Thiksey Monastery in Hindi : थिकसे मोनेस्ट्री या थिकसे मठ लेह से लगभग 19 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। थिकसे मोनेस्ट्री लद्दाख की समृद्ध बौद्ध विरासत का एक शानदार प्रतीक है। थिकसे मोनेस्ट्रीअपने विशेष आर्किटेक्चर के लिए लद्दाख में एक प्रसिद्द टूरिस्ट आकर्षण है।
थिकसे मोनेस्ट्री इतिहास | History – Thiksey Monastery in Hindi
थिकसे गोम्पा की स्थापना 15 वीं शताब्दी में, सन 1430 के आसपास, तिब्बती बौद्ध अनुयायी पाल्डेन शेरब द्वारा की गई थी। थिकसे मोनेस्ट्री बौद्ध धर्म के गेलुग्पा संप्रदाय से सम्बंधित है। गेलुग्पा परंपरा काफी कठोर अनुशासन का अनुसरण करता है।
थिकसे मोनेस्ट्री को नामग्याल राजवंश और उनके बाद भी लद्दाख के शासकों ने संरक्षण और समर्थन दिया। उन्ही शासकों के संरक्षण में यहाँ पर बौद्ध धर्म काफी फला फूला। गेलुग्पा संप्रदाय ने बौद्ध भिक्षुओं के आध्यात्मिक और शैक्षिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।
20 वीं शताब्दी में, लद्दाख में बौद्ध धर्म का पुनरुद्धार हुआ, जिसमें थिकसे मोनेस्ट्री ने एक केंद्रीय भूमिका निभाई।
आर्किटेक्चर – थिकसे मोनेस्ट्री | Architectural Features – Thiksey Monastery in Hindi
थिकसे मोनेस्ट्री अपने विशेष आर्किटेक्चर के लिए जाना जाता है। थिकसे मोनेस्ट्री एक पहाड़ी पर स्थित है और यह कई मंजिला ऊंचा मठ है। मोनेस्ट्री का आर्किटेक्चर तिब्बती शैली से खासा प्रभावित है।
प्रार्थना हॉल थिकसे मोनेस्ट्री | Prayer Hall – Thiksey Monastery in Hindi
थिकसे मोनेस्ट्री में एक प्रार्थना हॉल और आस पास कई महत्वपूर्ण कक्ष और मंदिर बनाये गए हैं। यह मोनेस्ट्री तिब्बत के ल्हासा में प्रसिद्ध पोटाला पैलेस से बहुत कुछ मिलता जुलता है।
सेंट्रल असेंबली हॉल | Assembly Hall – Thiksey Monastery in Hindi
थिकसे मोनेस्ट्री में बना असेंबली हॉल इसका मुख्य आकर्षण है। असेंबली हॉल को गोनखांग कहा जाता है। गोनखांग को बौद्ध धर्म से प्रभावित पेंटिंग्स, मूर्तियों आदि से सुन्दर रूप में सजाया गया है। हॉल के दीवारों पर बनी पेंटिंग्स में बौद्ध धर्म की विभिन्न शिक्षाओं और भगवान बुद्ध के जीवन से सम्बंधित अनेकों घटनाओं कोदिखाया गया है।
मैत्रेय मंदिर – Maitrey Temple – Thiksey Monastery in Hindi
थिकसे मोनेस्ट्री में स्थि मैत्रेय मंदिर यहाँ का सबसे बड़ा आकर्षण है। मैत्रेय मंदिर भगवान बुद्ध के भविष्य रूप को समर्पित है। बौद्ध धर्म में यह विश्वास किया जाता है कि भगवान बुध एक बार फिर से मैत्रेय रूप में आएंगे। मैत्री मंदिर में बुद्ध मैत्रेय की एक विशाल मूर्ति है। यह मूर्ति लगभग 15 मीटर ऊंची है और दुनिया की सबसे बड़ी मैत्रेय मूर्तियों में से एक है।
पेंटिंग | Wall Paintings – Thiksey Monastery in Hindi
थिकसे मोनेस्ट्री की दीवारें सुन्दर पेंटिंग्स से सजी हुई हैं। ये पेंटिंग बौद्ध धर्म से सम्बंधित कहानियों, धर्मग्रंथों और भगवान बुद्ध के जीवन की घटनाओं का वर्णन करती हैं। बौद्ध धर्म की मोनेस्ट्री में दीवारों गयी पेंटिंग्स में आमतौर पर चमकीले रंगों का इस्तेमाल होता है , खासकर लाल,गोल्डन और नीले रंग का इनमें इस्तेमाल किया जाता है ।
