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जैसलमेर टूरिस्ट प्लेस | Jaisalmer Tourist Places Hindi

Jaisalmer Tourist Places Hindi

Jaisalmer Tourist Places Hindi

Jaisalmer Tourist Places Hindi : जैसलमेर , जिसे गोल्डन सिटी कहा जाता है राजस्थान का एक मुख्य टूरिस्ट सिटी है। जैसलमेर की विशेषता पीले बलुआ पत्थर से बनी इमारतें हैं। यह पीले बलुआ पत्थर से बना आर्किटेक्चर जैसलमेर शहर को सुनहरा रंग देता है और इसीलिए इसे अक्सर “गोल्डन सिटी” कहा जाता है। जैसलमेर थार रेगिस्तान के बीच में स्थित है और अपने समृद्ध इतिहास, जीवंत संस्कृति और विशेष आर्किटेक्चर के लिए जाना जाता है।

यह शहर नक्काशीदार पारम्परिक हवेलियों, मंदिरों और प्रवेश द्वारों के लिए प्रसिद्ध है। जैसलमेर में मुख्य हवेलियों में पटवों की हवेली, सलीम सिंह की हवेली और नथमल की हवेली हैं जो उत्कृष्ट राजस्थानी शिल्प कौशल का प्रदर्शन करती हैं।

थार रेगिस्तान में स्थित होने के कारण जैसलमेर रेगिस्तानी सफ़ारी के लिए एक जाना माना डेस्टिनेशन है। टूरिस्ट यहाँ रेगिस्तान से जुड़े एडवेंचर और यहाँ जीवन का अनुभव करने के लिए देश विदेश से आते हैं। यह शहर एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है जिसमें पारंपरिक संगीत, नृत्य और लोक प्रदर्शन, स्थानीय त्योहारों और समारोह की विशेष महत्त्व हैं। राजस्थान के अन्य टूरिस्ट शहरों की ही तरह जैसलमेर भी अपने रंग बिरंगे बाजारों के लिए जाना जाता है।

इतिहास – जैसलमेर | History of Jaisalmer

जैसलमेर का एक समृद्ध इतिहास है। इस शहर का इतिहास राजपूताना क्षेत्र के विकास के साथ जुड़ा हुआ है, और इसने विभिन्न राजवंशों के उत्थान और पतन को देखा है। जैसलमेर की स्थापना महाराजा रावल जैसल ने 1156 ई. में की थी। वह एक भाटी राजपूत थे और उन्होंने थार रेगिस्तान से गुजरने वाले ऊंट व्यापार मार्गों पर एक रणनीतिक चौकी के रूप में काम करने के लिए त्रिकुटा पहाड़ी पर शहर की स्थापना की थी। इस शहर की नींव प्रतिष्ठित जैसलमेर किले के निर्माण से चिह्नित की गई थी।

जैसलमेर भाटी राजपूत राजवंश की राजधानी बन गया और यहाँ के शासकों ने इस क्षेत्र के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भाटी राजपूत अपनी वीरता और शिष्टता के लिए जाने जाते थे और बाहरी आक्रमणों के खिलाफ क्षेत्र की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।

सिल्क रोड के साथ जैसलमेर की स्थिति होने के कारण इसकी आर्थिक रूप से काफी समृद्धि हुई । यह शहर कीमती पत्थरों, मसालों, रेशम और अन्य सामानों के व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ। व्यापार से आये धन ने शासकों को कला को संरक्षण देने का भी समय और ज्ञान दिया और यहाँ नक्काशीदार हवेलियों और मंदिरों का निर्माण हुआ। जैसलमेर किले का निर्माण 12 वीं शताब्दी में शुरू हुआ और सदियों तक जारी रहा। जैसलमेर किला एक दुर्जेय संरचना है और आक्रमणों के खिलाफ शहर की रक्षा करता आया है।

मध्यकाल के दौरान जैसलमेर को पड़ोसी राज्यों और दिल्ली सल्तनत से कई आक्रमणों का सामना करना पड़ा। हालाँकि, यह शहर लम्बे समय तक स्वतंत्र रहा लेकिन 16 वीं शताब्दी में जैसलमेर मुगल साम्राज्य के प्रभाव में आ गया और बाद में जोधपुर के राठौड़ शासकों ने जैसलमेर पर नियंत्रण हासिल कर लिया।

