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सिटी पैलेस उदयपुर | City Palace Udaipur in Hindi

City Palace Udaipur

City Palace Udaipur

City Palace Udaipur in Hindi : राजस्थान के उदयपुर में सिटी पैलेस, शहर के सबसे प्रसिद्द आकर्षणों में से एक है। सिटी पैलेस उदयपुर के समृद्ध इतिहास और आर्किटेक्चर का उदहारण है। सिटी पैलेस उदयपुर का निर्माण लगभग 400 वर्षों की अवधि में हुआ था। इस महल का निर्माण 1553 में उदयपुर के संस्थापक महाराणा उदय सिंह द्वितीय द्वारा शुरू किया गया था। एक के बाद एक आने वाले शासकों ने महल परिसर में नए निर्माण किए, जिसके परिणामस्वरूप यहाँ राजपूत शैली का अद्भुत आर्किटेक्चर देखने को मिलता है।

पिछोला लेक के किनारे पर स्थित सिटी पैलेस झील और आसपास की पहाड़ियों के मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करता है। सिटी पैलेस उदयपुर महल परिसर आंगनों, बगीचों और इमारतों का एक विशाल समूह है जो संगमरमर के काम, रंगीन टाइल्स, नाजुक कांच और दर्पण के काम और नक्काशी का प्रदर्शन करता है। सिटी पैलेस उदयपुर राजपूत युग की समृद्धि और भव्यता को दर्शाता है।

सिटी पैलेस उदयपुर के कुछ हिस्सों को लक्जरी होटलों में बदल दिया गया है, जो आने वालों को ऐतिहासिक भव्यता के बीच शाही आदर सत्कार का अनुभव करने का अवसर प्रदान करता है। सिटी पैलेस पारंपरिक राजस्थानी प्रदर्शनों, संगीत कार्यक्रमों और त्योहारों सहित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए एक प्रसिद्द स्थान है। उदयपुर में सिटी पैलेस शहर की समृद्ध विरासत के प्रतीक के रूप में खड़ा है और यह महल भारत में हर साल सबसे ज्यादा देखे जाने वाले टूरिस्ट आकर्षणों में से एक बन चुका है।

सिटी पैलेस उदयपुर, मेवाड़ के शिशौदिया वंश के राजपूत राजाओं द्वारा राजस्थान के उदयपुर शहर में सोलहवीं शताब्दी में बनवाया गया एक महल है जिसका निर्माण कार्य शिशौदिया शासकों की 22 पीढ़ियों द्वारा लगभग 400 सालों में पूरा हुआ है। सिटी पैलेस उदयपुर में समय समय पर अलग अलग राजा निर्माण कार्य कराते रहे थे। आज जो सिटी पैलेस के नाम से प्रसिद्द महल है उसका आकर एक शिप (पानी के जहाज ) की तरह है।

सिटी पैलेस उदयपुर | City Palace Udaipur in Hindi

सिटी पैलेस उदयपुर भारत का दूसरा सबसे बड़ा महल है। मैसूर महल एरिया में सिटी पैलेस से बड़ा है और वर्तमान में देश का सबसे बड़ा पैलेस है।

सिटी पैलेस के बारे में जानने से पहले इसके पहले के शिशौदिया वंश के बारे में जान लेना महत्वपूर्ण है। हम सभी ने पन्ना धाय के बारे में पढ़ा और सुना है। पन्ना धाय इसी शिशौदिया वंश के महाराणा उदय सिंह की धाय माँ थीं। चित्तौड़गढ़ में जब शिशौदिया वंश अंदरूनी संघर्ष से गुजर रहा था , तब पन्ना धाय ने राजकुमार उदय सिंह के जीवन की रक्षा अपने बेटे चन्दन को खो कर की थी।

उसके बाद जब उदय सिंह को कुंभलगढ़ भेज दिया गया। बाद में उदय सिंह ने चित्तौड़ गढ़ वापिस ले लिया और शासन करने लगे। महाराणा उदय सिंह मेवाड़ के 12 वे शासक थे। बार बार होने वाले मुग़लों के आक्रमण से परेशान हो कर महाराणा उदय सिंह अपनी एक नयी राजधानी बनाना चाहते थे।