आंगन | Courtyard – Thiksey Monastery in Hindi
थिकसे मोनेस्ट्री में गार्डन और मैडिटेशन हॉल के बीच एक बड़ा आंगन बना हुआ है जो यहाँ आने वालों को शांति का अनुभव कराता है।
प्रार्थना चक्र | Prayer Wheel – Thiksey Monastery in Hindi
बौद्ध मोनेस्टरी में प्रार्थना चक्र बने होते हैं जिन पर श्लोक लिखे होते हैं। श्रद्धालु इन प्रार्थना चक्रों को घूमते हैं और उनका मानना है कि प्रार्थना चक्रों को इस तरह घुमाने से उन पर लिखे श्लोकों का प्रभाव आस पास के हवा में मिल जाता है।
स्तूप | Stoop – Thiksey Monastery in Hindi
थिकसे मोनेस्ट्री परिसर में कई स्तूप बने हुए हैं। इन स्तूप पर (बौद्ध मंदिर) हैं। इन स्तूप पर झंडे लगे हैं जो इनकी शोभा और बढ़ा देते हैं। अक्सर यहाँ पर श्रद्धालु मैडिटेशन करने आते हैं।
फेस्टिवल ग्राउंड | Festival Ground – Thiksey Monastery in Hindi
थिकसे मोनेस्ट्री में धार्मिक और सांस्कृतिक एक्टिविटी होती रहती हैं। गुस्टर फेस्टिवल यहाँ मनाया जाता है और इस मौके पर भिक्षु मुखौटा डांस करते हैं।
महत्त्व – थिकसे मोनेस्ट्री | Significance – Thiksey Monastery in Hindi
थिकसे मोनेस्ट्री लद्दाख में बौद्ध धर्म के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक आध्यात्मिक केंद्र है। यहाँ स्थित मैत्रेय मंदिर बौद्ध धर्म में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। मोनेस्ट्री धार्मिक समारोहों, त्योहारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन कराता है।
थिकसे मोनेस्ट्री में बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षु पूजा, ध्यान और शिक्षा के लिए आते हैं। हिमालय की गोद में बसे इस मोनेस्ट्री में शांत वातावरण और आध्यात्मिकता का अनुभव का अनुभव बहुत नया सा लगता है। बहुत से लोग आंतरिक शांति और आध्यात्मिक सुख के लिए थिकसे मोनेस्ट्री आते हैं।
थिकसे मोनेस्टरी में शिक्षा की एक प्राचीन परंपरा है। प्राचीन समय के गुरुकुल की ही तरह यहाँ आये बौद्ध भिक्षु यहीं पर रहते हैं और बौद्ध दर्शन, धर्मग्रंथों, अनुष्ठानों और तिब्बती बौद्ध धर्म के अनेक पहलुओं में शिक्षा ग्रहण करते हैं। थिकसे मोनेस्ट्री बौद्ध ज्ञान के संरक्षण और प्रचार प्रसार के लिए विशेष रूप से काम करता है।
अनेकों तीर्थयात्री और टूरिस्ट्स बौद्ध धर्म को समझने और इसकी संस्कृति का अनुभव करने के लिए थिकसे मोनेस्ट्री आते हैं।
थिकसे मोनेस्ट्री – टूरिस्ट आकर्षण | Tourist Attraction: Thiksey Monastery in Hindi
थिकसे मोनेस्ट्री न केवल एक धार्मिक और आध्यात्मिक सेण्टर है बल्कि यह लद्दाख का प्रसिद्द टूरिस्ट आकर्षण भी है। टूरिस्ट्स यहाँ आकर हिमालय का और लद्दाख का सुन्दर व्यू देखते हैं। यहाँ से सिंधु घाटी और आसपास का नजारा बेहद सुन्दर लगता है। टूरिस्ट्स यहाँ फोटोग्राफी करने और यहाँ के शांत वातावरण में समय बिताना बहुत पसंद करते हैं।
