Sabarmati River in Hindi : साबरमती नदी भारत की पश्चिम दिशा की ओर प्रवाहित होने वाली नदियों में से एक प्रमुख नदी है। साबरमती नदी का उद्गम स्थल राजस्थान राज्य के उदयपुर जिले में, अरावली पर्वतमाला के दक्षिण भाग में, समुद्र तल से 762 मीटर की ऊंचाई पर खेरालू गांव के पास दरबार झील से हुआ है। राजस्थान से दक्षिण पश्चिम दिशा बहते हुए साबरमती नदी गुजरात राज्य से होकर लगभग 371 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद धोलावीरा शहर के पास खंभात की खाड़ी के रास्ते अरब सागर में मिल जाती है। साबरमती नदी की लंबाई राजस्थान में लगभग 48 किलोमीटर और गुजरात में 323 किलोमीटर है। साबरमती नदी के तट पर ही गुजरात की फाइनेंस कैपिटल अहमदाबाद और पॉलिटिकल कैपिटल गांधीनगर स्थित है।
धार्मिक और पौराणिक महत्व | Significance – Sabarmati River in Hindi
प्राचीन कथाओं के अनुसार साबरमती नदी विलुप्त पौराणिक नदी सरस्वती से उत्पन्न हुई मानी जाती है। सरस्वती नदी को ज्ञान और पवित्रता से जुड़ी एक प्राचीन नदी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भू वैज्ञानिक परिवर्तनों के कारण सरस्वती नदी लुप्त हो गई और उसका जल साबरमती सहित अन्य कई नदियों में चला गया।
साबरमती नदी का उल्लेख ऋग्वेद जैसे प्राचीन ग्रंथो में भी मिलता है जहां इस सभ्य कहा गया है। राजस्थान में ऐसा माना जाता है की साबरमती नदी का उद्गम माउंट आबू पर मुनि कश्यप की तपस्या से हुआ था। मुनि कश्यप की तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और वरदान रूप में शिव ने उन्हें गंगा नदी दे दी। गंगा नदी शिव की जटाओं से निकलकर माउंट आबू तक पहुंची और साबरमती नाम से प्रसिद्ध हुई। साबरमती नदी का प्राचीन नाम गोगा भी है।
सहायक नदियां साबरमती नदी | Tributaries – Sabarmati River in Hindi
साबरमती नदी जब धरोई कंठ से निकलकर मैदानी क्षेत्र में आती है, तो 51 किलोमीटर की दूरी पर इसमें वाकल नदी, 67 किलोमीटर पर सेई नदी, 103 किलोमीटर पर हरनाव नदी और 170 किलोमीटर पर हाथमति नदी जाकर मिलती है। साबरमती नदी की सहायक नदियों को बाईं ओर और दाहिनी ओर से मिलने के कारण दो भागों में बांट सकते हैं।
बाई तरफ से आकर मिलने वाली नदियों में वाकल नदी, मधुमती नदी, हाथमति नदी, खारी और वात्रक नदी मुख्य हैं।
दाहिनी ओर से मिलने वाली नदियों में सेई नदी, शेधि नदी और धमनी नदी मुख्य हैं। सेई नदी अरावली श्रृंखला से निकलकर साबरमती में मिलने से पहले 95 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में प्रवाहित होती है। इसका क्षेत्र 946 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
वाकल नदी अपने उद्गम से 88 किलोमीटर तक दक्षिण पश्चिम में बहती है। मेनस नदी इसकी सहायक नदी है। इसका क्षेत्र 1625 वर्ग किलोमीटर है। हरनाव नदी अरावली श्रृंखला की कुललिया पहाड़ियों के उत्तर से निकलती है। इसका जल प्रवाह क्षेत्र 972 वर्ग किलोमीटर है।
हाथमति नदी बाएं ओर की सहायक नदी है जो गुजरात में ही अरावली पर्वतमाला की दक्षिण पश्चिम तलहटी की पहाड़ियों से निकल 122 किलोमीटर की यात्रा करती है। इसका जल अपवाह क्षेत्र 1526 वर्ग किलोमीटर है। गुहाई नदी हाथमती नदी की सहायक है, जिस पर गुहाई बांध बनाया गया है।
वाकल नदी राजस्थान के डूंगरपुर जिले में पंचरा पहाड़ियों से निकलकर 248 किलोमीटर प्रवाहित होकर साबरमती नदी में मिलती है। मेशबो , माजम और शेधि नदियां वात्रक नदी की सहायक हैं।
साबरमती नदी वॉटरफॉल | Waterfall – Sabarmati River in Hindi
