Mathura Tourist Place Hindi : मथुरा यानी भगवान् कृष्ण की नगरी , भगवान् कृष्ण का जन्म स्थान , एक महान तीर्थ और दुनिया के सबसे प्रसिद्द टूरिस्ट प्लेस में से एक मथुरा शहर
मथुरा को भगवान् श्री कृष्णा की जन्मभूमि के रूप में जाना जाता है। मथुरा के हर चौराहे पर भक्तों को श्री कृष्णा की लीलाओं की एक नयी कथा को सुनने और जानने का अवसर मिलता है। सप्तपुरियों में शामिल मथुरा के धार्मिक महत्त्व से हर कोई परिचित है। वर्तमान में मथुरा एक ऐतिहासिक और धार्मिक पर्यटन स्स्थल के रूप में प्रसिद्द है। प्राचीन काल से ही मथुरा भारतीय संस्कृति और सभ्यता का केंद्र रहा है। भारतीय धर्म दर्शन , कला और साहित्य के निर्माण में मथुरा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
Mathura Tourist Place Hindi | मथुरा टूरिस्ट प्लेस
मथुरा एक प्रसिद्द धार्मिक नगरी है। इसे हिन्दू धर्म में तीर्थ के रूप में माना जाता है। यहाँ पर आने वाले टूरिस्ट अधिकतर धार्मिक उद्देश्य से आते हैं। मथुरा को मंदिरों की नगरी भी कहा जा सकता है।
श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर | Shri Krishna Janmbhoomi – Mathura Tourist Place Hindi
यह एक बहुत सुन्दर मंदिर और बहुत पावन भूमि के रूप में श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। हम सभी जानते हैं कि भगवान् कृष्ण का जन्म मथुरा की जेल में हुआ था। उनके मामा कंस ने उनके माता पिता को जेल में बंद कर रखा था और वही उनका जन्म हुआ था। यह मंदिर उसी स्थान पर बना हुआ है जहाँ पर कभी वह जेल हुआ करती थी। श्रद्धालुओं के लिए यह एक बहुत अलौकिक अनुभव है कि वो उस स्थान पर खड़े हैं जो भगवान् कृष्ण के जन्म स्थान के रूप में जाना जाता है।
इसी स्थान के पास योगमाया मंदिर है। यह मंदिर उसी जगह पर बना है जहाँ पर मथुरा के राजा कंस ने योगमाया के बाल रूप को जमीन पर पटक कर मारने की कोशिश की थी। यह मंदिर पूरा साल श्रद्धालुओं से भरा रहता है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर यहाँ विशेष उत्सव मनाया जाता है जिसमे शामिल होने के लिए देश और विदेश के कोने कोने से लोग आते है।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर लगभग 5000 साल पुराना है। सबसे पहले यहाँ पर मंदिर श्री कृष्ण के पड़ पोते वज्रनाभ ने बनवाया था। समय के साथ मंदिर की अवस्था ख़राब होने के कारण समय समय पर अलग अलग राजाओं ने इसके जीर्णोद्धार का काम कराया था । अभी जो मंदिर यहाँ है इस मंदिर का निर्माण ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला द्वारा कराया गया था।
श्री द्वारिकाधीश मंदिर – मथुरा टूरिस्ट प्लेस | Shri Dwarikadheesg Mandir – Mathura Tourist Place Hindi
श्री द्वाकीराधीश मंदिर यमुना नदी के किनारे बने विश्राम घाट पर बना हुआ है। भगवान् कृष्णा को द्वारिका के राजा या द्वारिकाधीश नाम से भी पुकारा जाता है। यह मंदिर उनके इसी रूप को समर्पित है। इस मंदिर में श्रद्धालु भगवन श्री कृष्ण और राधा के दर्शन करते हैं। साथ ही यहाँ अन्य देवी देवताओं की भी मूर्तियां स्थापित है।
