Bharatpur Tourist Places Hindi : भरतपुर शहर राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित है। भरतपुर ब्रज क्षेत्र में स्थित है और अपने ऐतिहासिक महत्व, सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक आकर्षणों के लिए जाना जाता है। भगवान राम के भाई भगवान भरत के सम्मान में शहर का नाम भरतपुर रखा गया था।
भरतपुर राजस्थान की जीवंत संस्कृति को दर्शाता है जिसमें पारंपरिक संगीत, नृत्य और त्यौहार यहाँ की जीवन शैली का अभिन्न अंग हैं। यह शहर अपने रंग-बिरंगे बाज़ारों के लिए जाना जाता है। राजस्थान के बाज़ार पारंपरिक हेंडीक्राफ्ट के लिए बहुत प्रसिद्द हैं। भरतपुर शहर अपने समृद्ध इतिहास, आर्किटेक्चर और केवलादेव नेशनल पार्क की प्राकृतिक सुंदरता के लिए टूरिस्ट्स के बीच लोकप्रिय है।
इतिहास – Bharatpur | History – Bharatpur
भरतपुर का एक समृद्ध इतिहास है जिसमें अलग अलग समयों पर अलग अलग शासकों ने शासन किया है। भरतपुर के आसपास के क्षेत्र में मानव बस्तियों के प्रमाण मिले हैं महाभारत काल से मिलते हैं। आधुनिक इतिहास में भरतपुर शहर की स्थापना महाराजा सूरजमल ने की थी । वह एक प्रमुख जाट शासक थे जिन्होंने उत्तरी भारत की राजनीति में 18 वें शताब्दी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी ।
18 वीं शताब्दी में महाराजा सूरजमल के शासन में भरतपुर एक रियासत बन गया। यह राज्य अपनी सैन्य शक्ति के लिए जाना जाता था और भरतपुर के शासक अक्सर मुगलों और अन्य पड़ोसी राज्यों के साथ संघर्ष में रहते थे। इसी दौरान मुगल साम्राज्य के कई हमलों का सफलतापूर्वक विरोध करने के लिए भरतपुर को प्रसिद्धि मिली। लोहागढ़ किले सहित भरतपुर के किले अपनी सैन्य शक्ति के लिए जाने जाते थे और राज्य की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।
18 वीं सदी के अंत और 19वीं सदी की शुरुआत में एंग्लो-मराठा युद्धों के दौरान भरतपुर एक महत्वपूर्ण कड़ी बन गया। महाराजा रणजीत सिंह और महाराजा रणधीर सिंह जैसे नेताओं के नेतृत्व में इस क्षेत्र में ब्रिटिश विस्तार का विरोध किया गया था । अंततः, भरतपुर ने अंग्रेजों के साथ गठबंधन किया और 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान ब्रिटिश शासन का समर्थन किया।
वर्ष 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद अन्य रियासतों की तरह भरतपुर भी नवगठित भारत गणराज्य में शामिल हो गया। वर्ष 1956 में भरतपुर सहित कई रियासतों को मिलाकर राजस्थान राज्य का गठन किया गया।
आज, भरतपुर अपने ऐतिहासिक स्मारकों के लिए जाना जाता है, जिनमें लोहागढ़ किला, भरतपुर पैलेस और केवलादेव नेशनल पार्क के व्यापक प्रसिद्धि है। भरतपुर शहर के ये आकर्षण दुनिया भर से टूरिस्ट्स और पक्षी प्रेमियों को आकर्षित करते हैं।
भरतपुर टूरिस्ट प्लेस | Bharatpur Tourist Places Hindi
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान – भरतपुर टूरिस्ट प्लेस | Keoladev National Park – Bharatpur Tourist Places Hindi
