Kaleshwar Mahadev Mandir Hindi : कालेश्वर महादेव मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल ज़िले के लैंसडौन जो कि एक छावनी (कैंटोनमेंट) शहर है , में भगवान शिव एक सदियों पुराना मंदिर है और यह प्राचीन कालेश्वर महादेव मंदिर लैंसडौन के लोकल लोगों के साथ साथ बहादुर गढ़वाल रेजिमेंट के लिए भी भक्ति का मुख्य केंद्र है। इस मंदिर का नाम कालेश्वर महादेव क्यों और कैसे पड़ा इस बारे में उत्तराखंड में कुछ प्रचलित पुराणी मान्यताएं हैं और कहानियां हैं।
कालेश्वर महादेव मंदिर और इसके आस पास का एरिया संतों और ऋषियों की ध्यान लगाने के जगह के रूप में प्रसिद्द रहा है। आज भी यहाँ आने वाले श्रद्धालु कालेश्वर महादेव मंदिर के पास ऋषियों के समाधी देख सकते हैं।
कालेश्वर महादेव मंदिर – महत्त्व | Significance – Kaleshwar Mahadev Mandir Hindi
शिव कालेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग स्वरुप है जिसके बारे में कहा जाता है कि यह एक स्व्यंभू ( अपने आप उत्पन्न हुआ ) शिवलिंग है। यह मंदिर आस पास के रहने वालों के भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। सन 1901में सबसे पहले गढ़वाल रेजिमेंट ने यहाँ पर एक छोटा सा मंदिर और धर्मशाला का निर्माण कराया था । सन 1926 में लोगों के सहयोग से यहाँ विशाल मंदिर का निर्माण कराया गया। सन 1995 में मंदिर का पुनः निर्माण गढ़वाल रेजिमेंट ने करवाया। मंदिर से जुडी कुछ मान्यताओं के कारण यह मंदिर शिव में आस्था रखने वालों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
ऐसा माना जाता है कि कालेश्वर महादेव मंदिर लगभग 5000 साल पुराना मंदिर है।
सम्बंधित कहानी – कालेश्वर महादेव मंदिर | Stories – Kaleshwar Mahadev Mandir Hindi
कालेश्वर मंदिर से जुडी कई कहानियां लैंसडौन में प्रचलित हैं। लोगों का ऐसा मन्ना है कि यहाँ पर ऋषि कालूँ ने ध्यान लगाया था। अपनी तपस्या में जाने से पहले वह आखिरी बार यहाँ चिल्लाये थे और उन्ही ऋषि कालूँ के नाम पर लैंसडौन को पहले कालूडांडा कहा जाता था। लैंसडौन का नाम कलूडांडा से कब बदला और क्यों इसका यह नया नाम हुआ , इस के लिए आप लैंसडौन पेज पर जान सकते हैं। साथ ही इस पेज पर आप लैंसडौन के मुख्य टूरिस्ट प्लेस के बारे में भी जान सकते हैं।
ऐसा भी माना जाता है कि ऋषि कलश के नाम पर इस मंदिर का नाम कालेश्वर महादेव मंदिर हुआ।
मंदिर से जुडी एक और कहानी बहुत प्रचलित है। इस कहानी के अनुसार एक बार पास के गाँव से आये चरवाहों के गायें यहाँ आकर स्वयंभू शिवलिंग के पास पहुंच गयीं और अपने आप ही दूध उनके थनों से निकल कर शिवलिंग पर बहने लगा। यह देख कर इस शिवलिंग में लोगों के आस्था स्थापित हो गयी। बाद में सन 1901 में यहाँ पर मंदिर का निर्माण कराया गया।
कालेश्वर महादेव मंदिर – प्रार्थना समय | Timings – Kaleshwar Mahadev Mandir Hindi
कालेश्वर मंदिर में प्रार्थना का समय सुबह 7:00 बजे से दोपहर 11:00 बजे तक और दोपहर 3:00 से शाम 6:00 बजे तक है। मंदिर में पूजा से सम्बंधित कुछ अन्य रीतियां हैं जो बाकि मंदिरों से काफी अलग हैं। लैंसडौन के सबसे प्राचीन इस मंदिर में पूजा कोई पुजारी नहीं बल्कि मेजर करते हैं।