ब्रिटिश शासन काल के दौरान जैसलमेर एक रियासत बन गया। 1947 में भारत को आज़ादी मिलने के बाद, रियासतों को भारतीय संघ में एकीकृत कर दिया गया और जैसलमेर राजस्थान राज्य का हिस्सा बन गया। तब से यह शहर एक प्रमुख टूरिस्ट प्लेस बन गया है जो अपने समृद्ध इतिहास, आर्किटेक्चर और सांस्कृतिक विरासत का अनुभव करने के लिए दुनिया भर से टूरिस्ट्स को आकर्षित करता है।

जैसलमेर टूरिस्ट प्लेस | Jaisalmer Tourist Places Hindi

जैसलमेर भारत में एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, जो अपने ऐतिहासिक स्थलों, वास्तुशिल्प चमत्कारों और अद्वितीय रेगिस्तानी एडवेंचर से जुड़े अनुभवों के लिए जाना जाता है।

जैसलमेर किला (सोनार किला) – जैसलमेर टूरिस्ट प्लेस | Jaisalmer Fort – Jaisalmer Tourist Places Hindi

Jaisalmer Tourist Places Hindi
Jaisalmer Fort – Jaisalmer Tourist Places Hindi

जैसलमेर किला, जिसे सोनार किला (स्वर्ण किला) के नाम से भी जाना जाता है, जैसलमेर शहर के सबसे प्रतिष्ठित टूरिस्ट आकर्षणों में से एक है। जैसलमेर किला 1156 ईस्वी में भाटी राजपूत शासक महाराजा रावल जैसल द्वारा त्रिकुटा पहाड़ी पर बनाया गया था। यह किला सुरक्षा और आवास, दोनों उद्देश्यों को पूरा करता था।

जैसलमेर किले का निर्माण पीले बलुआ पत्थर का उपयोग करके किया गया है, जो पूरी संरचना को सुनहरा रंग प्रदान करता है। जैसलमेर किले का आर्किटेक्चर राजपूत और इस्लामी शैलियों का मिश्रण है। जैसलमेर किला दुनिया के सबसे बड़े पूर्णतः संरक्षित किलेबंद शहरों में से एक है।

2013 में, जैसलमेर किले को राजस्थान के पहाड़ी किलों में से एक, यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया गया था। इसमें जिसमें चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, रणथंभौर, अंबर उप-क्लस्टर और गागरोन के किले भी शामिल हैं।

जैसलमेर किले में चार प्रभावशाली गेट हैं: अक्षय पोल, गणेश पोल, सूरज पोल और हवा पोल। हर गेट का अपना महत्व है और यह किले के अलग अलग हिस्सों की ओर जाते हैं । जैसलमेर किले के अंदर कई हवेलियाँ और जैन मंदिर हैं। कुछ उल्लेखनीय हवेलियों में पटवों की हवेली, सलीम सिंह की हवेली और नथमल की हवेली शामिल हैं। जैन मंदिर अपनी उत्कृष्ट वास्तुकला और नक्काशी के लिए जाने जाते हैं।

जैसलमेर किले में राज महल स्थित है जो जैसलमेर के शासकों का निवास था। यह महल सुसज्जित बालकनी, पत्थर की नक्काशी और दीवारों पर सुन्दर पेंटिंग से सुशोभित है। जैसलमेर किला सिर्फ एक ऐतिहासिक स्मारक नहीं है बल्कि यह एक जीवंत संरचना है। यह किला पारंपरिक संगीत और नृत्य प्रदर्शन सहित सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बना हुआ है। जैसलमेर किले में आने वाले टूरिस्ट किले के भीतर अलग अलग जगहों से शहर और आसपास के थार रेगिस्तान के सुन्दर दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।

जैसलमेर किला इस क्षेत्र के समृद्ध इतिहास और स्थापत्य कौशल के प्रमाण के रूप में खड़ा है।

पटवों की हवेली – जैसलमेर टूरिस्ट प्लेस | Patwon Ki Haveli – Jaisalmer Tourist Places Hindi

Patwon Ki Haveli – Jaisalmer Tourist Places Hindi

पटवों की हवेली जैसलमेर शहर में स्थित पाँच हवेलियों का एक समूह है। पटवों की हवेली 19वीं सदी की शुरुआत में बनाई गई थी। इस पांच हवेलियों का संग्रह में हर एक हवेली का निर्माण धनी गुमान चंद पटवा ने अपने पांच बेटों ले लिए करवाया था। इन हवेलियों का निर्माण 60 वर्षों की अवधि में हुआ था।

