Ratu Mahal Hindi : रातू महल रांची में स्थित नागवंश राजाओं का लगभग 150 साल पुराना महल है। इसे रातू गढ़ के नाम से भी जाना जाता है। छोटा नागपुर पर शासन करने वाले नागवंशी राजाओं के 61 वे राजा प्रताप उदयनाथ शहदेव ने रातू महल का निर्माण कराया था। नागवंशी शासन झारखण्ड में ही नहीं बल्कि भारत में सबसे पुराने राजवंश के रूप में माना जाता है।
रातू महल – नागवंश की स्थापना | Ratu Mahal Hindi – Nagvansh
नागवंश की स्थापना करने वाले नाग वंश के पहले महाराज का नाम महाराजा फणी मुकुट राय था। फणी मुकुट राय जी को नाग वंश की स्थापना करने के कारण आदि पुरुष भी कहा जाता था।
नाग वंश की स्थापना | Establishment of Nagvansh – Ratu Mahal Hindi
माना जाता है कि आज के समय जो पिठौरिया स्थान है , उसी पिठौरिया के निकट स्थित सुतियाम्बे गढ़ में नागवंशी शासन की स्थापना हुई थी। उस समय इस स्थान में आदिवासियों का वर्चस्व हुआ करता था। वहां पर आदिवासी राजा मदरा मुंडा राज्य किया करते थे। एक दिन राजा मदरा मुंडा को तालाब के किनारे एक नवजात शिशु दिखाई दिया। राजा मुदरा मुंडा ने देखा कि उस नवजात शिशु की रक्षा एक फन धारी नाग कर रहा था। राजा मदरा मुंडा उस नवजात बालक को अपने साथ ले आए और उन्होंने उस बच्चे का नाम फणी मुकुट रखा।
इस बच्चे को राजा मुदरा मुंडा ने अपने बच्चे की तरह ही पाला और राजा मदरा मुंडा ने फणी मुकुट को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। इस तरह से फणि मुकुट के राजा बनने के साथ ही नागवंश की स्थापना हुई। इस वंश को नागवंश इसलिए कहा गया क्योंकि उस नवजात बच्चे के रक्षा एक नाग रहा था।
इसीलिए महाराजा फणी मुकुट नाग वंश के पहले महाराजा के नाम से जाने जाते हैं। उन्हीं के वंशजों ने यह रातू महल बनवाया था। ऐसा माना जाता है कि महाराजा फणी मुकुट शक्ति के उपासक थे और उन्ही के द्वारा यहां पर दुर्गा पूजा का प्रारंभ किया गया था।
नागवंश की विशेषता | Nagvansh No Tax Policy
नागवंशी राजघराने से संबंधित जानकारी के अनुसार कहा जाता है कि नागवंश दुनिया का एक पहला ऐसा शासन था जिसमें कभी भी प्रजा से किसी प्रकार का कोई लगान या कर नहीं लिया गया । नागवंश राजा कभी भी अपनी प्रजा से किसी प्रकार का कोई कर नहीं लेते थे जिसके कारण राजा को प्रजा त्योहारों और कुछ विशेष अवसरों पर अपनी इच्छा से उपहार दिया करते थे। यह भी कहा जाता है कि नागवंशी राज परिवार ने कभी भी अपनी कोई स्थाई सेना नहीं बनाई थी।
नाग वंश का इतिहास | History of Nagvansh
नागवंश को झारखण्ड या भारत का ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में सबसे पुराने चले राजवंशों में से एक माना जाता है। विश्व में सबसे पुराना राजवंश जो अभी तक चला आ रहा है वह बेल्जियम का राजवंश है। इस कड़ी में जापान और वियतनाम के राजवंश भी शामिल हैं। विश्व के अब तक चले आ रहे सबसे पुराने राजवंशों में नागवंश पांचवा सबसे पुराना राजवंश माना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि नागवंश का इतिहास 2000 साल का रहा है । समय समय पर नागवंशी राजाओं ने इस क्षेत्र के और लोगों के लिए काम किया। नवरतन किला नागवंशी राजा दुर्जन साल द्वारा बनवाया गया था और यह पहला किला था जो किसी नागवंशी राजा ने अपने लिए बनवाया था। उससे पहले नागवंशी राजा प्रजा की बीच साधारण तरीके से रहना ही पसंद करते थे। नागवंश के इस 2000 साल के इतिहास में महाराजा उदय प्रताप सिंह एक अकेले ऐसे राजा थे जिन्होंने लगभग 81 सालों तक शासन कार्य किया था।