उत्सव – कालेश्वर महादेव मंदिर | Festivals – Kaleshwar Mahadev Mandir
भगवान् शिव को समर्पित है कालेश्वर महादेव मंदिर यूँ तो पूरे साल ही भक्तों से घिरा होता है लेकिन भगवन शिव को समर्पित महाशिवरात्रि और हिन्दू कैलेंडर के अनुसार सावन महीने में आने वाली शिवरात्रि के मौके पर यहाँ बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
कालेश्वर महादेव मंदिर आस पास | Nearby – Kaleshwar Mahadev Mandir
कालेश्वर मंदिर लैंसडौन शहर में पहाड़ियों के बीच प्रकृति के गोद में स्थित है। मंदिर से कुछ ही दूरी पर लैंसडौन के अन्य मुख्य टूरिस्ट प्लेस स्थित हैं। टिप एंड टॉप पॉइंट लैंसडौन का मुख्य आकर्षण है। इसके अलावा ठंडी सड़क का अपना ब्रिटिश कालीन इतिहास है। दरवान सिंह म्यूजियम और गढ़वाल मेस भी यहाँ के आकर्षण हैं।
कालेश्वर महादेव मंदिर – जाने का मौसम
कालेश्वर महादेव मंदिर की यात्रा पूरे साल में कभी भी की जा सकती है लेकिन यहाँ जाने का सब से अच्छा समय अक्टूबर से मई के बीच का है। इन् महीनो में यहाँ का मौसम टूरिस्ट्स के लिए काफी सही रहता है। सर्दी में यहाँ मौसम बड़ा ठंडा रहता है। सर्दी के मौसम में यहाँ के पहाड़ियों पर बर्फबारी भी होती है जिसके कारण यहाँ का तापमान काफी नीचे चला जाता है। बरसात के मौसम में भारी बारिश के कारण यहाँ यात्रा करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है क्योकि ऐसे मौसम में अक्सर यहाँ लैंडस्लाइड होते रहते हैं।
कालेश्वर महादेव मंदिर – कैसे पहुँचे | How to reach – Kaleshwar Mahadev Mandir Lansdowne
शिब कालेश्वर महादेव मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले जिले के लैंसडौन में स्थित है। यहाँ पहुंचने के लिए सड़क , ट्रेन या फ्लाइट के माध्यम से ट्रेवल कर सकते हैं।
सड़क मार्ग से | By Road
कालेश्वर महादेव मंदिर लैंसडौन पहुंचने के लिए सड़क मार्ग सबसे अच्छा ऑप्शन है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से यह जगह लगभग 145 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और दिल्ली से यह लगभग 320 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| सड़क के रास्ते अपने वाहन से या फिर स्टेट ट्रांसपोर्ट की बस से यहाँ पहुंच सकते हैं |
ट्रेन द्वारा | By Train
अगर आप ट्रेन से ट्रेवल कर रहे हैं तो लैंसडाउन का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन कोटद्वार में स्थित है। कोटद्वार से यहाँ तक की दूरी लगभग 50 किलोमीटर है जो लोकल टैक्सी या बस से तय की जा सकते हैं|
फ्लाइट द्वारा | By Flight
यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून का जॉलीग्रांट एयरपोर्ट है। देहरादून तक फ्लाइट से पहुंचने के बाद लैंसडौन तक का सफर टैक्सी या रेंट कार से किया जा सकता है। देहरादून से स्टेट ट्रांसपोर्ट की बस द्वारा भी यह दूरी तय की जा सकती है।
( द्वारा कृष्णा कुमारी )
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