ये हवेलियाँ राजपूत और इस्लामी आर्किटेक्चर का मिश्रण हैं जिनकी विशेषता नक्काशीदार मुख्य दीवारें , सुसज्जित बालकनी और झरोखे हैं। इन हवेलियों का बाहरी भाग बारीक नक्काशीदार बलुआ पत्थर से सजाया गया है जो उन्हें एक अलग सुनहरा-पीला रूप देता है। झरोखे और बालकनियाँ नाजुक जाली के काम से सजे हुए हैं । पटवा हवेलियाँ अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए जानी जाती हैं। पटवों की हवेली जैसलमेर की समृद्ध सांस्कृतिक और स्थापत्य विरासत का अनुभव कराती है। ये हवेलियाँ जनता के लिए खुली हैं।

सलीम सिंह की हवेली – जैसलमेर टूरिस्ट प्लेस | Salim Singh Ki Haveli – Jaisalmer Tourist Places Hindi

Salim Singh Ki Haveli – Jaisalmer Tourist Places Hindi

सलीम सिंह की हवेली जैसलमेर की एक और प्रमुख ऐतिहासिक इमारत है। यह हवेली भी अपने आर्किटेक्चर के लिए जानी जाती है और शहर के महत्वपूर्ण आकर्षणों में से एक है। सालिम सिंह की हवेली का निर्माण 18वीं शताब्दी की शुरुआत में सालिम सिंह ने किया था, जो उस समय जैसलमेर रियासत के प्रधान मंत्री थे। हवेली का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया है।

यह हवेली अपनी अनोखी मोर-आकार के लिए प्रसिद्ध है। हवेली का शीर्ष मोर के आकार जैसा दिखता है जिसके पंख फैले हुए हैं। यह डिज़ाइन सलीम सिंह की हवेली को जैसलमेर की अन्य हवेलियों से अलग करता है। इस हवेली के मुख्य दीवार पर सुन्दर नक्काशी है। हवेली की बालकनियाँ जाली के काम और ब्रैकेट से सजी हुई हैं।

किंवदंती है कि प्रधानमंत्री सलीम सिंह हवेली को शासक महाराजा के महल से भी ऊंची बनाना चाहते थे। हालाँकि, महाराजा ने हवेली को पूरा होने से पहले ही तोड़ने का आदेश दिया, क्योंकि उन्हें लगा कि इससे उनके अपने महल का महत्त्व कम हो जायेगा । इसके बावजूद यह हवेली एक वास्तुशिल्प चमत्कार के रूप में खड़ी है। इस हवेली में कई झरोखे और खिड़कियाँ

जैसलमेर की अन्य हवेलियों की तरह सलीम सिंह की हवेली भी बीते युग की संपत्ति, समृद्धि और वास्तुकला की सुंदरता को दर्शाती है। यह क्षेत्र के समृद्ध इतिहास का प्रमाण है और दुनिया भर से टूरिस्ट्स के आकर्षण का केंद्र है।

नाथमल की हवेली – जैसलमेर टूरिस्ट प्लेस | Nathmal Ki Haweli – Jaisalmer Tourist Places Hindi

Nathmal Ki Haweli – Jaisalmer Tourist Places Hindi

नाथमल की हवेली अपनी अनूठी वास्तुकला, नक्काशी और दिलचस्प इतिहास के लिए जानी जाती है। नाथमल की हवेली का निर्माण 19 वीं शताब्दी के अंत में करवाया गया था। इस हवेली का निर्माण दो भाइयों, हाथी राम और लालू को सौंपा गया था, जो आर्किटेक्ट नहीं थे बल्कि कारीगर थे।

यह हवेली राजपूत और इस्लामी शैली का मिश्रण है। जो बात नथमल की हवेली को अद्वितीय बनाती है वह यह तथ्य है कि दोनों भाइयों ने बिना किसी योजना के, हवेली के अलग अलग हिस्सों पर काम करना शुरू कर दिया । परिणाम एक ऐसी संरचना है जो एक पूरे तालमेल से नहीं बनी है। इस हवेली को जाली के काम और बलुआ पत्थर के मुख्य दीवार पर नक्काशी से सजाया गया है।

नाथमल की हवेली की उल्लेखनीय विशेषताओं में से एक पीले बलुआ पत्थर से बनी आदमकद हाथी की मूर्तियां हैं । ये मूर्तियां हवेली के प्रवेश द्वार पर स्थित हैं और हवेली की भव्यता को बढ़ाती हैं।