श्री द्वाकीराधीश मंदिर की नक्काशी राजस्थानी स्टाइल में है। मंदिर के दीवारों और छतों पर श्री कृष्ण के जीवन के सभी घटनाओं को चित्रित करती चित्रकारी यहाँ आने वाले हर टूरिस्ट को भगवन कृष्ण का महिमा बोध कराती लगती है। यहाँ रोज हजारों पर्यटक आते है। इस मंदिर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी और सावन के महीने में झूले के त्यौहार बड़े उत्सव के रूप में मनाये जाते है।
मथुरा का द्वारिकाधीश मंदिर सन 1814 में सेठ गोकुल दास पारीख ने बनवाया था । यह मंदिर अपने सुन्दर नक्काशी और चित्रकला के लिए दुनिया भर में प्रसिद्द है।
भूतेश्वर महादेव मंदिर -मथुरा टूरिस्ट प्लेस | Bhooteshwar Mahadev Mandir – Mathura Tourist Place Hindi
यह मंदिर भगवान् शिव को समर्पित है। यह मंदिर भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। सावन के महीने में शिवरात्रि और महा शिवरात्रि पर यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इसी मंदिर में पातळ देवी की गुफा भी स्थित है जिनकी उपासना कंस किया करता था। मथुरा नगरी में जहाँ लगभग सारे मंदिर भगवन श्री कृष्ण को समर्पित हैं , वही यह मंदिर भगवन शिव के भूतनाथ रूप को समर्पित है।
यह मंदिर एक शक्तिपीठ के रूप में भी स्थापित है। सभी शक्तीपीठ उन्हीं स्थानों पर बने हैं जहाँ पर ये माना जाता है कि माता सती के अंग वहां पर गिरे थे। कहा जाता है कि इस स्थान पर उनके एक ऊँगली गिरी थी।
रंगेश्वर महादेव मंदिर | Rangeshwar Mahadev Mandir – Mathura Tourist Place Hindi
यह मंदिर भी भगवन शिव को समर्पित है। इस मंदिर को इसकी उत्कृष्ट वास्तुकला के लिए जाना जाता है। यह मंदिर मथुरा शहर के दक्षिणी भाग में स्थित है।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि कंस यहाँ पर भगवान् शिव की पूजा किया करता था। कंस यह जानता था कि उसका वध श्री कृष्ण के हाथों ही होगा, लेकिन फिर भी उसने उन्हें मथुरा बुलाया और अपने साथ कुश्ती करने के लिए चुनौती दी। इसके लिए रंगशाला बनाई गयी जो कि इसी मंदिर के पास स्थित है। कंस ने यहाँ आखिरी बार भगवान् शिव की पूजा की थी और उसके बाद वह श्री कृष्ण से कुश्ती करने के लिए गया। उसी कुश्ती में श्री कृष्ण ने कंस का वध किया था। रंगशाला के कारण ही इस मंदिर का नाम रंगेश्वर महादेव मंदिर हुआ।
कंस का किला – मथुरा टूरिस्ट प्लेस | Kans Fort Mathura Tourist Place Hindi
कंस का किला यमुना नदी की किनारे पर बसा हुआ है। कभी यह किला मथुरा के राजा कंस का निवास हुआ करता था हालाँकि यह अब जीर्ण शीर्ण अवस्था में है। यह किला बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है और इस किले की दीवारों पर हिन्दू और इस्लामिक कला की नमूने देखे जा सकते हैं। इसे पुराना किला भी कहा जाता है और यह किला यहाँ आने वाले टूरिस्ट्स के बीच काफी लोकप्रिय है।
पोतड़ा कुंड | Potda Kund – Mathura Tourist Place Hindi
पोतड़ा कुंड एक प्रसिद्द कुंड या तालाब हैं। यह एक प्रसिद्द टूरिस्ट स्पॉट है। पोतड़ा कुंड के बारे में कहा जाता है कि इस कुंड का इस्तेमाल कपडे धोने के लिए किया जाता था। यह कुंड भी महाभारत काल से है। हिंदी में पोतड़ा का अर्थ होता है छोटे बच्चों के कपड़े। इस का निर्माण बलुआ पत्थर से हुआ है।
रंगभूमि मथुरा – मथुरा टूरिस्ट प्लेस | Rangbhoomi – Mathura Tourist Place Hindi
