करते हैं।
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