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चोपता टूरिस्ट प्लेस | Chopta Tourist Places Hindi

Chopta Tourist Places Hindi

Chopta Tourist Places Hindi

Chopta Tourist Places Hindi | चोपता टूरिस्ट प्लेस : चोपता , उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक हिल स्टेशन है। चोपता पवित्र तुंगनाथ मंदिर और ट्रैकिंग के लिए काफी पॉपुलर है , साथ ही यह उत्तराखंड के उन हिल स्टेशन्स में से है जहाँ टूरिस्ट्स एडवेंचर स्पोर्ट्स और कैंपिंग के लिए जाना पसंद करते हैं। समुद्र तल से 2900 मीटर की ऊँचाई पर बसा चोपता हिमालय के ऊंचे शिखरों और हरी हरी घाटियों के लिए जाना जाता है।

चोपता का बेहद सुन्दर और शांत माहौल नेचर लवर्स के लिए बहुत ख़ास है। यहाँ स्थित तुंगनाथ मंदिर भारत के सबसे ज्यादा ऊँचाई पर बने शिव मंदिर के रूप में जाना जाता है। चोपता को अक्सर टूरिस्ट “भारत का स्विट्ज़रलैंड ” भी कहते हैं।

चोपता टूरिस्ट प्लेस | Chopta Tourist Places Hindi

हिमालय की गोद में बसा उत्तराखंड देव भूमि होने के कारण श्रद्धालुओं को तो अपनी तरफ आकर्षित करता ही है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से भारत में एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए बढ़ते टूरिज्म के लिए भी उत्तराखंड के लैंडस्केप्स खासे प्रसिद्द हैं। चोपता में साल भर मौसम ठंडा रहता है और गर्मियाँ बहुत सुहानी होती हैं इसलिए अक्सर कैंपिंग और ट्रैकिंग के लिए यहाँ आने वाले टूरिस्ट भी इस मौसम में काफी होते हैं। चोपता को इसके आस पास के सीनिक व्यू, ट्रैकिंग रूट , मंदिर और झीलों के लिए जाना जाता है। चोपता के मुख्य टूरिस्ट प्लेस

तुंगनाथ मंदिर – चोपता टूरिस्ट प्लेस | Tungnath Mandir – Chopta Tourist Places Hindi

Tungnath Mandir Chopta
Tungnath Mandir Chopta

चोपता का मुख्य आकर्षण तुंगनाथ मंदिर है। तुंगनाथ का अर्थ होते है सबसे ऊंचा / महान पर्वत। तुंगनाथ सबसे ज्यादा ऊँचाई पर बने शिव मंदिर के रूप में जाना जाता हैं और यह उत्तराखंड के पांच केदार में से एक है। पंच केदार के बारे में एक पौराणिक कहानी भी बताई जाती है।

कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध में अपने ही सम्बन्धियों की हत्या के बाद पांडव आत्मग्लानि से भरे हुए थे और वो भगवान् शिव से मिल कर इस पाप से मुक्त होना चाहते थे। भगवान् शिव भी पांडवों से नाराज़ थे और उनसे बिल्कुल भी मिलना नहीं चाहते थे। जब पांडव उन्हें ढूँढ़ते हुए काशी पहुँचे तो शिव वहां से गुप्तकाशी में आ गए। पांडव उन्हें ढूँढ़ते हुए वहां भी आ पहुँचे और उन्होंने एक बैल को देखा। पांडव समझ गए कि यह भगवान् शिव हैं और बैल के रूप में यहाँ पर हैं। वह उनसे मिलने के लिए उनके पास पहुँचे पर भगवान् शिव ने अपने बैल रूप के पांच टुकड़े कर दिए। उन्हीं में से एक टुकड़ा यहाँ पर आ गिरा और इसे तुंगनाथ मंदिर के रूप में तीर्थ माना गया।

तुंगनाथ मंदिर तक जाने के लिए लगभग 3 किलोमीटर का ट्रैक कर के जाना होता है। यह एक आसान ट्रैक है। इस ट्रैक का रास्ता सीधा और चढ़ाई वाला है। सर्दियों में रास्ते में बर्फ भी मिलती है। इस ट्रैक पर जाने के लिए अगर जरूरत हो तो चोपता से ही ट्रैकिंग के लिए विशेष जूते किराये पर ले सकते हैं। तुंगनाथ मंदिर से आगे चंद्र शिला ट्रैक है।

चंद्रशिला चोटी और ट्रैक | Chandrashila Peak and Chandrashila Trek – Chopta Tourist Places Hindi