केवलादेव नेशनल पार्क, जिसे पहले भरतपुर पक्षी अभयारण्य के नाम से जाना जाता था, भरतपुर में स्थित एक प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्य और यूनेस्को हेरिटेज साइट है। इस पार्क की स्थापना वर्ष 1956 में की गई थी और बाद में वर्ष 1985 में इसे यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया गया था। हालाँकि शुरुआत में इसे भरतपुर के राजाओं के लिए शिकारगाह के रूप में बनाया गया था लेकिन बाद में इसे इसके इकोसिस्टम के कारण इसके महत्व और संरक्षण प्रयासों के लिए पहचाना गया।
यह पार्क लगभग 29 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसमें वेटलैंड , जंगल , घास के मैदान और मीठे पानी की झीलें शामिल हैं। केवलादेव नेशनल पार्क एक महत्वपूर्ण बर्ड सैंक्चुअरी होने के लिए प्रसिद्ध है जो सर्दियों के मौसम में कई अलग अलग प्रजातियों के माइग्रेटेड पक्षियों को आकर्षित करता है। यह साइबेरियाई क्रेन, इग्रेट्स, पेलिकन, बत्तख और रैप्टर की प्रजातियों सहित, लोकल और और माइग्रेटेड दोनों तरह के पक्षियों की 370 से अधिक प्रजातियां देखी जा सकती हैं।
केवलादेव नेशनल पार्क सिर्फ पक्षियों के बारे में नहीं है बल्कि इसमें जलीय पौधों, घासों और पेड़ों सहित वनस्पतियों की एक विशाल संख्या है। केवलादेव पार्क का नाम केवलादेव मंदिर के नाम पर रखा गया है जो इस सैंक्चुअरी के अंदर स्थित भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है।
लोहागढ़ किला – भरतपुर टूरिस्ट प्लेस | Lohagarh Fort – Bharatpur Tourist Places Hindi
लोहागढ़ किला जिसे लौह किले के नाम से भी जाना जाता है, भरतपुर में स्थित एक ऐतिहासिक किला है। यह किला अपनी मजबूत संरचना और भरतपुर के इतिहास में अपनी भूमिका के लिए महत्वपूर्ण है। लोहागढ़ किले का निर्माण 18 वीं शताब्दी की शुरुआत में भरतपुर के संस्थापक महाराजा सूरजमल ने किया था।
लोहागढ़ किले को अभेद्य बनाने और लोहे की तरह मजबूत बनाने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया था। लोहागढ़ किला कई बार मुगलों और अंग्रेजों के हमलों का साक्षी रहा था। यह किला अपनी मजबूत और साधारण आर्किटेक्चर के लिए जाना जाता है। मिट्टी और पत्थर की मोटी दीवारों से निर्मित लोहागढ़ किला अजेय माना जाता था।
लोहागढ़ किले में महलों और प्रवेश द्वारों सहित कई संरचनाएँ हैं। इस किले की उल्लेखनीय संरचनाओं में किशोरी महल, महल खास और मोती महल शामिल हैं। किशोरी महल को रानी के महल के रूप में भी जाना जाता है। यह राजपूत और मुगल स्थापत्य शैली का मिश्रण है।
मोती महल, किले के भीतर एक और महत्वपूर्ण संरचना है। यह राजा के निजी कक्ष के रूप में कार्य करता था और अपने कलात्मक डिजाइन के लिए जाना जाता है। लोहागढ़ किले में दो प्रमुख विजय मीनारें हैं, जवाहर बुर्ज और फतेह बुर्ज। इन टावरों का निर्माण महाराजा सूरजमल ने मुगलों और अंग्रेजों पर अपनी जीत की याद में करवाया था।
मोती महल – भरतपुर टूरिस्ट प्लेस | Moti Mahal – Bharatpur Tourist Places Hindi
मोती महल, भरतपुर में स्थित लोहागढ़ किला परिसर के भीतर एक महत्वपूर्ण संरचना है। मोती महल के निर्माण का श्रेय महाराजा बलवंत सिंह को दिया जाता है, जिन्होंने 18वीं शताब्दी में भरतपुर पर शासन किया था। मोती महल राजपूत और मुगल वास्तुकला शैलियों का मिश्रण दर्शाता है। यह महल अपने सरल लेकिन सुंदर डिज़ाइन के लिए जाना जाता है।
