Hemis Monastery in Hindi : हेमिस मोनेस्ट्री लद्दाख के हिमालयी क्षेत्र में हेमिस गाँव में स्थित है। हेमिस मोनेस्ट्री लद्दाख के के सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण मोनेस्ट्री में से एक है। हेमिस मोनेस्ट्री ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से लद्दाख और इसके सांस्कृतिक विकास में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। हेमिस मोनेस्ट्री सुन्दर और शांत वातावरण में, बौद्ध धर्म की एक सांस्कृतिक विरासत है।
इतिहास – हेमिस मोनेस्ट्री | History – Hemis Monastery in Hindi
हेमिस मठ का निर्माण 17वीं शताब्दी की शुरुआत में लद्दाख के राजा सेंगगे नामग्याल के संरक्षण में किया गया था। यह मठ तिब्बती बौद्ध धर्म के द्रुक्पा वंश का एक हिस्सा है और माना जाता है कि इसका निर्माण 1630 में किया गया था। द्रुक्पा वंश इस क्षेत्र में अपने मजबूत प्रभाव के लिए जाना जाता है और इसने हिमालय क्षेत्र में बौद्ध धर्म के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
ऐसा माना जाता है कि हेमिस मोनेस्ट्री का निर्माण सन 1630 में कराया गया था। द्रुक्पा वंश ने हिमालय के इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म के प्रचार और प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हेमिस मोनेस्ट्री की स्थापना द्रुक्पा शाखा से स्टैगसांग रास्पा द्वारा की गई थी।
हेमिस मोनेस्ट्री अपनी स्थापना से ही लद्दाख में एक प्रभावशाली संस्था के रूप में जाना जाने लगा था। मोनेस्ट्री में आयोजित होने वाला हेमिस त्सेचु उत्सव बड़ी संख्या में बौद्ध तीर्थयात्रियों को और टूरिस्ट्स को आकर्षित करता है।
आर्किटेक्चर – हेमिस मोनेस्ट्री | Architecture – Hemis Monastery in Hindi
हेमिस मोनेस्ट्री तिब्बती शैली में बना आर्किटेक्चर है। यह आर्किटेक्चर ट्रेडिशनल तिब्बती और लद्दाखी शैली का मिश्रण है। पहाड़ी क्षेत्र में बनी अन्य मोनेस्ट्री की ही तरह हेमिस मोनेस्ट्री की बिल्डिंग भी पत्थर, मिट्टी की ईंटों और लकड़ी से बनाई गई हैं। हिमालय क्षेत्र में घरों और बड़ी बिल्डिंग के आर्किटेक्चर इसी तरह से बनाये जाते हैं जिससे हिमालय के कठोर ठण्ड के मौसम में इन्सुलेशन बना रहता है और बिल्डिंग के अंदर ठण्ड का बहुत प्रभाव नहीं पड़ता है।
विशाल आंगन – हेमिस मोनेस्ट्री लद्दाख | Hemis Monastery in Hindi
मोनेस्ट्री के परिसर में बीच में एक विशाल आंगन बना हुआ है जिसके चारों ओर अन्य भाग बने हुए हैं। इस आंगन में धार्मिक समारोहों और त्यौहार के मौके पर विशेष आयोजन किया जाता है।
स्तूप:हेमिस मोनेस्ट्री में स्तूप बने हुए हैं और इन पर झंडे लगे रहते हैं। ये स्तूप बौद्ध धर्म में एक विशेष संरचना होती है और इसे भगवान बुद्ध के शांत स्वाभाव और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है।
दुखांग (असेंबली हॉल) – हेमिस मोनेस्ट्री लद्दाख
मोनेस्ट्री का मुख्य असेंबली हॉल दुखांग कहलाता है। इस हॉल में बौद्ध भिक्षु अपनी दैनिक प्रार्थना क्रिया , अनुष्ठान और धार्मिक समारोहों और उत्सव के लिए इकट्ठा होते हैं। दुखांग हॉल को बौद्ध धर्म से प्रेरित रंगीन पेंटिंग्स, थांगका (कपड़े पर धार्मिक पेंटिंग) और बौद्ध देवताओं की मूर्तियों से सजाया जाता है।