Chopta Tourist Places Hindi

चंद्रशिला जैसा कि नाम से ही पता चलता है , इसका नाम चन्द्रमा के नाम पर रखा गया है। यह चोटी समुद्र तल से लगभग 4000 मीटर की ऊँचाई पर है। कहते हैं कि यहाँ पर चन्द्रमा ने श्राप से मुक्ति के लिए भगवान् शिव की तपस्या की थी। इसके बारे में भी एक पौराणिक कहानी प्रचलित है। राजा दक्ष की 27 बेटियों का विवाह चन्द्रमा से हुआ था लेकिन चन्द्रमा उन सबमें सबसे ज्यादा रोहिणी को पसंद करते थे। इस बात से राजा दक्ष खुश नहीं थे और उन्होंने चन्द्रमा को क्षय रोग होने का श्राप दिया। तब चन्द्रमा ने इस पहाड़ी पर तपस्या की थी और इस चोटी का नाम चंद्रशिला हुआ।

तुंगनाथ मंदिर से चंद्रशिला चोटी तक का रास्ता लगभग 2 किलोमीटर लम्बा है। तुंगनाथ ट्रैक से यह ट्रैक थोड़ा सा मुश्किल है क्योंकि यहाँ रास्ता नहीं बना हुआ है। चंद्रशिला की चोटी पर पहुंच कर हिमालय का 360 डिग्री व्यू मिलता है। यहाँ रुक कर थोड़ी देर समय बिता सकते हैं। कभी कभी बहुत ज्यादा बर्फ पड़ने के कारण यह ट्रैक बंद भी कर दिया जाता है।

सारी गांव – चोपता टूरिस्ट प्लेस | Sari Village – Chopta Tourist Places Hindi

चोपता से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर सारी गांव एक शांत और नॉन टूरिस्टिक सा गांव है। यह गांव प्रकृति के गोद में बसा एक खूबसूरत सा गांव है जहाँ आप उत्तराखंड के गांव के लोगों का रहन सहन भी देख सकते हैं। यहाँ के लोगों का मुख्य काम खेती है। यहाँ अगर आप एक दो दिन रहना भी चाहें तो कुछ होमस्टे के ऑप्शंस भी मिल जाते हैं।

देवरिया ताल -चोपता टूरिस्ट प्लेस | Devariya Taal / Pond – Chopta Tourist Places Hindi

देवरिया ताल सारी गांव से 2 किलोमीटर का ट्रैक कर के पहुंच सकते हैं। देवरिया ताल को इन्द्र ताल भी कहा जाता है। देवरिया ताल का अर्थ होता है देवों का तालाब। सारी गांव से देवरिया ताल तक का ट्रैक एक आसान ट्रैक है। कुछ लोग यहाँ खच्चर की सवारी कर के भी पहुंचते हैं। देवरिया ताल पहाड़ों से घिरा एक सुन्दर ताल है।

इस लेक के किनारे पर कैंपिंग एक्टिविटीज भी कराई जाती हैं लेकिन यह मौसम पर काफी कुछ निर्भर करता है।

ओमकार रत्नेश्वर मंदिर | Omkaar Ratneshwar Mandir – Chopta Tourist Places Hindi

सारी गांव से लगभग 1 किलोमीटर पर ओमकार रत्नेश्वर मंदिर स्थित है। सारी गांव से देवरिया ताल के ट्रैक पर ही यह मंदिर है। यह मंदिर भगवान् शिव को समर्पित है। यह एक छोटा सा मंदिर है जहाँ तुंगनाथ आने वाले श्रद्धालु अपनी ट्रिप पर आते हैं।

ट्रैकिंग – चोपता टूरिस्ट प्लेस | Trekking in Chopta – Chopta Tourist Places Hindi

चोपता अपने नेचुरल ट्रैक के लिए काफी पॉपुलर है। अक्सर भीड़ से दूर के जगहों को पसंद करने वाले टूरिस्ट्स चोपता आना बहुत पसंद करते हैं। चोपता से छोटे ट्रैक जैसे कि तुंगनाथ मंदिर ट्रैक , चंद्रशिला ट्रैक किया जा सकता है और अगर आप लम्बे ट्रैक पर निकलना चाहते हैं तो टूर ऑपरेटर्स से कांटेक्ट कर किसी ट्रैकिंग ग्रुप के साथ भी लम्बे ट्रैक पर जा सकते हैं। चोपता से देवरिया ताल तक भी टूरिस्ट ट्रैक कर जाते हैं।

कैंपिंग – चोपता टूरिस्ट प्लेस | Camping in Chopta – Chopta Tourist Places Hindi

चोपता में कैंपिंग भी एक मुख्य आकर्षण है। मौसम के अनुसार यहाँ कैंपिंग की जा सकती है। इसके लिए टूर ऑपरेटर्स से बात कर के प्लान कर सकते हैं। देवरिया ताल से चंद्रशिला तक के ट्रैक पर रोहिणी बुग्याल में हरे घास के मैदान में कैंपिंग भी कराई जाती है।