गड़ीसर झील – जैसलमेर टूरिस्ट प्लेस | Gadisar Lake – Jaisalmer Tourist Places Hindi

Gadisar Lake – Jaisalmer Tourist Places Hindi

गड़ीसर झील जैसलमेर में स्थित एक आर्टिफिशल लेक है। इस ऐतिहासिक झील का निर्माण 14 वीं शताब्दी में जैसलमेर के तत्कालीन शासक महाराजा गडसी सिंह ने किया था और तब से यह शहर के प्रमुख आकर्षणों में से एक बन गई है। महाराजा गडसी सिंह ने 1367 ई. में गड़ीसर झील का निर्माण कराया। झील के निर्माण के पीछे का उद्देश्य इस क्षेत्र के लिए पानी का संरक्षण करना और शहर के लिए एक जल स्रोत प्रदान करना था।

यह झील जैसलमेर शहर के दक्षिण में स्थित है और मंदिरों, घाटों, और छतरियों से घिरी हुई है। यह एक शांत और सुन्दर स्थान है। गडीसर झील के प्रवेश द्वार पर एक नक्काशीदार पीले बलुआ पत्थर का प्रवेश द्वार है जिसे तिलों की पोल के नाम से जाना जाता है। गड़ीसर झील में अक्सर लोग बोटिंग करतने आते हैं।

सर्दियों के मौसम में यह झील प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करती है जिससे यह बर्ड वॉचिंग के लिए एक अच्छा स्थान बन जाता है। यह झील शाम के समय विशेष रूप से सुन्दर हो जाती है जहाँ से सनसेट के सुंदर नज़ारे देखने के लिए टूरिस्ट आते हैं। पानी पर डूबते सूरज की परछाई एक बहुत सुन्दर दृश्य और माहौल बना देती है।

डेजर्ट सफारी और डून बैशिंग – जैसलमेर टूरिस्ट प्लेस | Desert Safari and Dune Bashing – Jaisalmer Tourist Places Hindi

थार रेगिस्तान में जैसलमेर में डेजर्ट सफारी सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली एक्टिविटी है। ऊँट सफ़ारी जैसलमेर में रेगिस्तान का अनुभव करने के लिए सबसे अच्छा है। टूरिस्ट्स ऊँट पर सवार हो कर थार रेगिस्तान के सुनहरे रेट के टीलों के बीच से गुजरते हुए यहाँ की सुंदरता का अनुभव कर सकते हैं। इस दौरान एक गाइड साथ में होता है और वह रेगिस्तान की वनस्पतियों, जीवों और इस क्षेत्र के सांस्कृतिक इतिहास के बारे में विस्तार से बताता है।

जैसलमेर के रेगिस्तानी इलाके में सनराइज और सनसेट के दौरान फोटोग्राफी करना एक विशेष अनुभव है। इस दौरान सूर्य के बदलते रंग चारों ओर बिखरे रेत पर देखे जा सकते हैं। कई रेगिस्तानी सफारी पैकेजों में “सनसेट प्वाइंट” पर जाकर रेत के टीलों पर डूबते सूरज को देख सकते हैं।

इसके अलावा टूरिस्ट्स लक्जरी कैंपिंग भी कर सकते हैं। यह रेगिस्तानी संस्कृति को यादगार बनाने के लिए अच्छा मौका है। टूरिस्ट्स यहाँ कल्चरल डांस और लोकल खाने का आनंद ले सकते हैं। कैम्प्स में शाम को पारंपरिक राजस्थानी संगीत और डांस का आयोजन किया जाता है। रात के समय तारों से जगमगाते रेगिस्तानी आकाश के नीचे यह अनुभव कभी न भूलने वाला हो सकता है।

ऊँट सफ़ारी के अलावा, कुछ ऑपरेटर जीप सफ़ारी भी टूरिस्ट्स के लिए करवाते हैं। सैंडबोर्डिंग और डून बैशिंग जैसे एक्टिविटी में भी भाग ले सकते हैं। कुछ रेगिस्तानी सफारी पैकेजों में आस-पास के रेगिस्तानी गांवों में भी घुमा कर लाते हैं और लोकल लोगों के साथ बात करने और उनके लाइफ स्टाइल से परिचय कर सकते हैं।

सैम सैंड ड्यून्स – जैसलमेर टूरिस्ट प्लेस | Sam and Sand Dunes – Jaisalmer Tourist Places Hindi