मोती महल राजा के निजी कक्ष के रूप में कार्य करता था और इसका उपयोग विभिन्न आधिकारिक और निजी उद्देश्यों के लिए किया जाता था। मोती महल के अंदरूनी हिस्सों में कलात्मक डिज़ाइन शामिल हैं, जिनमें जटिल नक्काशी की गयी है। यह उस समय की शिल्प कौशल को प्रदर्शित करते हैं। मोती महल का उपयोग कभी-कभी एक म्यूजियम के रूप में किया जाता है जिसमें भरतपुर शासकों के इतिहास और जीवनशैली से संबंधित कलाकृतियाँ, पेंटिंग और वस्तुएँ प्रदर्शित की जाती हैं।
भरतपुर पैलेस – भरतपुर टूरिस्ट प्लेस | Bharatpur Palace – Bharatpur Tourist Places Hindi
भरतपुर पैलेस, भरतपुर में स्थित एक ऐतिहासिक महल है जो राजपूत और मुगल आर्किटेक्चर शैलियों का मिश्रण है। यह महल भरतपुर में एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थान है। भरतपुर पैलेस का निर्माण 18 वीं शताब्दी के मध्य में महाराजा बलवंत सिंह ने करवाया था। महल को बाद में महाराजा सूरजमल और महाराजा जवाहर सिंह सहित अन्य शासकों द्वारा विस्तारित और पुनर्निर्मित किया गया था।
भरतपुर पैलेस में अलंकृत नक्काशी, दीवारों पर की गयी पेंटिंग और सुंदर जाली का काम है। महल परिसर में कई संरचनाएँ हैं, जिनमें आंगन, गार्डन और अन्य इमारतें शामिल हैं। महल के भीतर मुख्य संरचनाओं में कचहरी कोठी, दरबार हॉल और म्यूजियम शामिल हैं। दरबार हॉल एक भव्य हॉल है जिसका इस्तेमाल आधिकारिक बैठकों और समारोहों के लिए किया जाता था । दरबार हॉल को सुन्दर झूमरों और कलाकृति से सजाया गया है।
महल में स्थित म्यूजियम कलाकृतियों, हथियारों, प्राचीन वस्तुओं और चित्रों का एक संग्रह है। यह म्यूजियम भरतपुर के महाराजाओं के इतिहास और जीवनशैली के बारे में जानकारी देता है।
गंगा मंदिर – भरतपुर टूरिस्ट प्लेस | Ganga Mandir – Bharatpur Tourist Places Hindi
गंगा मंदिर, जिसे लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, भरतपुर शहर में स्थित एक हिंदू मंदिर है। गंगा मंदिर भरतपुर शहर के बीच स्थित है जिससे यहाँ लोकल और टूरिस्ट्स , दोनों आसानी से पहुँच सकते हैं। यह मंदिर पारंपरिक राजस्थानी शिल्प कौशल के लिए जाना जाता है। मंदिर में सुंदर नक्काशीदार स्तंभ और शिखर देखे जा सकते हैं। गंगा मंदिर देवी गंगा को समर्पित है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं में गंगा नदी का अवतार है।
भक्त पूजा-अर्चना करने और देवी गंगा से आशीर्वाद लेने के लिए गंगा मंदिर जाते हैं। मंदिर का शांत वातावरण प्रार्थना और ध्यान के लिए एक शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करता है।
गवर्नमेंट म्यूजियम – भरतपुर टूरिस्ट प्लेस | Government Museum – Bharatpur Tourist Places Hindi