सिटी पैलेस उदयपुर : इतिहास | History – City Palace Udaipur in Hindi

सिटी पैलेस उदयपुर को राणा उदय सिंह (द्वितीय ) ने बनवाना शुरू किया था। राणा उदय सिंह चित्तौड़गढ़ से अलग अपनी एक नयी राजधानी बनाना चाहते थे। सन 1559 में राणा यहाँ शिकार करने के लिए आये और अभी जहा सिटी पैलेस का गेट है , उसी जगह पर उन्होंने एक खरगोश का शिकार किया। इस जगह को शुभ मान कर राणा ने यहाँ एक पत्थर गाड़ दिया। वही पास में पहाड़ी पर तपस्या कर रहे गोस्वामी प्रेम गिरी के कहने पर राणा ने इस जगह को अपनी राजधानी बनाया और महल के निर्माण का काम शुरू कराया।

ये जगह सिटी पैलेस में त्रिपोलिया गेट से अंदर जाने के बाद मानक चौक में है। इसे भैरव स्थान कहा जाता है।

कभी कभी उदयपुर पैलेस में तेंदुए भी घुस आते हैं और इन्हें पकड़ने के लिए एक बड़ा पिंजरा गेट के पास ही रखा गया हैं। पकड़ने के बाद इन जानवरों को वापिस अरावली की पहाड़ियों के जंगलों में छोड़ दिया जाता हैं।

राज आंगन यहाँ बनाया जाने वाला सबसे पहला भवन था। राणा उदय सिंह के पुत्र महाराणा प्रताप ने भी इस महल में नए भवनों का निर्माण कराया। पैलेस के अंदर शीश महल का निर्माण महाराणा प्रताप द्वारा अपनी पत्नी के लिए कराया गया था। उनके बाद भी समय समय पर अलग अलग राजाओं ने यहाँ निर्माण करवाया । मुग़लों के लगातार आक्रमणों के चलते अधिकतर राजाओं का समय युद्धों में बीता , और इसी के चलते सिटी पैलेस उदयपुर एक बार में नहीं बल्कि अलग अलग समय पर 400 साल में अपने वर्तमान रूप में बन कर तैयार हुआ। मेवाड़ के राजाओं कि 22 पीढ़ियों ने इस पैलेस में निर्माण कार्य कराया हैं।

भारत के स्वतंत्र होने पर मेवाड़ रियासत का विलय हो गया लेकिन सिटी पैलेस मेवाड़ के राजा के पास ही रहा। वर्तमान में सिटी पैलेस के एक बड़े भाग में म्यूजियम हैं। पैलेस के कुछ भागों को होटल में बदल दिया गया हैं। पैलेस के एक भाग में राज परिवार रहता है ।

पिछोला लेक के किनारे पर बना सिटी पैलेस उदयपुर आने वाले टूरिस्ट्स के लिए एक ख़ास आकर्षण हैं और वर्ष भर यहाँ आने वालों का ताँता लगा रहता हैं। पैलेस में झरोखों से उदयपुर शहर अलग अलग रंगों में दूर तक देखा जा सकता हैं।

सिटी पैलेस उदयपुर : टिकट | Ticket Price – City Palace Udaipur in Hindi

सिटी पैलेस के गेट पर ही अंदर जाने के लिए टिकट खरीद सकते है। सिटी पैलेस उदयपुर सप्ताह के सातों दिन सुबह 9.30 से शाम के 5.30 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है। अगर आप सुबह ही पैलेस पहुंच सकते है तो वो समय सिटी पैलेस के टूर के लिए सबसे सही रहता है। दोपहर और उसके बाद में पैलेस देखने के लिए काफी पर्यटक आते है और भीड़ भी हो जाती है। टूरिस्ट सीजन जो की मानसून और सर्दियों में रहता है , ऐसे में पैलेस सुबह ही चले जाना चाहिए।