कैसे पहुचें -चोपता टूरिस्ट प्लेस | How to reach – Chopta Tourist Places Hindi

फ्लाइट से | By flight to Chopta

चोपता के सबसे पास देहरादून एयरपोर्ट है। देहरादून से चोपता की दूरी लगभग 200 किलोमीटर है। उत्तराखंड के देहरादून एयरपोर्ट के लिए देश के सभी बड़े एयरपोर्ट्स से फ्लाइट या फिर कनेक्टिंग फ्लाइट मिल जाती हैं। एक बार देहरादून एयरपोर्ट पहुँचने के बाद आप बस या टैक्सी से चोपता तक सड़क के रास्ते पहुंच सकते हैं।

ट्रेन से | By Train

चोपता एक छोटा सा हिल स्टेशन है जो ट्रेन नेटवर्क से कनेक्टेड नहीं है। ट्रेन से हरिद्वार या ऋषिकेश तक पंहुचा जा सकता है और वहां से सड़क के रास्ते ही चोपता तक जा सकते हैं।

सड़क के रास्ते | By Road to Chopta

हरिद्वार से चोपता के लिए कोई सीधी बस नहीं मिलती है। हरिद्वार से रुद्रप्रयाग या उखीमठ तक बस से पहुंच सकते हैं और आगे टैक्सी से चोपता तक पहुंच सकते हैं। मौसम अच्छा होने पर कुछ टूरिस्ट मोटर बाइकिंग कर के भी चोपता आते हैं।

अगर आप अपनी कार से ट्रेवल कर रहे हैं तो चोपता तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

उत्तराखंड में 2 चोपता हैं। गूगल मैप में अगर आप तुंगनाथ मंदिर के लिए डायरेक्शन डालेंगे तो सही चोपता का रास्ता दिखेगा।

चोपता – खाना | Food in Chopta

चोपता बहुत छोटा सा क़स्बा है। यहाँ बहुत ज्यादा होटल्स तो नहीं हैं , लेकिन छोटे छोटे कुछ होटल्स हैं जिनमें गढ़वाली खाना सर्व करने वाले रेस्टॉरेंट्स हैं जहाँ आप वेज और नॉन वेज दोनों तरह का खाना एन्जॉय कर सकते हैं। इसके अलावा दाल और पनीर के डिश भी लगभग सभी होटल्स में मिल जाते हैं।

रहना – चोपता टूरिस्ट प्लेस | Stay – Chopta Tourist Places Hindi

चोपता और इसके आस पास घूमने और सभी टूरिस्ट स्पॉट देखने के लिए 1 से 2 दिन का टाइम काफी है। इसके अलावा यहाँ का मौसम और शांत वातावरण अपने आप में ख़ास है। यहाँ लगभग पूरे साल ही टूरिस्ट्स आते रहते हैं ।

यहाँ कुछ होम स्टे और कुछ छोटे होटल मिलेंगे। यहाँ के होमस्टे और होटल्स में लाइट की व्यवस्था पूरे दिन नहीं होती है। केवल शाम को ही इलेक्ट्रिसिटी मिलती है। यहाँ सोलर पावर से ही इलेक्ट्रिसिटी मिलती है इसीलिए यहाँ लिमिटेड इलेक्ट्रिसिटी ही है। ऐसा ही कुछ पानी के साथ भी है। पूरे दिन पानी बहुत कम होटल्स या होमस्टेस में ही मिलता है। आप होटल या होमस्टे बुक करने से पहले इलेक्ट्रिसिटी और पानी की व्यवस्था के बारे में जान लेना सही है।

जाने का समय / मौसम | Best time to visit – Chopta Tourist Places Hindi

चोपता जाने के लिए अक्टूबर से मार्च तक का मौसम सबसे अच्छा है। यहाँ का तापमान पूरे साल ही ठंडा रहता है।

गर्मियों में यहाँ का मौसम बहुत सुहाना होता है और मॉन्सूनम में यहाँ पर ठण्ड पड़ने लगती है। मानसून में अक्सर यहाँ के रास्तों में लैंड स्लाइड हो जाते हैं इसीलिए बारिश में यहाँ जयादा टूरिस्ट नहीं आते हैं।

सर्दियों में यहाँ काफी ठण्ड पड़ती है। अगर आप यहाँ नवंबर से मार्च के बीच आते हैं तो बहुत ज्यादा चांस है कि आपको यहाँ रास्तों में बर्फ मिलेगी।

अगर आप ट्रेकिंग के लिए आना चाहते हैं तो मार्च से जून तक का मौसम सबसे सही है । ट्रैकिंग के लिए जरूरी है कि आप मौसम के अनुसार ही कपड़े पहन कर जाएं। ट्रैकिंग के लिए सुबह जल्दी निकलना अच्छा होता है। ऐसे में आप के पास ज्यादा समय भी होता है।

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