साबरमती नदी पर अहमदाबाद और बड़ोदरा के नजदीक कई वॉटरफॉल हैं। इनमें प्रमुख है:
जांजरी वॉटरफॉल | Zanzari Waterfall – Sabarmati River in Hindi
जांजरी वॉटरफॉल बड़ोदरा से 135 किलोमीटर दूर देहगाम के पास स्थित है। यह वात्रक नदी का प्रमुख वॉटरफॉल है। यहां नदी का प्रवाह वर्ष भर सामान्य रहता है। जांजरी फॉल की ऊंचाई 25 फिट है।
बेकर वॉटरफॉल | Baker Waterfall – Sabarmati River in Hindi
बेकर वॉटरफॉल वडोदरा से 150 किलोमीटर दूर मोडासा के पास भादर पर रेतीले पानी के साथ प्रवाह अच्छा है।
हथनी माता वॉटरफॉल |Hathni Mata Waterfall – Sabarmati River in Hindi
बड़ोदरा से 70 किलोमीटर दूर जम्बूघोड़ा के पास रेतीले पानी के साथ अच्छा प्रवाह है। टूरिस्ट के लिए अगस्त और सितंबर के महीना का समय यहाँ आने के लिए सबसे अच्छा रहता है
खुनिया महादेव वॉटरफॉल | Khunia Mahadev Waterfall – Sabarmati River in Hindi
बड़ोदरा से 50 किलोमीटर दूर पावागढ़ के पास खुनिया महादेव झरना स्थित है। नदी में कम जल प्रवाह के कारण इसे कभी-कभी बंद कर दिया जाता है। इनके अतिरिक्त सुनसर वॉटरफॉल , रतन महल वॉटरफॉल, गिरा वॉटरफॉल , गिरमल वॉटरफॉल, चीमेर वॉटरफॉल, शिव घाट, वर्धा और जरवानी वॉटरफॉल आदि टूरिस्ट के लिए आकर्षण है।
वन्य जीव पक्षी अभयारण्य – साबरमती नदी | Wildlife Sanctuaries – Sabarmati River in Hindi
नल सरोवर | Nal Sarovar – Sabarmati River in Hindi
15वीं शताब्दी में जब साबरमती नदी पर एक चेक बांध बनाया गया था तब 120.8 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला नल सरोवर अस्तित्व में आया। नल सरोवर के जल का उपयोग शुरू में सिंचाई और निकटवर्ती ग्रामीण क्षेत्र को पीने के पानी के स्रोत के रूप में किया गया था। समय के साथ नल सरोवर विभिन्न प्रकार की माइग्रेटरी बर्ड्स के लिए महत्वपूर्ण स्थल बन गया। नल सरोवर को प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग कहा जाता है। सन 1969 में गुजरात सरकार द्वारा नल सरोवर पक्षी अभयारण्य को सुरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया। नल सरोवर उथले पानी से, 360 आइलैंड से बना एरिया है। माइग्रेटरी बर्ड्स मध्य एशिया, यूरोप और साइबेरिया की कठोर सर्दी से बचने के लिए यहां आते हैं। इनमें छोटे राजहंस, पेलिकन ,बत्तख, स्पून बिल्स, बगुले, सारस आदि लगभग 250 प्रजातियों के पक्षी नल सरोवर में आते हैं।
थोल झील पक्षी अभयारण्य | Thol Bird Sanctuary – Sabarmati River in Hindi
थोल झील पक्षी अभयारण्य अहमदाबाद से लगभग 20 किलोमीटर दूर मेहसाणा जिले में स्थित है और 0.7 वर्ग किलोमीटर जमीन पर फैला हुआ है। थोल झील मीठे पानी की झील है। इस पक्षी अभयारण्य में लगभग 150 पक्षी प्रजातियां देखी जा सकती हैं। सर्दियों में कई प्रजातियों के माइग्रेटरी पक्षी यहां पर आते हैं जिनमें राजहंस, पेलिकन, सारस, बत्तख सहित विभिन्न जल जीव मुख्य हैं।
फुलवारी की नाल
फुलवारी की नाल में समृद्ध फूलों की विविधता है। यह भोगट के पूर्व शासकों की शिकारगाह थी। इसमें बांस की समृद्ध वृद्धि के साथ-साथ विविध वन्य जीवों के साथ ही शुष्क पर्णपाती वन शामिल हैं। यह जंगल मुख्य रूप से पहाड़ी है जिसमें जल धाराओं और नालों का जाल फैला हुआ है।
डायनासोर पार्क | Indroda Dinosaur Park – Sabarmati River in Hindi