सिटी पैलेस उदयपुर के लिए पर पर्सन टिकट 300 रुपये है। 5 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए टिकट 100 रुपये का है। 5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सिटी पैलेस का कोई टिकट नहीं है। टिकट विंडो के सामने ही टूर गाइड भी खड़े होते है। सिटी पैलेस के टूर में लगभग 3 घंटे तो लग ही जाते हैं इसलिए आप अपने साथ एक पानी की बोतल रख लें। हालाँकि पैलेस के अंदर भी पीने का पानी मिल जाता हैं लेकिन भीड़ होने पर असुविधा हो सकती हैं।

अगर आप परिवार में बड़ों और बच्चों के साथ सिटी पैलेस के टूर पर आये हैं तो अपने साथ थोड़े पैकेज्ड ड्राई स्नैक या नाश्ता भी रख लें ।

अच्छा होता है कि आप सिटी पैलेस के टूर पर जाने से पहले अपने साथ एक टूर गाइड ले लें। यहाँ पर गाइड 300 – 350 रुपये चार्ज करते हैं। सिटी पैलेस बहुत बड़ा और ऐतिहासिक महल हैं और ऐसे महल के बारे में जानने के लिए टूर के लिए, टूर गाइड लेना अच्छा रहता है क्योंकि तभी आप सिटी पैलेस के बारे मेंअच्छी तरह से जान और समझ सकते हैं। टूर गाइड के बिना सिटी पैलेस के हर भाग से जुडी कहानी अनजानी ही रह जाती है और फिर देखने में कुछ ख़ास आनंद भी नहीं आएगा।

सिटी पैलेस उदयपुर : संरचना | Architecture – City Palace Udaipur in Hindi

Udaipur Palace

अब हम ये तो जान ही चुके हैं की सिटी पैलेस के वर्तमान रूप में आने में 400 साल का निर्माण कार्य लगा हैं और यही वजह ही की अलग अलग समय पर निर्माण होने के कारण इसका आर्किटेक्चर भी काफी अलग रूप में देखने को मिलता हैं। पैलेस में पुराने राजपुताना आर्किटेक्चर के तो दर्शन होते ही हैं साथ ही 19 वि सदी में इस्तेमाल होने वाले कांच और पत्थर भी दिखते हैं।

पैलेस के अलग अलग कक्ष अलग अलग राजाओं के शासन के दौरान बनवाये गए हैं। पैलेस के अंदर चीन से आये पत्थर, बेल्जियम के कांच और इटली के केरोसिन तेल से चलने वाले पंखे भी हैं।

पैलेस की दीवारों पर नेचुरल रंगों से पेंटिंग की गयी हैं और मेवाड़ के राणाओं से सम्बंधित सामान दर्शकों के लिए रखा गया हैं। पैलेस टूर के दौरान इतिहास के बदलते स्वरुप के दर्शन तो हो ही जाते हैं साथ ही महल की भव्यता भी बहुत प्रभावित करती है।

सिटी पैलेस उदयपुर – बड़ी पोल और त्रिपोलिया पोल | Tripoliya Pol, Badi Pole – City Palace Udaipur in Hindi

राजपूती आर्किटेक्चर में गेट को पोल कहा जाता हैं और इसीलिए हर गेट पर नाम के साथ पोल लिखा हुआ होता हैं। बड़ी पोल यानी बड़ा गेट से अंदर जाने के बाद एक शानदार त्रिपोलिया पोल हैं जिसमे तीन गेट बने हुए हैं। इस के ऊपर बनी छतरियां इसे एक बहुत सुन्दर प्रवेश द्वार बनती हैं। त्रिपोलिया पोल की पहली झलक का असर यही हैं कि देखने वालों को अंदाजा हो जाता हैं कि अब वो किसी ऐतिहासिक काल के दर्शन करने वाले हैं। त्रिपोलिया पोल के ऊपर कुल ७ छतरियां हैं। सिटी पैलेस में कुल ११ पोल हुआ करते थे।