सैम सैंड ड्यून्स जैसलमेर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और अपने सुनहरे रेत के टीलों के लिए जाना जाता है। ये टीले अपने बदलते पैटर्न और सनराइज और सनसेट के दौरान मनमोहक नजारों के लिए जाने जाते हैं।

जैन मंदिर – जैसलमेर टूरिस्ट प्लेस | Jain Temples – Jaisalmer Tourist Places Hindi

Jain Temples – Jaisalmer Tourist Places Hindi

जैसलमेर खूबसूरत जैन मंदिरों का घर है जो इस क्षेत्र की समृद्ध विरासत को दर्शाते हैं। जैसलमेर के प्रमुख जैन मंदिरों में से एक जैसलमेर किले में स्थित मंदिरों का समूह है। ये जैन मंदिर यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट की लिस्ट में शामिल हैं।

जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पारसनाथ को समर्पित जैन मंदिर यहाँ के मुख्य आकर्षणों में से एक है। यह मंदिर अपनी नक्काशी और कलात्मक शिल्प कौशल के लिए जाना जाता है। किला परिसर में एक और महत्वपूर्ण मंदिर तीसरे तीर्थंकर भगवान संभवनाथ को समर्पित है।

जैसलमेर में जैन मंदिर बारीक नक्काशीदार दरवाजे, स्तंभों और छत से सुशोभित हैं। इन कलाकृति में जैन तीर्थंकरों, दिव्य प्राणियों और विभिन्न पौराणिक दृश्यों का चित्रण किया गया है। कुछ जैन मंदिरों में ज्ञान भंडार या पुस्तकालय हैं जिनमें प्राचीन पांडुलिपियाँ और धार्मिक ग्रंथ हैं। ये भंडार जैन साहित्य के संरक्षण के लिए मूल्यवान माने जाते हैं। जैन मंदिर जैन समुदाय के लिए बहुत धार्मिक महत्व रखते हैं। वे पूजा, ध्यान और तीर्थयात्रा के स्थान हैं जो जैसलमेर की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत में रुचि रखने वाले भक्तों और टूरिस्ट्स, दोनों को आकर्षित करते हैं।

इन मंदिरों की विरासत को सहेजने और संरक्षित करने का प्रयास किया जाता है। जैसलमेर में जैन मंदिर न केवल धार्मिक स्थल हैं, बल्कि वास्तुकला की उत्कृष्ट कृतियाँ भी हैं जो शहर के आकर्षण में योगदान करते हैं।

मंदिर पैलेस के एक हिस्से को म्यूजियम में बदल दिया गया है, जिसमें कलाकृतियों, शाही सामानों और ऐतिहासिक वस्तुओं का प्रदर्शन किया गया है, जो जैसलमेर के पूर्व शासकों की जीवन शैली के बारे में जानकारी देते हैं। मंदिर पैलेस में सुव्यवस्थित आंगन और उद्यान हैं, जो एक शांत वातावरण प्रदान करते हैं। मंदिर पैलेस के भीतर एक मयूर आँगन / प्रांगण है। इसका नाम मोर की आकृतियों और डिज़ाइनों के नाम पर रखा गया है जो आंगन की दीवारों को सुशोभित करते हैं।

मंदिर पैलेस में शीश महल के नाम से जाना जाने वाला एक भाग है। मंदिर पैलेस पर्यटकों के लिए खुला है, जिससे उन्हें संग्रहालय और रिखबदेवजी मंदिर सहित इसके विभिन्न भागों के बारे में जानने को मिलता है।

जैसलमेर वॉर मेमोरियल – जैसलमेर टूरिस्ट प्लेस | Jaisalmer War Memorial – Jaisalmer Tourist Places Hindi

Jaisalmer War Memorial – Jaisalmer Tourist Places Hindi

जैसलमेर वॉर मेमोरियल शहर के केंद्र से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मेमोरियल की स्थापना भारतीय सैनिकों की बहादुरी और बलिदान का सम्मान करने के लिए की गई थी, विशेष रूप से उन लोगों की जिन्होंने वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध और वर्ष 1971 के लोंगेवाला युद्ध में संघर्ष किया था ।

जैसलमेर वॉर मेमोरियल का प्राथमिक उद्देश्य क्षेत्र के सैन्य इतिहास, विशेष रूप से राजस्थान के रेगिस्तान में लड़ी गई लड़ाइयों को प्रदर्शित करना है। मेमोरियल उन युद्धों से संबंधित विभिन्न कलाकृतियों, दस्तावेजों, तस्वीरों और इस्तेमाल किये गए उपकरणों को प्रदर्शित करता है जिनमें भारतीय सेनाएं शामिल थीं।