साबरमती नदी के तट पर लगभग 400 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ डायनासोर और जीवाश्म पार्क किसी खजाने से कम नहीं है। इसे डायनासोर के अंडे सेने का दूसरा सबसे बड़ा स्थान माना जाता है। गुजरात इकोलॉजिकल एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन द्वारा संचालित यह देश का एकमात्र डायनासोर संग्रहालय है इसको भारत का जुरासिक पार्क भी कहते हैं। इस पार्क में चिड़ियाघर, समुद्री जीवन जैसे ब्लू व्हेल के विशाल कंकाल, विशाल वनस्पति उद्यान, रंगशाला और व्याख्या केंद्र हैं। यहाँ एक वाइल्डर्नेस पार्क भी है जो पक्षियों, सरीसृपों, नीलगायों, लंगूरों और मोरों की विभिन्न प्रजातियों का घर है।
साबरमती नदी के बांध और जलाशय | Dams – Sabarmati River in Hindi
साबरमती और उसकी सहायक नदियों पर कई जलाशय हैं। इनमें प्रमुख नाम है धरोई बांध , हथमती बांध, गुहाई बांध , मेशबो जलाशय, माजम बांध और वात्रक बांध।
गुजरात के मेहसाणा जिले के धरोई गांव में साबरमती नदी पर धरोई बांध बनाया गया है। अहमदाबाद से लगभग 165 किलोमीटर ऊपर, सन 1978 में धरोई बांध का निर्माण किया गया था। इसका जल ग्रहण क्षेत्र 5540 वर्ग किलोमीटर है। धरोई बांध परियोजना के द्वारा साबरमती नदी के जल का उपयोग सिंचाई और जल विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है। साबरमती नदी में जल की उपलब्धता बनाए रखने के लिए वर्ष 2002 में सरदार सरोवर बांध से नर्मदा नदी का पानी साबरमती नदी में छोड़ा गया था।
डेल्टा | Delta – Sabarmati River in Hindi
भारत की नर्मदा और ताप्ती नदियों की तरह साबरमती नदी का भी अपना कोई डेल्टा नहीं बनता है। पश्चिम दिशा में प्रवाहित ये तीनों ही नदियां डेल्टा के स्थान पर मुहाना बनाती हैं। साबरमती नदी का संपूर्ण प्रवाह क्षेत्र तीव्र ढाल और कठोर चट्टानी क्षेत्र है जिस के कारण यहां नदी की धारा बहुत तेज़ होती है और धरातलीय कठोरता से तलछठ की मात्रा कम रहती है और इसीलिए साबरमती, नर्मदा और ताप्ती नदियां खंभात की खाड़ी में गिरते समय संकरी और गहरी घाटी बनाती हैं जिसे एरचुेरी या ज्वार नद मुख कहते हैं।
बेसिन | Basin – Sabarmati River in Hindi
साबरमती नदी के बेसिन की अधिकतम लंबाई 300 किलोमीटर और चौड़ाई 150 किलोमीटर है। नदी बेसिन का कुल भौगोलिक क्षेत्र 21674 वर्ग किलोमीटर है जिसमें से 4124 वर्ग किलोमीटर राजस्थान में और 17550 वर्ग किलोमीटर गुजरात राज्यों में है। साबरमती बेसिन के पूर्व में बनास और माही नदी बेसिन, उत्तर में लूनी नदी बेसिन और पश्चिम में पश्चिमी बनास नदी का बेसिन है। साबरमती नदी बेसिन उदयपुर, सिरोही, पाली और डूंगरपुर जिलों में फैला है। बेसिन उत्तर और उत्तर पूर्व में अरावली पहाड़ियों और कच्छ के रन से घिरा हुआ है, पश्चिम और दक्षिण में खंभात की खाड़ी से घिरा हुआ है। गुजरात राज्य के साबरकांठा खेड़ा, अहमदाबाद, मेहसाणा और बनासकांठा जिले साबरमती बेसन में ही आते हैं।
इंडियन जनरल ऑफ़ साइंटिफिक रिसर्च के अनुसार साबरमती नदी बेसिन की मिट्टियाँ गहरी उथली काली मिट्टी, भूरी और जलोढ़ मिट्टी पाई जाती है। साबरमती नदी बेसिन में खरीफ की फसलों में बाजरा, कपास, मूंगफली, ज्वार, धान और मक्का मुख्य कृषि फैसले हैं। बेसिन के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 11.28% भाग पर वन क्षेत्र फैला है।
सन 2001 की जनगणना के अनुसार नदी बेसिन की कुल जनसंख्या लगभग 1.33 करोड़ थी जो की 15 जिलों में निवास करती है। सन 2020 में कुल जनसंख्या 1.67 करोड़ हो गई जिसमें से 67.75 लाख ग्रामीण और 99.05 लाख शहरी जनसंख्या थी। साबरमती नदी बेसिन में, विशेष कर अहमदाबाद और उसके समीप के भागों में इंडस्ट्रियल यूनिट्स स्थापित हैं।