मानक चौक – सिटी पैलेस उदयपुर | Manak Chowk – City Palace Udaipur in Hindi

त्रिपोलिया गेट के आगे है मानक चौक। मानक चौक एक बड़ा खुला हुआ एरिया है जिसमे मेवाड़ के शासक अपना आम जनता के लिए दरबार लगाते थे। मानक चौक में ही दशहरा मनाया जाता था और राजा अपने दरबारियों के साथ जनता के उत्सव में शामिल होते थे। इसी चौक में मनोरंजन के लिए हाथियों की लड़ाई के खेल हुआ करते थे। हाथी एक दुसरे को सूंड से अपनी तरफ खींचते थे जैसे की टग ऑफ़ वॉर में होता हैं। हाथियों के बीच एक दीवार होती थी और जो हाथी दीवार को पहले छु लेता था वो हार जाता था। जीतने वाले हाथी को ख़ास सत्कार किया जाता था और उसके बैठने की जगह भी बहुत ख़ास होती थी। इस मुक़ाबले में जीतने वाले हाथियों को युद्ध के लिए तैयार किया जाता था।

इस खेल को देखने के लिए राजा अपने दरबार के ख़ास लोगों के साथ बैठ कर देखते थे। इस चौक में अलग अलग ऊंचाइयों के प्लेटफार्म बने हैं जिन पर राजा के दरबार और बाहर से आने वाले ख़ास लोगों को बिठाया जाता था।

अभी मानक चौक में एक स्कूल है जिसमे शहर के बच्चे पढ़ते हैं , चौक में कुछ दुकाने और पारम्परिक कलाकारी के म्यूजियम भी हैं।

सिटी पैलेस उदयपुर – तोरण पोल और महाराणा कक्ष | Maharana Pratap Kaksh – City Palace Udaipur in Hindi

तोरण पोल सिटी पैलेस का एक मुख्य पोल / गेट हैं जिससे होकर पैलेस के अंदर जा सकते हैं। इस पोल से अंदर जाने पर घुसते ही गणेश और लक्ष्मी की 400 साल पुराणी मूर्तियां दिखाई देती हैं। इसे गणेश ड्योढ़ी कहा जाता है।

गणेश ड्योढ़ी के बाद महाराण प्रताप कक्ष आता हैं। इस कक्ष में महाराण प्रताप के इस्तेमाल में आये हुए कवच, भाले और तलवार पर्यटकों के देखने के लिया रखे हैं। कहा जाता हैं की महाराण प्रताप के लोहे के कवच, उनके भले और तलवार का कुल वजन 35 किलो था। यही पर महाराणा प्रताप का प्रसिद्द सोने का भाला भी रखा हुआ है।

इसे कक्ष के बाहर हल्दीघाटी के युद्ध की पेंटिंग्स भी देख सकते हैं। महाराणा प्रताप और मान सिंह के बीच के युद्ध को इस पेंटिंग में दिखाया गया है। राजपूत राजाओं के पास हाथी कम होते थे जबकि मुग़लों की सेना में हाथी ज्यादा होते थे । महाराणा प्रताप ने हल्दी घाटी के युद्ध में अपने घोड़े चेतक को छोटे हाथी का मुखौटा पहना कर लड़ाई लड़ी थी। कहा जाता है, इससे युद्ध में हाथी उसे हाथी का छोटा बच्चा समझ कर उस पर आक्रमण नहीं करते थे।

सिटी पैलेस उदयपुर – राज आंगन | Raj Angan – City Palace Udaipur in Hindi

राज आंगन सिटी पैलेस में बनने वाला सबसे पहला भवन है । इस भवन में राजाओं के राजतिलक किये जाते थे । यहाँ एक छोटा टब है जिसे संगमरमर के एक ही टुकड़े से बनाया गया है । इसी टब में राजा के राजतिलक के समय एक लाख चांदी के सिक्के भरे जाते थे और राजतिलक के बाद उनमे से एक चौथाई चांदी के सिक्के जनता में बाँट दिए जाते थे । इस टब को लखटु भी कहा जाता है। बाकि चांदी के सिक्कों को राज्य के कामों में लगाया जाता था।

अमर विलास और बाड़ी महल – सिटी पैलेस उदयपुर | Amar Vilas, Badi Mahal – City Palace Udaipur in Hindi