रंगभूमि मथुरा शहर की मुख्य पोस्ट ऑफिस की सामने स्थित है। यह जगह कभी एक अखाडा या कुश्ती का मैदान हुआ करती थी। रंगभूमि की बारे में कहा जाता है कि यह वही स्थान है जहाँ श्री कृष्ण ने अपने मामा कंस को कुश्ती में हराया था और उसका वध किया था। यह कुश्ती जीत कर श्री कृष्ण ने अपने माता पिता को कंस की कैद से छुड़ाया था और अपने नाना अग्रसेन को मथुरा का राजा घोषित किया था।
बिड़ला मंदिर / गीता मंदिर मथुरा | Bidla / Geeta Mandir – Mathura Tourist Place Hindi
मथुरा स्टेशन से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर वृन्दावन मथुरा रोड पर प्रसिद्द बिड़ला मंदिर स्थित है। इस मंदिर के दीवारों पर श्री मद्भगवद गीता के संदेशों को लिखा गया है और इसीलिए इस मंदिर को गीता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भगवन लक्ष्मी नारायण को समर्पित है। यह मंदिर भारत की प्रसिद्ध व्यापारिक घराने बिड़ला द्वारा बनवाया गया है। यह मंदिर दोपहर में 12 बजे से 2 बजे तक बंद रहता है। बाकि समय सुबह से शाम तक यह मंदिर दर्शन की लिए खुला रहता है।
गोवर्धन – मथुरा टूरिस्ट प्लेस | Govardhan – Mathura Tourist Place Hindi
मथुरा शहर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर गोवर्धन पर्वत स्थित है। गोवर्धन पर्वत , यह वही पर्वत है जिसे श्री कृष्ण ने अपनी उंगली पर उठा लिया था और अपने गांव के लोगों को इंद्रा के प्रकोप के कारण हुई बारिश से बचाया था। कृष्ण भक्त यहाँ आ कर गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं। दिवाली के अगले दिन घर घर में गोवर्धन पूजा की जाती है।
राधा कुंड और कृष्णा कुंड | Radha Kund Krishna Kund – Mathura Tourist Place Hindi
राधाकुंड मथुरा का एक प्रसिद्द तीर्थ है। राधा कुंड का इतिहास राधा और कृष्णा के समय का है और इसे राधा कृष्ण के प्रेम प्रतीक की रूप में माना जाता है। कहा जाता है कि कृष्ण कुंड को कृष्ण ने जमीन में अपना पैर मार कर बनाया था। श्रद्धालु यहाँ आ कर राधा कुंड और कृष्ण कुंड में डुबकी लगाते हैं और खुद को कृष्ण और राधा के आशीर्वाद से धन्य करते हैं।
मथुरा म्यूजियम / संग्रहालय | Museum – Mathura Tourist Place Hindi
यह म्यूजियम / संग्रहालय शहर की बीचो बीच स्थित है। यहाँ पर भारत की प्राचीन धरोहर मूर्तिया और उनके अवशेष देखे जा सकते हैं। इस म्यूजियम में 12 वी सदी से पहले के मूर्ती , सिक्के और पेंटिंग्स भी देखी जा सकती हैं।
दाऊ जी मंदिर – मथुरा टूरिस्ट प्लेस | Balram Mandir – Mathura Tourist Place Hindi
यह मंदिर बृज मंडल के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है। यह मंदिर लगभग 5000 साल पुराना माना जाता है। मंदिर में श्री कृष्ण की बड़े भाई बलराम पीठासीन हैं। यहाँ स्थापित मूर्ती बृजमण्डल की सबसे विशाल , काले रंग की मूर्ती है। यह मूर्ती 7 फ़ीट ऊंची है।
यह मंदिर सुबह 8 बजे से शाम की 6 बजे तक दर्शन की लिए खुला रहता है।
चामुंडा देवी मंदिर – मथुरा टूरिस्ट प्लेस | Chamunda Devi Mandir – Mathura Tourist Place Hindi
चामुंडा मार्ग पर स्थित चामुंडा देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। यह मंदिर भी यहाँ के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है । ऐसा माना जाता है कि यहाँ माता गायत्री का बाल गिर गया था। उसी जगह पर इस मंदिर का निर्माण किया गया है। कहा जाता है कि भगवान् कृष्ण ने यहाँ पर आ कर देवी की पूजा की थी।