लोदुरवा – जैसलमेर टूरिस्ट प्लेस | Lodurva Village – Jaisalmer Tourist Places Hindi

Lodurva Village – Jaisalmer Tourist Places Hindi

लोदुरवा एक छोटा सा शहर है जो जैसलमेर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लोदुरवा जैसलमेर से पहले कभी भट्टी राजवंश की राजधानी थी। शहर में प्राचीन मंदिर और संरचनाएं हैं जो इसकी समृद्ध विरासत को दर्शाती हैं।

लोदुरवा की आर्किटेक्चर में कठिन नक्काशी वाले मंदिरों और ऐतिहासिक खंडहरों के साथ पारंपरिक राजस्थानी आर्ट शामिल हैं। इस शहर की संरचनाएँ पीले बलुआ पत्थर से बनी हैं जो इस क्षेत्र की विशेषता है। लोदुरवा विशेष रूप से अपने जैन मंदिरों के लिए जाना जाता है। सबसे उल्लेखनीय मंदिर लोदुरवा जैन मंदिर है। यह मंदिर जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित है।

लोदुरवा जैन मंदिर परिसर में कई छोटे मंदिर शामिल हैं, जो अपने आर्किटेक्चर और नक्काशी के लिए जाने जाते हैं। ये सभी मंदिर विभिन्न तीर्थंकरों को समर्पित हैं। जैन मंदिर परिसर की अनूठी विशेषताओं में से एक कल्पतरु वृक्ष है, यह बलुआ पत्थर से बना पेड़ है जिसके बारे में माना जाता है कि यह इच्छाएं पूरी करता है। श्रद्धालु अक्सर यहाँ प्रतीक रूप में पेड़ की शाखाओं पर धागे बाँधते हैं। यह शहर सैम सैंड ड्यून्स के नजदीक है।

डेजर्ट नेशनल पार्क – जैसलमेर टूरिस्ट प्लेस | Desert National Park – Jaisalmer Tourist Places Hindi

जैसलमेर में डेजर्ट नेशनल पार्क थार रेगिस्तान में स्थित एक नेशनल पार्क है। यह पार्क डेजर्ट के इकोसिस्टम को संरक्षित करने के लिए बने गया है। डेजर्ट नेशनल पार्क रेगिस्तान की शुष्क परिस्थितियों में जीवित रहने वाले जानवरों और वनस्पतियों और जीवों के लिए जाना जाता है। इस पार्क की स्थापना वर्ष 1980 में की गयी थी यह पार्क लगभग 3,162 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र को कवर करता है, जो इसे भारत के सबसे बड़े नेशनल पार्क में से एक बनाता है।

डेजर्ट नेशनल पार्क की विशेषता रेत के टीले, चट्टानी इलाके और यहाँ पाई जाने वाली वनस्पति है। यह पार्क थार रेगिस्तान की सुंदरता की झलक दिखाता है। कठोर परिस्थितियों के बावजूद यह पार्क रेगिस्तानी वातावरण को समझने के लिए एक बड़ा टूरिस्ट आकर्षण है। डेजर्ट नेशनल पार्क अपने विविध वन्य जीवन के लिए जाना जाता है।

सर्दियों के महीनों के दौरान यहाँ बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं। पक्षी प्रजातियों में फाल्कन, हैरियर, बज़र्ड और होउबारा बस्टर्ड शामिल हैं।

बड़ा बाग़ जैसलमेर – जैसलमेर टूरिस्ट प्लेस | Bada Bag – Jaisalmer Tourist Places Hindi

Bada Bag – Jaisalmer Tourist Places Hindi

बड़ा बाग, एक ऐतिहासिक गार्डन है जो जैसलमेर शहर से लगभग 6 किलोमीटर दूर स्थित है। इस साइट में छतरियों की एक श्रृंखला और एक सुन्दर गार्डन है। बड़ा बाग का निर्माण 16 वीं शताब्दी की शुरुआत में महारावल जैत सिंह ने करवाया था। गार्डन परिसर का निर्माण बाद के शासकों के शासनकाल तक जारी रहा।