अमर विलास महाराणा प्रताप के बेटे और उनके उत्तराधिकारी राणा अमर सिंह ने बनवाया था। अमर विलास और बाड़ी महल आमने सामने हैं। बाड़ी एक मेवारी शब्द है जिसका मतलब होता है जंगल। ये महल के सबसे ऊंचे लेवल पर है जहाँ एक छोटा स्विमिंग पूल जैसे बनाया गया है । यहाँ इतनी ऊँचाई पर पेड पौधे भी है । इस की ख़ास बात ये है की अमर विलास पहाड़ के सबसे ऊंचे हिस्से पर बना है । इसके लिए पहाड़ को काटा नहीं बने गया बल्कि उसी के ऊपर भवन बनाया गया है । यहाँ पर राणा होली का त्यौहार मानते थे ।

बाड़ी महल में कुल 104 संगमरमर के खम्भे हैं जिन पर सुन्दर नक्काशी की गयी है । ये सारे खम्भे बिना संगमरमर के टुकड़ो को जोड़े यानी एक ही पत्थर से बनाये गए हैं। अमर विलास और बाड़ी महल से उदयपुर शहर का सुन्दर नजारा देखा जा सकता है ।

यही साथ में एक कक्ष में उस समय के डाकियों यानि कबूतरों को रखने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाले पिंजरे हैं ।

शीश महल – सिटी पैलेस उदयपुर | Sheesh Mahal – City Palace Udaipur in Hindi

शीश महल को महाराणा प्रताप ने अपनी पहली रानी अजबदे के लिए बनवाया था । ये पूरा कक्ष कांच से बना है और इसमें पेंटिंग के लिए नेचुरल रंगों का इस्तेमाल हुआ है । इसे दर्पण महल के नाम से भी जान जाता है । ये एक भव्य और रंगों से भरा हुआ कक्ष है । इस कक्ष में फ़्लैश फोटोग्राफी करना मना है । इसके दरवाजे हाथी दांत से बने हुए हैं।

भीम विलास – सिटी पैलेस उदयपुर | Bhim Vilas – City Palace Udaipur in Hindi

ब्लू कलर से पेंट किया भीम विलास एक बहुत ही सुन्दर कक्ष है। इसे राजा भीम सिंह ने बनवाया थे। राजा भीम सिंह का शासन काल मेवाड़ के राजाओं में सबसे लम्बा रहा है। इस कक्ष में बाहर देखने की लिए खिड़कियां हैं जहाँ से रानियाँ बाहर होने वाले उत्सवों को देखा करती थीं।

महाराणा भोपाल सिंह कक्ष, प्रीतम निवास | Maharana Bhopal Kaksh , Pritam Niwas – City Palace Udaipur in Hindi

महाराणा भूपाल सिंह ने रियासत को भारत में विलय कराया। महाराजा भूपाल सिंह पहले राजा थे जिन्होंने अपनी रियासत का 1948 में भारत में विलय कराया। महाराजा को राजस्थान की सभी रियासतों के राजा का प्रमुख बनाया गया और उन्होंने अन्य राजाओं के लिए भी विलय की प्रक्रिया में भारत सरकार की मदद की। महाराण भूपाल सिंह के कक्ष में एक लिफ्ट है जो अभी भी इस्तेमाल की जाती है। ये लिफ्ट इस कक्ष में 1940 में बनायीं गयी थी। कहा जाता है की ये भारत में इस्तेमाल हुई सबसे पहले लिफ्ट है।

सूर्य मंदिर | छोटी चित्रशाली – सिटी पैलेस उदयपुर | Choti Chitrashali – City Palace Udaipur in Hindi

मेवाड़ के राजा सूर्यवंशी थे और सूर्य की पूजा करते थे और इसीलिए अपने दिन की शुरुआत सूर्य दर्शन के साथ ही किया करते थे। इस कक्ष के साथ एक सूर्य की प्रतिमा है जिसे कॉपर के ऊपर गोल्ड प्लांट कर बनाया गया है। ये सूर्य मंदिर भी महाराजा भूपाल के समय में ही बनाया गया है। महाराजा भूपाल सिंह चल फिर नहीं सकते थे। मानसून में जब सूर्य दर्शन नहीं हो पाते थे तो यहाँ सूर्य मंदिर में सूर्य दर्शन और पूजा कर वह अपना दिन शुरू करते थे।