राजस्थान के भरतपुर में गवर्नमेंट म्यूजियम एक सांस्कृतिक केंद्र है जिसमें इस क्षेत्र के इतिहास, कला और संस्कृति से संबंधित कलाकृतियों, मूर्तियों और प्रदर्शनों का प्रदर्शित किया गया है। भरतपुर में गवर्नमेंट म्यूजियम की स्थापना इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संसंरक्षण करने के लिए की गई थी। यह म्यूजियम भरतपुर शहर के बीच में स्थित है जिससे टूरिस्ट्स के लिए यहाँ पहुंचना आसान हो जाता है। यह म्यूजियम मूर्तियों, सिक्कों, चित्रों, पांडुलिपियों और अन्य पुरातात्विक और अन्य प्रकार की कलाकृतियों को प्रदर्शित करता है। म्यूजियम के भीतर आर्ट गैलरी उन चित्रों और कलाकृतियों को प्रदर्शित करती है जो भरतपुर की कलात्मक विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं।
भरतपुर में यह म्यूजियम एक शैक्षिक संसाधन के रूप में कार्य करता है जो क्षेत्र के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विकास के बारे में जानकारी प्रदान करता है। यह इतिहास, कला और मानव विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए एक समृद्ध अनुभव देता है।
दीग पैलेस – भरतपुर टूरिस्ट प्लेस | Deeg Palace – Bharatpur Tourist Places Hindi
दीग पैलेस, भरतपुर जिले के डीग शहर में स्थित एक ऐतिहासिक महल है। यह अपनी प्रभावशाली आर्किटेक्चर, सुंदर गार्डन और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। दीग पैलेस का निर्माण 18वीं शताब्दी में भरतपुर के संस्थापक महाराजा सूरजमल ने ग्रीष्मकालीन पैलेस और दूसरी राजधानी के रूप में करवाया था। दीग पैलेस को संभावित आक्रमणों को ध्यान में रखते हुए रणनीतिक रूप से बनवाया गया था ।
दीग पैलेस का आर्किटेक्चर राजपूत और मुगल शैलियों का मिश्रण है जो उस समय के दौरान इस क्षेत्र के सांस्कृतिक मिश्रण को भी दर्शाता है। दीग पैलेस की सबसे उल्लेखनीय विशेषताओं में से एक इसके गार्डन हैं। दीग पैलेस परिसर में कई फव्वारे और झरने हैं जो गर्मी के महीनों के दौरान आसपास के वातावरण को ठंडा रखने के लिए डिजाइन किए गए थे।
गोपाल भवन, दीग पैलेस परिसर के भीतर मुख्य महल है। इसमें अलंकृत नक्काशी, मिरर का काम और सुंदर पेंटिंग शामिल हैं। केशव भवन महल परिसर के भीतर एक और महत्वपूर्ण भवन है। यह शाही परिवार के रहने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। सूरज भवन, इस महल की एक इमारत है जिसका नाम महाराजा सूरजमल के नाम पर रखा गया है। इसमें संगमरमर के फर्श वाला एक सुंदर हॉल है। पैलेस परिसर में शीश महल, या ग्लास पैलेस, अपने जटिल कांच के काम के लिए जाना जाता है। महल की दीवारों, छतों और खंभों में शीशे लगे होने के कारण से इसे शीश महल कहा जाता है।
महल के अलावा, डीग पैलेस परिसर में एक किला भी है जिसे सुरक्षा की रणनीति के तहत बनाया गया था। किले की विशेषता विशाल दीवारें और बुर्ज हैं। दीग पैलेस एक वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव का आयोजन करता है जिसे “दीग उत्सव” कहा जाता है। इस उत्सव के दौरान महल को रोशनी से सजाया जाता है और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।
जवाहर बुर्ज और फतेह बुर्ज – भरतपुर टूरिस्ट प्लेस | Victory Towers – Bharatpur Tourist Places Hindi