यह मंदिर दोपहर की 12 बजे से शाम की 4 बजे तक बंद रहता है।
केशव देव मंदिर – मथुरा टूरिस्ट प्लेस | Keshav Dev Mandir – Mathura Tourist Place Hindi
यह मंदिर मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर की पीछे ही स्थित है। कहा जाता है कि यहाँ पर भगवान् श्री कृष्ण को बंदी बनाया गया था। श्री कृष्ण जन्मभूमि के दर्शन करने के बाद सभी भक्त यहाँ आ कर दर्शन करते हैं।
केशव जी गौड़ीय मठ | Keshav ji Gaudiya Matth – Mathura Tourist Place Hindi
यह एक मठ या आश्रम की रूप में स्थापित है जहाँ देश विदेश से लोग कुछ दिन रहने और ध्यान करने के लिए आते रहते हैं।
कुसुम सरोवर- मथुरा टूरिस्ट प्लेस | Kusum Sarovar – Mathura Tourist Place Hindi
मथुरा में सबसे ज्यादा देखी जाने वाली जगहों में से एक कुसुम सरोवर है। यह गोवर्धन और राधा कुंड की बीच स्थित है। यह एक सुन्दर तालाब है जिसमे सीढ़ियों से उतरा जाता है। इस के बारे में कहा जाता है कि यह सरोवर राधा के सहेली कुसुम के नाम से है।
ये कुछ धार्मिक स्थान हैं जहाँ पूरा साल टूरिस्ट्स और भक्तों का ताँता लगा रहता है। ख़ास कर जन्माष्टमी पर यहाँ आने वालों के संख्या बहुत ज्यादा होती है। इन मंदिरों के अलावा भी मथुरा में और भी कई मंदिर हैं जहाँ लोग धर्म लाभ के लिए जाते हैं।
मथुरा से कुछ दूरी पर वृन्दावन स्थित है और मथुरा आने वाले टूरिस्ट / श्रद्धालु वृन्दावन दर्शन के लिए भी जरूर जाते हैं। वृन्दावन के अलावा नंदगाव भी एक प्रसिद्द धार्मिक स्थान है जहाँ पर श्री कृष्ण और उनके भाई बलराम ने अपना बचपन बिताया था। इसके आलावा बरसाना और यहाँ की लठमार होली भी विश्व प्रसिद्द है।
मथुरा का पौराणिक महत्त्व | Religious Importance – Mathura Tourist Place Hindi
मथुरा का पौराणिक महत्त्व कितना है इस का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि इसका जिक्र महाकाव्य रामायण में भी किया गया है। रामायण में मथुरा को मधुपुर कहा गया है। इसे मधुदानव नगर के रूप में भी जाना जाता था। इसे लवणासुर के राजधानी बताया गया है और कहा जाता है कि इसे मधु दानव ने बसाया था। रामायण में इसे एक समृद्ध नगरी बताया गया है और इस प्राचीन शहर का अस्तित्व अभी भी एक समृद्ध नगर के रूप में कायम है।
इस नगरी से जुड़े हुए महान नामों में से कुछ नाम संत सूरदास , संत हरिदास, कवी रसखान और स्वामी विरजानन्द के हैं।
ऐसा भी कहा जाता है कि मथुरा को श्री राम के सबसे छोटे भाई शत्रुघ्न, जिन्हे रिपुदमन नाम से भी पुकारा जाता है, ने लवणासुर से मुक्त कराया था। उस समय मथुरा एक घना जंगल था और इसीलिए इसे मधुवन कहा जाता था। बाद में इसे मधुपुर कहा जाने लगा और मधुपुर से इसका वर्तमान नाम मथुरा हो गया।
मथुरा को बृजभूमि भी कहा जाता है। इसका सम्बन्ध भगवन कृष्ण से उनके जन्म स्थान के रूप में है।
सप्तपुरियों में मथुरा | Saptpuri – Mathura Tourist Place Hindi
भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गौरव के आधारशिलाएं ये सप्तपुरियाँ है। इस सप्त पुरियों में मथुरा को विशेष महत्त्व दिया गया है। ये सप्तपुरी हैं :
अयोध्या , मथुरा , हरिद्वार , कशी , कांचीपुरम , उज्जैन और द्वारका
पुराणों में इन सभी सप्तपुरियों कि मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बताया गया है।