मणि दीवारें – हेमिस मोनेस्ट्री लद्दाख
मोनेस्ट्री के रास्तों में और खुले एरिया में मणि दीवारें जो कि पत्थरों से बनी होती हैं और उन पर श्लोक मन्त्र आदि लिखे होते हैं , देख सकते हैं। ये दीवारें और इन पर लिखे मन्त्र आशीर्वाद देने वाले माने जाते हैं। यहाँ आस पास लोग मैडिटेशन के लिए आते हैं ।
दीवारों पर पेंटिंग – हेमिस मोनेस्ट्री लद्दाख
मोनेस्ट्री की दीवारें सुन्दर पेंटिंग्स से सजी हुई हैं। ये पेंटिंग्स अक्सर चमकीले रंगों से बनी होती हैं और बौद्ध धर्म के विभिन्न शिक्षाओं , कहानियों और भगवान बुद्ध के जीवन के विभिन्न घटनाओं का चित्रण करती हैं।
फ्रेस्को और म्यूरल – हेमिस मोनेस्ट्री लद्दाख
हेमिस मोनेस्ट्री में फ्रेस्को और म्यूरल्स से सजी नक्काशी देख सकते हैं। लकड़ी पर किया गया बारीक नक्काशीदार काम, ट्रेडिशनल तिब्बती डिजाइन यहाँ तिब्बती आर्किटेक्चर से गहरा परिचय करा देता है।
लाइब्रेरी और म्यूजियम – हेमिस मोनेस्ट्री लद्दाख
मोनेस्ट्री के अंदर लाइब्रेरी और म्यूजियम स्थित है। बौद्ध मोनेस्ट्री में लाइब्रेरी एक जरूरी भाग होता है। बौद्ध भिक्षु यहाँ प्राचीन बौद्ध धर्म ग्रंथों की शिक्षा लेने आते हैं।
थांगका – हेमिस मोनेस्ट्री लद्दाख
थांगका एक विशेष पेंटिंग है जो एक विशेष कपडे पर की जाती है। थांगका बौद्ध धर्म में अक्सर मोनेस्ट्री में देखे जाते हैं। कपड़े पर बौद्ध धर्म से सम्बंधित धार्मिक चित्र दर्शाये जाते हैं और इसे थांगका कहा जाता है। थांगका धार्मिक कला का एक विशेष रूप हैं ।
महत्त्व – हेमिस मोनेस्ट्री | Significance – Hemis Monastery in Hindi
हेमिस मोनेस्ट्री लद्दाख में सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक संस्थानों में से एक है। द्रुक्पा वंश का हिमालय के इस क्षेत्र में बहुत गहरा प्रभाव है। द्रुक्पा वंश को अपनी विशेष आध्यात्मिक शिक्षाओं और धार्मिक प्रथाओं के लिए जाना जाता है। हेमिस मोनेस्ट्री इन्ही धार्मिक प्रथाओं और आध्यात्मिक शिक्षाओं का महत्वपूर्ण केंद्र है।
एक आध्यात्मिक केंद्र के रूप में हेमिस मोनेस्ट्री का विशेष स्थान है। यहाँ बौद्ध भिक्षु अध्यात्म , शिक्षा, ध्यान, धार्मिक अनुष्ठानऔर बौद्ध धर्मग्रंथों की शिक्षा लेते हैं और इनके संरक्षण के लिए काम करते हैं।
हेमिस त्सेचु यहाँ मनाया जाने वाला वार्षिक उत्सव है जो लद्दाख में सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों में से एक है। यह उत्सव गुरु पद्मसंभव , जिन्हें बौद्ध धर्म की तिब्बती शाखा का संस्थापक माना जाता है , के जनदिन पर मनाया जाता है। इस उत्सव के दौरान मुखौटा डांस और अन्य विशिष्ट धार्मिक आयोजन किया जाते हैं।
हेमिस मोनेस्ट्री की स्थापना लद्दाख में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक घटना है जिसके कारण लद्दाख में बौद्ध धर्म और संस्कृति इस तरह से पनपी और फली फूली।
हेमिस मोनेस्ट्री को इसकी सुन्दर और विशेष आर्किटेक्चर के लिए भी जाना जाता है। यह आर्किटेक्चर न केवल अपनी सुंदरता बल्कि अपनी विशेष संस्कृति के लिए भी खासा प्रसिद्द है।
हेमिस मोनेस्ट्री लद्दाख आने वाले टूरिस्ट्स के लिए प्रमुख आकर्षण है। यह टूरिस्ट्स को लद्दाख की समृद्ध विरासत, कला और परंपराओं से परिचित कराता है।
टूरिस्ट आकर्षण – हेमिस मोनेस्ट्री | Tourist Attraction – Hemis Monastery in Hindi