बड़ी चित्रशाली – सिटी पैलेस उदयपुर | Badi Chitrashali – City Palace Udaipur in Hindi

बड़ी चित्रशाली को राणा संग्राम सिंह द्वितीय ने अपने शासन काल में बनवाया था। यहाँ राज परिवार के लोग उत्सव और त्यौहार मनाते थे। इस चत्रशाली में राज परिवार के लोगों के लिए मनोरंजन के कार्यक्रम भी आयोजित होते थे। इस चित्रशाली में नीले रंग के चीनी टाइल्स और कांच का काम है।

चीनी चित्रशाला | China Chitrashala – City Palace Udaipur in Hindi

ये एक आर्ट गैलरी है जिसे डच और चीनी टाइल्स का इस्तेमाल कर बनवाया गया है।

कृष्णा विलास – सिटी पैलेस उदयपुर | Krishna Vilas – City Palace Udaipur in Hindi

कृष्णा विलास राजकुमारी कृष्णा को समर्पित हैं जो कि महाराणा भीम सिंह कि बेटी थी। सिटी पैलेस के इस कक्ष में पेंटिंग का संग्रह है। इन पेंटिंग्स में राज परिवार के पारम्परिक विधानों को दिखाया गया है।

मोर चौक – सिटी पैलेस उदयपुर | Mor Chowk – City Palace Udaipur in Hindi

City Palace Udaipur in Hindi

मोर चौक को राणा करण सिंह ने बनवाया था और उसमे कांच का काम बाद में राणा सज्जन सिंह ने करवाया था। ये एक दीवाने खास था। मोर चौक को पैलेस का सबसे सुन्दर चौक माना जाता है। इस चौक में ५ मोर बनाये गए है और हर एक मोर को बनाने में 5000 से ज्यादा कांच के रंग बिरंगे टुकड़ों का इस्तेमाल किया गया है। सिटी पैलेस के इस चौक में महाराजा अपने मंत्रियों के साथ सभा करते थे और यहाँ मंत्रियों के साथ उत्सव भी मनाये जाते थे। राजा और दरबारियों के मनोरंजन के लिए मोर चौक में नाच गाने के कार्यक्रम भी रखे जाते थे।

मोती महल – सिटी पैलेस उदयपुर | Moti Mahal – City Palace Udaipur in Hindi

मोती महल कांच और दर्पण से सजा हुआ एक कक्ष है। इसे महाराजा करण सिंह ने बनवाया था। इस महल के झरोखों से उदयपुर का सुन्दर नजारा देखा जा सकता है। पैलेस के इस भाग में महाराज करण सिंह रहा भी करते थे।

मानक महल – सिटी पैलेस उदयपुर | Manak Mahal – City Palace Udaipur in Hindi

सूर्य पूजा के लिए और मानसून महल के रूप में इसे इस्तेमाल किया जाता था। यहाँ राजा अपने परिवार के साथ कभी कभी खाना खाया करते थे। मानक महल के झरोखो से उदयपुर का नजारा देखा जा सकता है।

महाराजा फ़तेह सिंह की कुर्सी – सिटी पैलेस उदयपुर | Maharaja Fateh Singh Chair

सिटी पैलेस उदयपुर में एक ख़ास कुर्सी रखी हुई हैं जिस से जुडी एक कहानी है। जब ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज ५ ने दिल्ली में दरबार आयोजित किया तो उसमे भारत के सभी रियासतों के राजाओं को भी बुलाया। इस दरबार में उस समय के मेवाड़ के राजा फ़तेह सिंह ने शामिल होने से इंकार कर दिया और इसलिए उस सभा में उनकी कुर्सी खली रही। ये कुर्सी मेवाड़ के सम्मान के प्रतीक स्वरुप बाद में राजा फ़तेह सिंह को उपहार दे दी गयी। साथ ही दो ब्रिटिश घोड़े एक्सपर्ट और रेडलैड भी उन्हें उपहार में दिए गए।

दिलखुश महल – सिटी पैलेस उदयपुर | Dilkhush Mahal – City Palace Udaipur in Hindi

दिलखुश महल को महाराज करण सिंह ने राज परिवार की महिलाओं के लिए बनवाया था। इस महल में कई झरोखे और बालकनी हैं। इस महल के झरोखों पर लाल , हरे और नीले रंग के कांच के परदे हैं। इन झरोखों से रानियाँ आम दरबार देख सकती थीं लेकिन बाहर का कोई भी रानियों को नहीं देख सकता था।