रातू महल – निर्माण | Ratu Mahal Hindi
रातू महल का निर्माण सन 1870 में प्रारंभ हुआ था लेकिन कहीं-कहीं पर इसका निर्माण सन 1901में भी होने का जिक्र मिलता है । महाराजा प्रताप उदय नाथ शहदेव द्वारा रातू महल का निर्माण कराया गया था। उन्होंने कोलकाता के ब्रिटिश कंपनी से रातू महल का निर्माण कराया था। रातू महल को बर्किंघम पैलेस की तरह के आर्किटेक्चर के अनुसार बनाया गया है।
इस महल में दो मंजिलें बनी हुई है और इस महल के अंदर 103 कमरे बने हुए हैं। रातू महल 22 एकड़ जमीन में फैला हुआ है। रातू महल के मुख्य द्वार के ठीक सामने दुर्गा मंडप है।
रातू महल – दुर्गा मंडप | Durga Mandap – Ratu Mahal
रातू महल में दुर्गा मंडप देवी दुर्गा को समर्पित है और हर साल नवरात्री के मौके पर इसे आम जनता के लिए खोला जाता है। इस मंदिर का निर्माण महाराजा चिंतामणि द्वारा कराया गया था। राजा चिंतामणि नाथ शहदेव नागवंश के अंतिम राजा थे।
इस मंडप में स्थित देवी दुर्गा के ऊपर एक सोने के छतरी लगी है और कहा जाता है कि यह छतरी नागवंश जितनी ही पुरानी है। इस दुर्गा मंदिर के सामने बलि देने के लिए भी स्थान बना हुआ है और बलि की यह परंपरा अभी भी यहाँ पर मानी जाती है।
हर साल नवरात्रों में यहाँ मेले और उत्सव का आयोजन होता है और बड़ी संख्या में रातू की जनता इसमें शामिल होती है।
रातू महल में पहली मंजिल पर अतिथियो के लिए अतिथि शाला बनवाई गई थी। इसमें अनेको प्रकार के प्राचीन वाद्य यंत्र भी देखे जा सकते हैं। प्रकृति प्रेमी रहे इस राजवंश के वंशज गोपाल शरण नाथ शाहदेव ने यहाँ पक्षी उद्यान का भी निर्माण कराया था।
धूप घड़ी -रातू महल | Dhoop Ghadi – Ratu Mahal
रातू महल में धूप घडी का निर्माण कराया गया था जो दुर्गा पूजा के समय ही दर्शकों के लिए खोली जाती है। इस धूप घडी में धूप के अनुसार समय का अंदाजा लगाया जा सकता है।
रातू महल परिसर में ही सूर्य मंदिर और जगन्नाथ मंदिर का निर्माण किया गया था। जगन्नाथ पुरी की ही तरह यहाँ जगन्नाथ मंदिर से रथ यात्रा निकली जाती है। इस यात्रा के दौरान यहाँ एक विशाल मेले का भी आयोजन होता है। रातू महल को लाल किला भी कहते हैं क्योंकि इस महल को बनाने में लाल ईंटों का प्रयोग किया गया था।
रातू महल झारखण्ड के नागवंशी शासन के इतिहास का एक पन्ना है। यह महल भारत के प्रसिद्द महलों में गिना जाता है।
रातू महल – आस पास | Near by Places – Ratu Mahal
रांची झारखंड की राजधानी और एक टूरिस्ट प्लेस के रूप में खासा प्रसिद्द है। रांची से केवल १६ किलोमीटर दूर स्थित रातू महल के साथ साथ टूरिस्ट्स रांची के बाकि टूरिस्ट प्लेस को भी अपनी जर्नी के दौरान कवर कर सकते हैं। रांची स्थित जगन्नाथ मंदिर , सूर्य मंदिर , प्राकृतिक झरने और बायोलॉजिकल पार्क खासे प्रसिद्द हैं।
रातू महल कैसे पहुचें | How to reach Ratu Mahal
रातू महल पहुंचने के लिए रांची से रातू तक की दूरी सड़क के रास्ते तय कर सकते हैं। रांची स्थित बिरसा मुंडा एयरपोर्ट से रातू के लिए टैक्सी या रेंट कार ले सकते हैं। अगर आप ट्रेन से ट्रेवल कर रहे हैं तो रांची स्टेशन से सड़क के रास्ते रातू महल देखने के लिए आसानी से पहुंच सकते हैं।
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