जवाहर बुर्ज और फतेह बुर्ज , भरतपुर में लोहागढ़ किले के परिसर में स्थित दो प्रमुख संरचनाएँ हैं। ये दोनों विजय मीनारें ऐतिहासिक महत्व रखती हैं और इनका निर्माण भरतपुर शासकों की विशिष्ट विजयों की स्मृति में किया गया था। जवाहर बुर्ज लोहागढ़ किले के भीतर स्थित विजय टावरों में से एक है। इसका निर्माण महाराजा जवाहर सिंह ने मुगलों पर अपनी जीत के उपलक्ष्य में करवाया था। यह टावर महाराजा जवाहर सिंह की वीरता और सैन्य उपलब्धियों का प्रतीक है।
फतेह बुर्ज लोहागढ़ किले के भीतर एक और विजय स्मारक है। इसका निर्माण महाराजा सूरजमल ने 18 वीं शताब्दी में मुगलों और अंग्रेजों की संयुक्त सेना पर अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए कराया था। फतेह बुर्ज राजस्थान के सभी विजय स्मारक में सबसे ऊंचा टावर होने के कारण विशेष रूप से उल्लेखनीय है। जवाहर बुर्ज और फतेह बुर्ज दोनों,किले के भीतर अपने ऊंचे स्थानों से आसपास के दृश्य का सुन्दर रूप प्रस्तुत करते हैं। ये विजय स्मारक न केवल आर्किटेक्चर की दृष्टि से , बल्कि ऐतिहासिक स्थलों के रूप में भी प्रसिद्द हैं जो टूरिस्ट्स को भरतपुर शासकों के रणनीतिक कौशल और सैन्य कौशल की याद दिलाते हैं।
भरतपुर कब जाएं | Best Time to Visit Bharatpur
भरतपुर की यात्रा का सबसे अच्छा समय आमतौर पर अक्टूबर से मार्च तक सर्दियों के महीनों के दौरान होता है। सर्दियों के दौरान यहाँ मौसम आरामदायक होता है और औसत तापमान लगभग 5°C से 25°C के बीच होता है। इस दौरान दिन आमतौर पर सुहावने होते हैं जिससे आउटडोर एक्टिविटी में भाग लेना एक अच्छा अनुभव हो जाता है।
भरतपुर में, विशेष रूप से केवलादेव नेशनल पार्क में, पक्षियों को देखने के लिए सर्दियाँ सबसे अच्छा मौसम है। इस दौरान दुर्लभ प्रजातियों सहित कई माइग्रेटेड पक्षी पार्क में आते हैं।
कैसे पहुंचे भरतपुर | How to reach Bharatpur
भरतपुर शहर परिवहन के विभिन्न साधनों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
फ्लाइट से | By Flight
भरतपुर का सबसे नजदीक का एयरपोर्ट जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, भरतपुर से लगभग 180 किलोमीटर दूर है। जयपुर से भरतपुर तक यात्रा करने के लिए टूरिस्ट्स टैक्सी किराए पर ले सकते हैं।
ट्रेन से | B y Train
भरतपुर जंक्शन शहर का मुख्य रेलवे स्टेशन है और प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दिल्ली, मुंबई, जयपुर और आगरा जैसे शहरों से भरतपुर के लिए रेगुलर ट्रेन चलती हैं। भरतपुर जंक्शन पर ऑटो-रिक्शा और टैक्सियाँ उपलब्ध हैं।
सड़क मार्ग से | By Road
भरतपुर सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है, और एन ऐच 44 शहर से होकर गुजरता है। भरतपुर दिल्ली से लगभग 180 किलोमीटर दूर है, और टूरिस्ट्स NH44 के माध्यम से आसानी से यहाँ पहुँच सकते हैं। दिल्ली और भरतपुर के बीच सरकारी और निजी बसें चलती हैं।
जयपुर से भरतपुर की दूरी NH21 के माध्यम से लगभग 180 किलोमीटर है। जयपुर से भरतपुर के लिए बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।
लोकल ट्रांसपोर्ट | Local Transport
भरतपुर शहर में लोकल ट्रांसपोर्ट के लिए ऑटो-रिक्शा, साइकिल-रिक्शा और टैक्सियाँ उपलब्ध हैं।
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