टूरिस्ट्स यहाँ आने पर लद्दाख की संस्कृति को समझते हैं और बौद्ध धर्म के बारे में जान सकते हैं। थिकसे मोनेस्ट्री में होने वाला गस्टर फेस्टिवल लोकप्रिय है और टूरिस्ट्स के बीच यह मुखौटा डांस के रूप में प्रसिद्द है। लद्दाख की सांस्कृतिक परंपराओं और और यहाँ पसरे अध्यात्म को समझने के लिए गस्टर फेस्टिवल सही अवसर होता है।
थिकसे मोनेस्ट्री अपने विशेष तिब्बती शैली के आर्किटेक्चर, इसकी सुंदरता, इसके सांस्कृतिक समृद्धता और वातावरण के लिए खास तौर पर लद्दाख के प्रसिद्द टूरिस्ट प्लेस में से एक है। यहाँ रखी प्राचीन पांडुलिपियां, थंगका (धार्मिक पेंटिंग), मूर्तियां और अन्य कलाकृतियां इस क्षेत्र और बौद्ध धर्म के इतिहास की जानकारी देते हैं।
कब जाएं थिकसे मोनेस्ट्री | Best time to Visit – Thiksey Monastery in Hindi
थिकसे मोनेस्ट्री और लद्दाख की विजिट के लिए अप्रैल से सितम्बर तक का मौसम सबसे अच्छा रहता है। अधिकतर टूरिस्ट लद्दाख इसी दौरान आते हैं। इस दौरान यहाँ ला मौसम थोड़ा काम ठंडा होता है। इस दौरान यहाँ ग्लेसिअर के बर्फ पिघलती है जिससे थोड़ी हरियाली भी देखने को मिल सकती है।
अगर आप अक्टूबर नवंबर में यहाँ आना चाहते हैं तो उस दौरान यहाँ टूरिस्ट के संख्या कुछ कम होती है और काफी शांति यहाँ होती है। फोटोग्राफी के लिए यह समय सबसे अच्छा रहता है। इस दौरान मौसम थोड़ा ठंडा होने लगता है लेकिन तापमान बहुत ज्यादा नहीं गिरता है।
नवंबर से फरवरी के बीच लद्दाख बर्फ से ढक जाता है और इस समय में यहाँ ट्रेवल करना काफी मुश्किल होता है। तापमान काफ़ी गिर जाता है और अक्सर ज़ीरो से काफी नीचे रहता है।
कैसे पहुँचे – थिकसे मोनेस्ट्री | How to reach – Thiksey Monastery in Hindi
फ्लाइट द्वारा | By Flight
लेह पहुंचने का सबसे आसान तरीका हवाई मार्ग है। लेह का अपना एयरपोर्ट , कुशोक बकुला रिम्पोची एयरपोर्ट (IXL) है,जहाँ के लिए दिल्ली, मुंबई और श्रीनगर सहित भारत के सभी मुख्य शहरों से फ्लाइट कनेक्टिविटी है।
सड़क मार्ग से | By Road
अगर आप रोड ट्रेवल करना चाहते हैं तो लेह पहुंचने के लिए मनाली और श्रीनगर जैसे शहरों से सड़क द्वारा ट्रेवल करते हुए पहुंच सकते हैं। ये रास्ते प्राकृतिक सुंदरता के ख़जाने से कम बिलकुल नहीं हैं। इसके लिए पहले से ही रास्तों के स्थिति और कनेक्टिविटी चेक कर लेना चाहिए।
लेह से थिकसे मोनेस्ट्री के लिए लगभग 19 किलोमीटर की दूरी तय करके पहुंच सकते हैं। यहाँ टैक्सी, ऑटो-रिक्शा या फिर अपने कार से भी पहुंच सकते हैं। लेह में टैक्सियाँ और लोकल ट्रांसपोर्ट के सुविधा काफी अच्छी है। चाहें तो लेह पहुंच कर टूर एंड ट्रेवल ऑपरेटर की मदद से भी आप अपनी लद्दाख जर्नी प्लान कर सकते हैं।
थिकसे मोनेस्ट्री आम तौर पर दिन के समय टूरिस्ट्स के लिए खुला रहता है। हालाँकि यह टाइम पहले से पता कर लेना ज्यादा अच्छा रहता है। अगर आप फेस्टिवल के लिए वहां जाना चाहते हैं तो मोनेस्ट्री के लिए परमिशन आदि का पहले से ही पता कर लें।
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