मथुरा कैसे पहुचें | How to reach – Mathura Tourist Place Hindi
फ्लाइट से | By Flight to Mathura
मथुरा में कोई एयरपोर्ट नहीं है लेकिन यहाँ आगरा डोमेस्टिक एयरपोर्ट और दिल्ली इंटरनेशनल और डोमेस्टिक एयरपोर्ट से सड़क के रास्ते या फिर ट्रैन से आसानी से पंहुचा जा सकता है। दिल्लील एयरपोर्ट या फिर आगरा एयरपोर्ट से यहाँ के लिए टैक्सी या बस से आया जा सकता है। दिल्ली से यहाँ तक की दूरी लगभग 180 किलोमीटर है। आगरा से यहाँ तक दूरी लगभग 50 किलोमीटर है।
ट्रेन से | By Train to Mathura
मथुरा एक बड़ा रेलवे स्टेशन और जंक्शन है। भारत के सभी बड़े शहरों से यहाँ तक ट्रेन से आया जा सकता है।
सड़क से | By Road to Mathura
मथुरा सड़क नेटवर्क से अच्छी तरह कनेक्टेड है। यहाँ बस से , टैक्सी से या फिर अपने कार से ड्राइव कर आराम से पहुंचा जा सकता है।
मथुरा में घूमना | Roaming in Mathura
मथुरा में लोकल घूमने के लिए ऑटो या रिक्शा ले सकते हैं। मथुरा कर इसके आस पास के जगह देखने के लिए कार से घूमा जा सकता है।
मथुरा में शॉपिंग | Shopping – Mathura Tourist Place Hindi
तिलक द्वार मार्किट , बंगाली मार्किट, चलता बाजार , कृष्णा नगर मार्किट कुछ प्रसिद्द बाजार हैं जहाँ से टूरिस्ट शॉपिंग कर सकते हैं। इनके अलावा मथुरा में बड़े मॉल भी हैं जहाँ से आप शॉपिंग कर सकते हैं।
मथुरा में खाना | Food in Mathura
मंदिरों के आस पास अच्छे वेज होटल्स और रेस्टॉरेंट्स है जहाँ पर मथुरा के प्रसिद्द पेड़े और बाकि डिश का आनंद लिया जा सकता है।
मथुरा में वेज और नॉन वेज दोनों ही तरह का खाना मिलता है।
मथुरा में रहना | Stay – Mathura Tourist Place Hindi
मथुरा और इसके आस पास घूमने और सभी टूरिस्ट स्पॉट देखने के लिए 2 दिन का टाइम लगता है। इसके अलावा यहाँ का वातावरण अनुभव करना अपने आप में ख़ास है। यहाँ रहने के लिए हर बजट में होटल मिल जायेंगे। यहाँ जन्माष्टमी और होली पर बड़ी संख्या में टूरिस्ट आते हैं।
मथुरा एक बिजी टूरिस्ट प्लेस है और साल भर यहाँ बड़ी संख्या में टूरिस्ट आते रहते हैं। यहाँ आने से पहले अडवांस में होटल बुक कर लेना अच्छा है। खासकर जन्माष्टमी और शिवरात्रि के दौरान यहाँ पर एडवांस बुकिंग कर के ही आना चाहिए।
मथुरा जाने का समय / मौसम | Best Time to visit – Mathura Tourist Place Hindi
मथुरा जाने के लिए अक्टूबर से मार्च तक का मौसम सबसे अच्छा है। अगर आप यहाँ होने वाले धार्मिक उत्सवों में भाग लेना चाहते हैं तो जुलाई अगस्त के महीने में यहाँ आना चाहिए। अक्सर जुलाई और अगस्त में पूरे उत्तर भारत में बारिश का मौसम होता है तो जरूरत के अनुसार कपड़े और रेनकोट पैक कर लेने चाहिए।
जन्माष्टमी | Jamnashtami – Shri Krishna’s Birthday
जन्माष्टमी यहाँ मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्यौहार या धार्मिक उत्सव है। जन्माष्टमी के दिन केशव देव मंदिर और द्वारिकाधीश मंदिर में बहुत बड़ी संख्या में भक आते हैं। जन्माष्टमी पर मथुरा आने वाले टूरिस्ट हजारों नहीं बल्कि लाखों के संख्या में होते हैं। यह संख्या ३० लाख तक होती है। इस पूरा दिन जगह जगह मंदिरों में भजन और कीर्तन होते रहते हैं और भगवान् कृष्ण के झांकी सजाई जाती हैं।
” निधि सिंह द्वारा “
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