अपने सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व के कारण लद्दाख में हेमिस मोनेस्ट्री एक मुख्य टूरिस्ट आकर्षण बन गया है। यहाँ पसरा आध्यात्मिकता का माहौल , यहाँ की शांति , यहाँ गूंजते मन्त्रों की आवाज किसी को भी प्रभावित कर सकती है।
मोनेस्ट्री का आर्किटेक्चर लदाख की संस्कृति और इस पर तिब्बती प्रभाव के बारे में जानकारी देती हैं। इतिहास और अध्यात्म में रूचि रखने वालों के लिए यह एक विशेष आकर्षण हो सकता है। अगर फेस्टिवल के दौरान पहुंचते हैं तो लद्दाखी संस्कृति का एक नया ही रूप देखने को मिलेगा। लद्दाख का मुखौटा डांस विश्व प्रसिद्द है और इसका साक्षी बनने के लिए विश्वभर से टूरिस्ट्स यहाँ आते हैं।
मोनेस्ट्री के चारों तरफ पसरी शांति और प्राकृतिक सुंदरता होने आप में एक आश्चर्य है। फोटोग्राफी में रूचि रखने वालों के लिए यह एक उत्सव है।
कब जाएं – हेमिस मोनेस्ट्री | Best Time to Visit – Hemis Monastery in Hindi
हेमिस मोनेस्ट्री आने के लिए सबसे अच्छा समय गर्मी का है। जून से सितंबर महीने तक लद्दाख में बड़ी संख्या में टूरिस्ट आते हैं क्योंकि इस समय यहाँ सर्दी नहीं होती है बल्कि मौसम सुहाना होता है। हेमिस मोनेस्ट्री जाने के लिए सड़कें ठीक और खुली होती हैं। जून या जुलाई के महीने में ही हर साल हेमिस त्सेचु का उत्सव आयोजित किया जाता है। इस दौरान यहाँ आने पर लद्दाख का प्रसिद्द मुखौटा डांस का अनुभव कर सकते हैं।
सितंबर और अक्टूबर के महीने में अक्सर मौसम साफ़ लेकिन थोड़ा ठंडा होना शुरू हो जाता है लेकिन फिर भी लद्दाख में टूर करना आसान ही होता है। इस दौरान यहाँ टूरिस्ट थोड़ी कम संख्या में होते हैं। इसके अलावा नवंबर से मार्च तक का मौसम काफी ठंडा होता है और इस दौरान तापमान बहुत काम होता है और अक्सर ज़ीरो से कम होता है।
कैसे पहुचें – हेमिस मोनेस्ट्री | How to reach – Hemis Monastery in Hindi
लद्दाख की राजधानी लेह से हेमिस मोनेस्ट्री तक पहुंचने के लिए सड़क के रास्ते आसानी से पहुंच सकते हैं। यह मोनेस्ट्री लेह से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हेमिस मोनेस्ट्री तक पहुंचने का सबसे आसान और सुविधाजनक माध्यम टैक्सी है।
लेह से मोनेस्ट्री के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट के बस से भी पंहुचा जा सकता है। इसके लिए लेह बस स्टैंड से बस का टाईमटेबल पता कर सकते हैं।
लेह में बाइक या साइकिल किराए पर लेकर भी अकेले या ग्रुप में हेमिस मोनेस्ट्री तक पहुंच सकते हैं।
लेह शहर तक पहुंचने के लिए देश के सभी मुख्य एयरपोर्ट से सीधे या कनेक्टेड फ्लाइट से पहुंच सकते हैं। यहाँ पर ये जानना जरूरी है कि अगर आप फ्लाइट से लेह पहुंच रहे हैं तो लेह में 1 – 2 दिन रूककर खुद को वहां के वातावरण और तापमान के अनुसार ढाल लेना चाहिए। अगर आप बिना लेह में रुके ही आगे के ट्रेवल पर निकल जाना चाहते हैं तो यह सेहत के लिए काफी नुकसानदायक होता है।
अगर आप सड़क के रास्ते लेह पहुंचना चाहते हैं तो ड्राइव कर के या स्टेट ट्रांसपोर्ट बस से लेह तक पहुंच सकते हैं। अक्सर लोग जम्मू तवी तक ट्रैन से ट्रेवल करते हैं और उसके बाद सड़क के रास्ते लेह पहुंचते हैं।
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