वाणी विलास | Vani Vilas – City Palace Udaipur in Hindi

महाराजा सज्जन सिंह ने अपने सन १८७५ में उदयपुर में पहली विशेष लाइब्रेरी बनवायी और कवि श्यामलदास ने वाणी विलास कक्ष में बैठ कर मेवाड़ का इतिहास लिखना शुरू किया था।

ज़नाना महल – सिटी पैलेस उदयपुर | Janana Mahal – City Palace Udaipur in Hindi

ज़नाना महल सिटी पैलेस उदयपुर में राज परिवार की महिलाओं के लिए बनाया गया था। महल के इस भाग का निर्माण राणा संग्राम सिंह के शासन काल में हुआ था। जनाना महल में राज परिवार की महिलाएं तीज त्यौहार पर इकठ्ठा हुआ करती थीं।

जनाना महल में रानियों के कमरे हैं जहां वो तैयार हुआ करती थीं और साथ में ही दसियों के रहने के कमरे और उनके तैयार होने के लिए भी एक कमरा हैं जिसकी दीवार पर बहुत से दर्पण लगे हैं जिस से कि एक साथ कई दासियाँ तैयार हो सकती थीं।

सिटी पैलेस उदयपुर म्यूजियम | Museum – City Palace Udaipur Hindi

सिटी पैलेस उदयपुर म्यूजियम में राज परिवार के इस्तेमाल में आये हुए चांदी के बर्तन , हथियार , हठी घोड़ो कि सजावटें , पालकी और बग्गियां , राजा और राजकुमारों के कपडे और शाल आदि को दिखाया गया है। इस संग्रहालय में उन मूर्तियों को भी रखा गया है जिन्हे समय समय पर आक्रांताओं ने क्षत विक्षत किया था। इसके अलावा वर्तमान राजा और उनके परिवार के फोटो भी इस म्यूजियम में देखने के लिए रखे गए हैं।

दरबार हॉल सिटी पैलेस उदयपुर | Darbar Hall – City Palace Udaipur Hindi

दरबार हॉल सिटी पैलेस उदयपुर का नया भाग है । इसे १९०९ में बनवाया गया। दरबार हॉल को पहले मिंटो हॉल के नाम से जाना जाता था क्योंकि इसकी नींव उस समय के भारत के वॉयसराय लार्ड मिंटो ने रखी थी। दरबार हॉल में मेवाड़ के शासको से सम्बंधित चीजों और उनकी पेंटिंग्स को दिखाया गया है। इसी हॉल में प्रसिद्द क्रिस्टल गैलरी है जो कि दुनिया में सबसे बड़ी क्रिस्टल गैलरी है।

फ़तेह प्रकाश पैलेस | Fateh Prakash Palace – City Palace Udaipur Hindi

फ़तेह प्रकाश पैलेस को अब एक होटल में बदल दिया गया है। ये होटल अक्सर सेलेब्रिटीज़ की शादियों में इस्तेमाल होता है।

सिटी पैलेस उदयपुर : बॉलीवुड और हॉलीवुड में | City Palace Udaipur Hindi – Films

सिटी पैलेस उदयपुर अक्सर फिल्मों में भी देखा जा सकता है। प्रसिद्द गाना “घूंघट की आड़ से दिलबर का ” इसी पैलेस में शूट हुआ है। कुछ साल पहले प्रेम रतन धन पायो फिल्म में भी एक गाना और फिल्म के कुछ भाग इसी पैलेस में शूट हुए थे। बॉलीवुड फिल्मों के अलावा बड़े बिज़नेस ओनर्स की शादियों में भी पैलेस के कुछ भाग रेंट पर लिए जाते हैं। बॉलीवुड से बाहर कुछ हॉलीवुड फिल्म्स जैसे की जेम्स बांड सीरीज की फिल्मों की शूटिंग भी सिटी पैलेस उदयपुर में हुई हैं।

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