बड़ा बाग का प्राथमिक उद्देश्य जैसलमेर के शासकों और उनके परिवार के सदस्यों के लिए एक स्मारक बनाना था। बड़ा बाग का मुख्य स्मारक महारावल जैत सिंह को समर्पित है और इसे जैत सिंह की छतरी के नाम से जाना जाता है। यह छतरी परिसर की सभी स्मारकों में सबसे ऊंची है। इसके अलावा बड़ा बाग में अन्य छतरियों हैं जिनमें से हर एक जैसलमेर के अलग अलग शासकों को समर्पित है।

बड़ा बाग की छतरियां अपनी नक्काशी, अलंकरण और पारंपरिक राजस्थानी डिजाइन के लिए जानी जाती हैं। ये पीले बलुआ पत्थर से बनी हैं। बड़ा बाग में एक बड़ा पानी का टैंक और कई प्राचीन कुएं हैं। इनका निर्माण गार्डन और आसपास के क्षेत्र की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया गया था।

बड़ा बाग विशेष रूप से सनसेट के दौरान बहुत सुन्दर नजारा प्रस्तुत करता है। बलुआ पत्थर के सुनहरे रंग और शांत वातावरण इसे फोटोग्राफी और आराम करने के लिए उपयुक्त बनाते हैं। छतरियों के आसपास का बगीचा बड़ा बाग के पूरे माहौल में चार चांद लगा देता है। यहाँ की हरियाली , सुन्दर रास्ते और शांतिपूर्ण वातावरण सभी को बहुत पसंद आता है। बड़ा बाग जैसलमेर के शासकों के समृद्ध इतिहास और स्थापत्य कौशल का प्रमाण है।

कुलधरा गांव – जैसलमेर टूरिस्ट प्लेस | Kuldhara Village – Jaisalmer Tourist Places Hindi

कुलधरा एक गाँव है जो जैसलमेर से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्थित है। यह गाँव अक्सर किंवदंतियों और रहस्यों से जुड़ा हुआ है। कुलधरा एक निर्जन गांव के रूप में जाना जाता है जिसे 19 वीं सदी की शुरुआत में इसके निवासियों ने छोड़ दिया था। हालाँकि ऐसा उन लोगों ने क्यों किया इस बारे में कई बातें यहाँ पर बताई जाती हैं।

यह गाँव कभी पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा बसा हुआ था। स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, सत्तारूढ़ महाराजा द्वारा दमनकारी नीतियों के कारण पालीवाल ब्राह्मणों ने रातोंरात गांव छोड़ दिया। एक लोकप्रिय किंवदंती के अनुसार पालीवाल ब्राह्मणों ने जाने से पहले गाँव को श्राप दिया था जिसे गाँव की वीरानी का कारण माना जाता है।

कुलधरा को इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को संरक्षित करने के लिए एक हेरिटेज विलेज घोषित किया गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) इस स्थल के रखरखाव और सुरक्षा में शामिल रहा है। शाप की किंवदंतियों और गांव के रहस्यमय त्याग के कारण कुलधरा को अक्सर घोस्ट विलेज भी कहा जाता है।

कुलधरा एक टूरिस्ट आकर्षण बन गया है। दिन के समय टूरिस्ट गांव की तंग गलियों में घूम सकते हैं और गांव के खंडहरों को देखते हैं।

तनोट माता मंदिर – जैसलमेर टूरिस्ट प्लेस | Tanot Mata Temple – Jaisalmer Tourist Places Hindi

Tanot Mata Temple – Jaisalmer Tourist Places Hindi

तनोट माता मंदिर एक हिंदू मंदिर है जो भारत-पाकिस्तान सीमा के पास, जैसलमेर के नजदीक तनोट गांव में स्थित है। यह मंदिर देवी तनोट माता को समर्पित है और ऐतिहासिक घटनाओं, खासकर भारत-पाक युद्धों के दौरान हुई घटनाओं से जुड़े होने के कारण इसका बहुत महत्व है।

तनोट माता मंदिर जैसलमेर से लगभग 120 किलोमीटर दूर और पाकिस्तान के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब तनोट गाँव में स्थित है। यह मंदिर देवी हिंगलाज माता के स्वरूप तनोट माता को समर्पित है। तनोट माता मंदिर को विशेषकर 1965 और 1971 के भारत पाकिस्तान के युद्ध के दौरान प्रसिद्धि मिली। युद्ध क्षेत्र के करीब होने के बावजूद यह मंदिर किसी भी प्रकार के नुक्सान से बचा रहा । स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, युद्धों के दौरान, मंदिर पर बड़ी संख्या में बम गिराए गए लेकिन उनमें से कोई भी विस्फोट नहीं हुआ। बमबारी के बीच मंदिर का बिना कोई हानि के बचे रहना एक चमत्कार माना जाता है।