मंदिर और पर्यटन स्थल | Temples and Tourist Attractions – Sabarmati River in Hindi
साबरमती नदी ऋषि मुनियों के तप और क्षत्रियों के युद्ध की साक्षी रही है। इसका नाम सबर और हाथमति नाम की दो जल धाराओं के मिलने से बना है और इसीलिए इसे साबरमती नदी कहा जाता है। साबरमती नदी को गुजरात की लाइफ लाइन भी कहा जाता है
देवरा (जयसमंद ) झील | Jaisamand Lake or Devra Lake
देवरा झील या जयसमंद झील अरावली पर्वतमाला के दक्षिण पश्चिम में स्थित एक विशाल जलाशय है। इस झील को एशिया की दूसरे सबसे बड़ी कृत्रिम झील माना जाता है। उदयपुर जिला मुख्यालय से लगभग 51 किलोमीटर दूर अपने प्राकृतिक परिवेश और बांध की स्थापत्य कला की सुंदरता से यह झील टूरिस्ट के आकर्षण का केंद्र रही है। इस झील के बीच एक आइलैंड है जिसे बाबा का भरवाड़ा कहा जाता है।
उदयपुर के महाराणा जयसिंह द्वारा सन 1687 से सन 1691 के बीच 14400 मीटर लंबाई और 9500 मीटर चौड़ाई में गोमती नदी पर निर्मित यह झील एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है। महाराणा जयसिंह के नाम पर इस झील को जयसमंद कहा जाने लगा, वैसे इसका मूल नाम देवर झील है। इसमें जल की आपूर्ति गौतमी और झामरी नदियां और बगुरवा नाला से होती है।
हरिर बावड़ी का सीना | Harir Bawdi
साबरमती रिवर फ्रंट के पास स्थित दादा हरिर स्टेपवेल एक प्रसिद्द टूरिस्ट आकर्षण है। हरिर बावड़ी अपने विशेष आर्किटेक्चर के लिए प्रसिद्द है।
साबरमती रिवर फ्रंट | Sabarmati River Front
साबरमती नदी अहमदाबाद को दो भागों में बनती है और इस पर एलिस ब्रिज अहमदाबाद का प्रसिद्ध लैंडमार्क है, जो अहमदाबाद के पूर्वी और पश्चिमी सिरों को जोड़ता है। एलिस ब्रिज के पास स्थित साबरमती रिवर फ्रंट फ्लावर पार्क व मार्केट जीवंत फूलों के प्रदर्शन मनीकृत उद्यान और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। साबरमती रिवरफ्रंट मार्केट को नाइट मार्केट के नाम से जानते हैं और यहां फूड स्टॉल, हैंडीक्राफ्ट और शोपीस और अन्य डेकोरेशन का आकर्षक मार्किट लगता है।
साबरमती आश्रम | Sabarmati Ashram
साबरमती नदी के किनारे पर बना साबरमती आश्रम विश्व प्रसिद्द आश्रम है। साबरमती आश्रम की स्थापना सन 1917 में महात्मा गांधी ने अहमदाबाद में की थी। साबरमती के इतिहास में यह सबसे महत्वपूर्ण अध्यायों में से एक माना जाता है। यह भारत की स्वतंत्रता के लिए अहिंसक संघर्ष केंद्र के रूप में काम करता रहा है। साबरमती आश्रम शांति और एकता का प्रतीक है और सामाजिक राजनीतिक सुधारो का केंद्र है। इसी आश्रम से सन 1930 में गांधी ने अपने अनुयायियों के साथ आश्रम से दांडी के गांव तक 24 दिनों की यात्रा की थी जहां ब्रिटिश नमक एकाधिकार का विरोध किया था।
धोलेश्वर महादेव मंदिर | Dholeshwar Mahadev Mandir
साबरमती नदी के तट पर गांधीनगर के पास भगवान शिव का मंदिर स्थित है। यह मंदिर अनादि काल से मौजूद है। शिव पुराण में साबरमती नदी के तट पर सफेद संगमरमर के शिवलिंग वाले शिव मंदिर का उल्लेख है इसीलिए इसे धोलेश्वर महादेव कहा जाता है।
महालक्ष्मी मंदिर | Mahalakshmi Mandir
महालक्ष्मी मंदिर में देवी की प्रतिमा की स्थापना जनवरी 1990 को बसंत पंचमी के दिन हुई थी। इसके गर्भ ग्रह के बाहर गणेश और बटुक भैरव की मूर्तियां है। यह मंदिर अहमदाबाद में स्थित है. इसके अतिरिक्त कैला देवी मंदिर और रोकडिया हनुमान मंदिर भी नदी के किनारे बने प्रसिद्ध मंदिर हैं।
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