यह मंदिर बीएसएफ के संरक्षण में है। मंदिर परिसर में उन सैनिकों के सम्मान में स्मारक भी हैं जिन्होंने युद्ध के दौरान क्षेत्र की रक्षा की थी। मंदिर में एक कमरा है जिसे “चमत्कार कक्ष” कहा जाता है जहां युद्ध के दौरान गिराए गए बिना फटे बम और गोले प्रदर्शित किए जाते हैं। यह देवी की दैवीय सुरक्षा में विश्वास का प्रतीक है। यह मंदिर बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है, खासकर देवी तनोट माता को समर्पित त्योहारों के दौरान। यहाँ विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान उत्सव मनाया जाता है।

कब जायें जैसलमेर | Best Time to Visit Jaisalmer

जैसलमेर घूमने का सबसे अच्छा समय सर्दियों के महीनों के दौरान होता है जब मौसम सुहाना और आरामदायक होता है। सर्दी जैसलमेर में टूरिज्म के लिए सबसे व्यस्त मौसम है। यह अक्टूबर से मार्च तक रहता है। इस दौरान दिन का तापमान लगभग 15°C से 25°C के बीच रहता है लेकिन रातें काफी ठंडी हो सकती हैं, खासकर दिसंबर और जनवरी में।

मार्च से अप्रैल के बीच मौसम थोड़ा गर्म होना शुरू हो जाता है लेकिन बहुत ज्यादा गर्म नहीं होता है। मार्च के शुरू में मौसम सुहाना रहता है लेकिन अप्रैल के अंत तक गर्मी बढ़ने लगती है। इस दौरान वार्षिक डेजर्ट फेस्टिवल का आयोजन भी किया जाता है जिसमें विभिन्न कई कल्चरल प्रोग्राम और एक्टिविटी के द्वारा राजस्थान और खास कर जैसलमेर की संस्कृति से परिचय होता है।

जैसलमेर में अप्रैल से जून बहुत गर्म होता है। मई और जून में तापमान 40°C से ऊपर चला जाता है। दिन के समय बाहर निकलना अच्छा अनुभव नहीं है।

जुलाई से सितंबर, जैसलमेर में मानसून के मौसम में छिटपुट बारिश होती है। इस दौराण नमी काफी बढ़ जाती है।

जैसलमेर कैसे पहुंचें | How to reach Jaisalmer

फ्लाइट से | By Flight

जैसलमेर के लिए अगर आप फ्लाइट से ट्रेवल करना चाहते हैं तो जैसलमेर एयरपोर्ट के लिए देश के बाकी एयरपोर्ट से डायरेक्ट या कनेक्टिंग फ्लाइट से पहुँच सकते हैं। जैसलमेर के लिए जयपुर और दिल्ली रेगुलर फ्लाइट उपलब्ध हैं।

ट्रेन से | By Train:

जैसलमेर राजस्थान के प्रमुख शहरों और भारत के अन्य हिस्सों से ट्रेनों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। पैलेस ऑन व्हील्स, एक लक्जरी ट्रेन है और इस ट्रेन रूट में जैसलमेर भी शामिल है। जैसलमेर की ट्रेन यात्रा सुन्दर रेगिस्तानी दृश्य दिखाती है।

सड़क द्वारा | By Road

जैसलमेर सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और टूरिस्ट्स बस, कार या टैक्सी से शहर तक आसानी से पहुँच सकते हैं। राजस्थान स्टेट ट्रांसपोर्ट जैसलमेर को राजस्थान और पड़ोसी राज्यों के अलग अलग शहरों से जोड़ने के लिए रेगुलर बसें चलाता है। प्राइवेट बस सर्विस भी जैसलमेर पहुँचने के लिए एक ऑप्शन है। इसके आलावा रेगुलर टूरिस्ट बस भी जैसमलेर के किलये ऑपरेट की जाती हैं।

जैसलमेर में खाना | Food in Jaisalmer

जैसलमेर में दाल बाटी चूरमा, केर सांगरी, गट्टे की सब्जी, लाल मास, मिर्ची वड़ा, कड़ी के साथ बाजरे की रोटी, मोहनथाल, मालपुआ, रबड़ी, कुल्हड़ में चाय, ठंडाई और कचौरी काफी पसंद किये जाने वाले स्नैक हैं।

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